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लड़की ने दिखाया गजब का साहस, लड़कर जिस्‍म के सौदागरों को दिलाई कड़ी सजा

बिहार में एक नाबालिग लड़की ने गजब का साहस दिखाया। उसने लड़कर जिस्‍म के सौदागरों को उम्रकैद की सजा दिलाई है। यह अपनी तरह का देश में पहला मामला है।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 28 Mar 2018 08:45 PM (IST)Updated: Wed, 28 Mar 2018 11:11 PM (IST)
लड़की ने दिखाया गजब का साहस, लड़कर जिस्‍म के सौदागरों को दिलाई कड़ी सजा
लड़की ने दिखाया गजब का साहस, लड़कर जिस्‍म के सौदागरों को दिलाई कड़ी सजा

गया [जेएनएन]। नाबालिग लड़कियों का अपहरण, दुष्कर्म कर जिस्म की मंडी में धकेलने वाले पति-पत्नी को एक किशोरी की हिम्मत ने जीवन भर के लिए सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। देह व्यापार के मामले में यहां की अदालत ने पहली बार किसी को उम्रकैद की सजा सुनाई है और यह संभवत: देश का अपनी तरह का पहला मामला है।

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कड़ी सजा देकर अदालत ने दिया बड़ा संदेश

गया की स्थानीय अदालत में इस मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसमें प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सचिदानन्द सिंह ने अभियुक्त पांचू सिंह और उसकी पत्नी छाया देवी को उम्रकैद की सजा दी है। पांचू को पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम) में भी उम्रकैद की सजा दी गई। साथ ही अदालत ने इमोरल ट्रैफिकिंग एक्ट व अन्य मामलों में 10-10 साल की सजा दी। पति-पत्नी पर 10 लाख से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया।

छुड़ाई गईं थीं  नौ लड़कियां

आठ फरवरी 2015 को कोतवाली के तत्कालीन थानाध्यक्ष उदय शंकर सिंह ने पांचू के मकान पर छापा मारकर नौ लड़कियों को छुड़ाया था। इनमें चार नाबालिग थीं। एक को आसनसोल से अपहरण कर लाया गया था। उसकी मां को बेटी के गया में होने की जानकारी मिली तो यहां मामला दर्ज कराया। इसके बाद इस राज से पर्दा उठा। शहर के सराय रोड में जिस्म की मंडी चल रही थी। पुलिस के छापे के वक्त पांचू अपनी पत्नी के साथ फरार हो गया। पुलिस ने दोनों को पिछले ही साल गिरफ्तार किया था।

नाबालिग लड़की ने दिखाया गजब का साहस

इस मुकदमे में पुलिस एवं अभियोजन के मजबूत पक्ष और नाबालिग की गवाही  दरिंदों को कड़ी सजा दिलाने में सफल रही। उस बच्ची ने अदालत को बताया कि अपहरण के बाद पांचू व उसके दोस्तों ने उसके साथ लगातार तीन दिनों तक दुष्कर्म किया। उस समय उसकी उम्र 14 साल थी। इसके बाद उसे जिस्म की मंडी में उतार दिया। विशेष लोक अभियोजक कैशर सरफुदीन कहते हैं कि बिहार में ऐेसे मामलों में इस तरह की सजा पहली बार दी गई है। इस केस में नाबालिग और उसके परिवार ने हिम्मत दिखाई। ऐसे मामलों में पीडि़त लोक-लाज के डर से भी सामने नहीं आते हैं और अभियुक्त बच जाते हैं। पुलिस ने भी मुस्तैदी से नौ गवाहों की गवाही कराई।

ह्यूमन ट्रैफिकिंग के विरुद्ध कई वर्षों से अभियान चला रहीं 'एक किरण आरोह' संस्‍था की अध्यक्ष रीतु प्रिया कहती हैं कि 2015 में कोतवाली थाना के सराय रोड में छापामारी कर जिन नौ लड़कियों को छुड़ाया गया था, उसमें पुलिस ने बहुत गंभीरता से अनुसंधान किया। उनकी संस्था इस केस से जुड़े लोगों को सम्मानित करेगी।


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