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बिहार बोर्ड के कारनामे से चौंके मैट्रिक के परीक्षार्थी, सासाराम में छात्र का बदल डाला जेंडर

बिहार बोर्ड के कारनामे खत्म होने के नाम नहीं ले रहे हैं। 17 फरवरी से मैट्रिक की परीक्षा प्रारंभ होगी। इस परीक्षा के लिए सासाराम में 60 केंद्र बनाए गए हैं। उपलब्ध कराए गए एडमिट कार्ड में कई प्रकार की त्रु़टियां पाई जा रही हैं।

By Rahul KumarEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 11:18 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 11:18 AM (IST)
सासाराम में मैट्रिक परीक्षार्थियों का बदल गया जेंडर। सांकेतिक तस्वीर

जागरण संवाददाता, (सासाराम)। अगले माह 17 फरवरी से मैट्रिक की परीक्षा प्रारंभ होगी। इस परीक्षा के लिए जिले में 60 केंद्र बनाए गए हैं। परीक्षा में 59 हजार से अधिक परीक्षार्थी शामिल होंगे, जिनका प्रायोगिक परीक्षा 22 जनवरी को समाप्त हो गई। अब परीक्षार्थियों को एडमिट कार्ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिसमें कई प्रकार की त्रु़टियां पाई जा रही है। कई परीक्षार्थियों के लिंग बदल गए हैं, तो कई के नाम में गलती है। कंप्यूटर की गलती कही जाए या फिर सेंटप छात्रों की लापरवाही। सेंटप छात्रों के अभिभावक गलती को सुधार करने को लेकर स्कूल से लेकर डीईओ व परीक्षा समिति के कार्यालय तक चक्कर लगाने लगे हैं।

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विभागीय अधिकारी परीक्षा को कोरोना गाइडलाइन के तहत कदाचारमुक्त व शांति पूर्ण संपन्न कराने की तैयारी में जुट गया है। जिस अनुमंडल क्षेत्र में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, वहां के बीईओ को परीक्षार्थियों के अनुरूप केंद्रों पर बेंच-डेस्क उपलब्ध कराने का टास्क सौंपा गया है। क्योंकि एक बेंच पर दो से अधिक परीक्षार्थी को नहीं बैठाने का निर्देश दिया गया है।

गौरतलब है कि इस बार होने वाली मैट्रिक परीक्षा में 59 हजार से परीक्षार्थी भाग लेंगे। जिसके लिए सासाराम में 31, डेहरी में 14 वबिक्रमगंज में 15 केंद्र बनाया गया है। 29252 लड़की तो 30194 लड़का परीक्षा देंगे। लड़कियों का केंद्र गृह अनुमंडल जबकि लड़कों का दूसरे सब्डिवीजन में बनाया गया है, लेकिन एडमिट कार्ड में त्रुटि होने के कारण कई छात्र को छात्राओं तो छात्राओं को छात्र के बीच बैठकर परीक्षा देना मजबूरी हो गई है। हालांकि अभिभावकों का प्रयास है कि समय रहते त्रुटि का सुधार हो जाए तो आने वाले दिनों में उनके बच्चों को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड सके। विभागीय सूत्रों की माने तो एडमिट कार्ड में सुधार के लिए छात्रों को बोर्ड द्वारा पर्याप्त समय दिया गया था, परंतु छात्रों ने उस पर ध्यान नहीं दिया।


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