महाशिवरात्रि 2022: सूर्य की किरणों के साथ बदलता है शिवलिंग का रंग, जानिए नवादा के तटेश्वरनाथ को
महाशिवरात्रि 2022 महाशिवरात्रि को लेकर जगह-जगह विशेष पूजा-अर्चना की तैयारी चल रही है। ऐसे में हम बात करें नवादा के तटेश्वरनाथ महादेव की।अपनी खास बनावट के कारण यहां सूर्य की किरणें शिवलिंग पर पड़ती हैं। इससे भव्य नजारा दिखता है।
अशोक कुमार, वारिसलीगंज (नवादा)। महाशिवरात्रि 2022: नवादा के वारिसलीगंज रेलवे स्टेशन से पूरब उत्तर दिशा में करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर ठेरा गांव में मनोकामना महादेव के नाम से प्रसिद्ध बाबा टतेश्वर नाथ का मंदिर है। टाटी नदी के दाएं तट पर अवस्थित इस मंदिर का शिवलिंग अद्भुत है। प्रकृति के सातों रंगों काे यह बिखेरता है। जमींदारी काल में इस मंदिर को तटेश्वरनाथ नाम दिया गया था। इस पौराणिक मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां भोलेनाथ सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में तैयारी चल रही है।
108 फुट ऊंचा बना है बाबा का भव्य मंदिर
2016 में ग्रामीणों के सहयोग से टतेश्वर नाथ मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया था जो अब लगभग पूर्णता पर है। पड़ोस के सामबे गांव के भोला पंडित तथा दीपू पंडित ने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया। महाराष्ट्र के नांंदेड़ स्थित कंधार शेलल्ली स्थित महादेव मंदिर के स्वरूप में इसे तैयार किया गया है। मंदिर 108 फूट ऊंचा। इसपर कई कलाकृतियां उकेरी गई हैं। सूर्य किरणे मंदिर के गर्भगृह स्थित शिवलिंग पर पड़े। इसके लिए नक्शा बनाने वाले अभियंता ने गुंंबद के पास शीशा लगाया है। बता दें कि काले पत्थर के शिवलिंग पर जब सूर्य की किरणें पड़ती है तब लगता है कि सातों रंग बिखर रहे हैं। शिवलिंग का रंग बदलता नज़र आता है।
स्वयं प्रस्फुटित हुए महादेव यहां
बताया जाता है कि तटेश्वरनाथ महादेव मंदिर परिसर में विभिन्न देवी-देवताओं की दर्जनों खंडित मूर्तियां बिखरी पड़ी थी। बाद में उन्हें सहेजकर रखा गया। ठेरा गांव के लोग कहते हैं कि शिवलिंग स्वयं प्रतिस्फुटित हुए हैं। हालांकि इसका पता नहीं है कि कब हुआ। कहते हैं कि जहां शिवलिंग अवस्थित है उसके आसपास श्मशान घाट है। वारिसलीगंज नगर पंचायत की सीमा पर नगर के सामबे गांव के तत्कालीन जमींदार रामेश्वर प्रसाद के समय से बाबा टतेश्वर नाथ मंदिर में प्रति वर्ष महाशिवरात्रि पर भव्य पूजा एवं शिव-पार्वती विवाहोत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है। जमींदारों के समय से आज तक उसी गांव का एक ब्राह्मण परिवार( मुंद्रिका पांडेय के वंशज) के लोग उस मंदिर के पुजारी होते रहे हैं।
महाशिवरात्रि पर लगता है भव्य मेला
वैसे तो टतेश्वर नाथ मंदिर में सालोंभर पूजा-अर्चना तथा जलाभिषेक के लिए लोग पहुंचते हैं। मांगलिक कार्यों, वाहन आदि की खरीदारी करने पर भी लोग यहां हाजिरी लगाना नहीं भूलते। सावन माह में गांव समेत क्षेत्र के सैकड़ों युवा बख्तियारपुर के पास स्थित उतर वाहिनी गंगा से कांवर में जल लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। साथ अपनी मन्नतों के अनुसार लोग उक्त मंदिर परिसर में शादी विवाह एवं अपने बच्चों का मुंडन संस्कार, जनेऊ आदि करवाते हैं। महाशिवरात्रि पर भव्य मेले का आयोजन होता है। इसमें नवादा जिले के विभिन्न गांवों समेत पड़ोसी जिले नालंदा, शेखपुरा, जमुई, लखीसराय, गया आदि से लोग पहुंचते हैं।
मुखिया गौतम कुमार सहित विनोद कुमार, गोरेलाल सिंह, छोटे सिंह, अनंत कुमार, इंदु झा, मुकेश सिंह, पप्पू सिंह, भोली सिंह, सूरज कुमार, सुभाष सिंह, दयाशंकर सिंह के सहयोग से महाशिवरात्रि मेले के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। इस वर्ष मेला का आयोजन दो मार्च को होगा। एक मार्च को विवाहोत्सव मनाने की तैयारी है।
सरकारी स्तर से उपेक्षित होता है ठेरा मेला
टतेश्वर नाथ मंदिर परिसर में कहने को तो सरकारी स्तर से मेला का आयोजन होता है। परंतु मेले में सुविधाओं का अभाव रहता है। बाबा मंदिर प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य बताते हैं कि प्रति वर्ष सरकारी खजाने में राजस्व की राशि जमा की जाती है लेकिन सरकारी स्तर से मेले में कोई व्यवस्था नहीं की जाती। सिर्फ विधि व्यवस्था को ले स्थानीय थाना की कुछ पुलिसकर्मियों की ड्टी मेले में लगाई जाती है। सरकारी स्तर से मेला का आयोजन 1949 से हो रहा है।