Move to Jagran APP

उबड़ खाबड़ मार्ग से गुजर रही जिंदगी, सुध लेने वाला कोई नहीं

पेज फोटो 373839 53 54 55 56 ----------- -अतरी प्रखंड के पुनाड़ गाव के लोगों ने 30 वषरें से नहीं देखा है सांसद या विधायक को ------- उपेक्षा -अलियानी नदी में बियर बाध बनने से क्षेत्र में पानी की समस्या होगी दूर - बिजली की अनियमित आपूर्ति व लो वोल्टेज से लोग परेशान ---------- -44 एकड़ जमीन पर होती है खेती पर सिंचाई की समस्या -08 किलोमीटर प्रखंड मुख्यालय से महज गांव की दूरी --------- संवाद सूत्र अतरी

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 09:36 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 09:38 PM (IST)
उबड़ खाबड़ मार्ग से गुजर रही जिंदगी, सुध लेने वाला कोई नहीं
उबड़ खाबड़ मार्ग से गुजर रही जिंदगी, सुध लेने वाला कोई नहीं

गया । चाद पर भी भारत के पांव पड़ गए। बड़े-बड़े शहरों के सुंदरीकरण के नाम पर अरबों रुपये सरकार पानी की तरह बहा रही है। विकास के नाम पर बहुत कुछ हो रहा पर जिस देश की आत्मा गांव में बसती है उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। नतीजा, गांवों में समस्याओं का अंबार लगा है और ग्रामीण उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

loksabha election banner

हम आज बात कर रहे हैं अतरी प्रखंड के पुनाड़ गाव की। प्रखंड मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर दक्षिण पूर्व में यह गांव स्थिति है। अतरी विधानसभा के सर्वाधिक चर्चित गाव के लोगों ने 30 वर्षो से अपने गांव में सांसद या विधायक को नहीं देखा। यहां के ग्रामीण अपनी सूझबूझ से किसी उम्मीदवार को मतदान करते हैं।

प्रखंड मुख्यालय से गाव तक पहुंचने के लिए उबड़ खाबड़ सड़क से गुजरना ग्रामीणों की मजबूरी है। सड़क बनने के बाद कभी मरम्मत नहीं कराई गई। बारिश होने पर समस्या और गंभीर हो जाती है। गाव के 44 एकड़ भूभाग पर कृषि कार्य होते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि अलियानी नदी बरसाती नदी है। इस पर एक बियर बाध बना देने से क्षेत्र का जल संकट दूर हो सकता है। नदी का पानी संचय होता रहेगा। इससे क्षेत्र के गिरते भूजल स्तर को रोका जा सकता है। बिजली की सुविधा गाव में है, लेकिन अनियमित आपूर्ति एवं लो वोल्टेज की समस्या के कारण कोई यंत्र चला पाना मुश्किल है। गाव की आबादी एवं घरों की संख्या के अनुपात में ट्रासफार्मर की कमी है। यहा फिलहाल एक अतिरिक्त ट्रासफार्मर लगाने की आवश्यकता लोग महसूस कर रहे हैं। सड़क की हालत बदतर है।

---------

तालाब व पोखर

पर अतिक्रमण

कृषि प्रधान इस गाव में सभी आहार, पोखर, पईन एवं नजदीक से गुजरने वाली एकमात्र अलियानी नदी का भी अस्तित्व मिटता जा रहा है। लंबे समय से इसकी खोदाई नहीं हुई है। इनमें से कई पर अतिक्रमण हो चुके हैं। तालाबों को भरकर मकान बनाए जा रहे हैं। ग्रामीणों का मत है कि यदि सभी जलाशयों से अतिक्रमण हटाकर इसकी खोदाई और मरम्मत करा दी जाए तो दर्जन भर गाव को सिंचाई और पेयजल संकट का स्थायी समाधान निकल आए।

-----------

स्कूल में शिक्षकों का अभाव

शिक्षा के नाम पर गाव में एकमात्र प्रारंभिक विद्यालय है, जिसकी हालत दयनीय है। भवन व बच्चों की संख्या ठीक ठाक है पर बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की कमी है। विद्यालय परिसर में शौचालय बनाया गया है, लेकिन उसमें ताले लटके रहते हैं। रसोईया लकड़ी व गोइठा से मध्याह्न भोजन बनाती हैं। प्रबंधन की मानें तो गैस सिलेंडर और चूल्हे की खरीदारी तो हुई है, लेकिन गैस की आपूर्ति नहीं होने के कारण जलावन से ही भोजन बन रहा है। विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है। माध्यमिक शिक्षा के लिए आठ किलोमीटर की परिधि में कोई उच्च विद्यालय नहीं होने से आठवीं के बाद अधिकाश बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है। खासकर गाव की लड़कियों को या तो किसी बड़े शहर की ओर रुख करना पड़ता है या फिर पढ़ाई छूट जाती है। ग्रामीण अपने गाव के मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित करने की माग करते हैं।

-----------

नीलगायों के कारण खेती प्रभावित

पहाड़ी के किनारे बसे इस गाव में जंगली आवारा पशुओं का भी आतंक रहता है। इनसे परेशान किसान खेतों में फसल नहीं लगा पाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पहाड़ी में घने वृक्षों के कारण नीलगायों का बसेरा है। जब भी कोई फसल लगाते हैं तो काफी संख्या में नीलगाय का झुंड खेतों में उतर कर फसलों को नष्ट कर देते हैं। इससे कम या छोटे जोत वाले किसानों के घर में अनाज के लाले पड़ जाते हैं।

---------

शराबबंदी कानून बेअसर

गाव में बिहार सरकार के शराबबंदी नीति का कोई प्रभाव नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि गाव और आसपास के इलाके में धड़ल्ले से शराब की बिक्री जारी है। इससे सामाजिक वातावरण बिगड़ा रहता है। गाव में अवस्थित उपस्वास्थ्य केंद्र की हालत ठीक नहीं है। यहा यदाकदा कोई एएनएम आकर सिर्फ नियमित टीकाकरण कर चली जाती है। गाव से सरकारी अस्पताल की दूरी आठ किलोमीटर है। यहा जर्जर सड़क के कारण आपातकालीन स्थिति में समय पर पहुंच पाना मुश्किल होता है। गाव का क्षेत्रफल काफी विस्तृत है। इसके इर्दगिर्द नवादा टाड, बेलदारी, मितुचक, पहाड़पुर, सिलियाडहर, जमलापर, चिरैयाटाड़ कुल सात टोले भी हैं।

-----------

पूर्व विधायक वीरेंद्र सिंह

का है पैतृक गांव

पुनाड़ वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक वीरेंद्र सिंह का पैतृक गाव है। यहा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, मंत्री प्रेम कुमार, पूर्व सीएम जीतन राम माझी सरीखे नेताओं का आना जाना रहा है। पर, गाव में विकास का रथ जस के तस है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, कृषि के अलावा अन्य सभी व्यवस्थाएं चौपट है।

---------

गाव की आबादी - 6000

मतदाता - 4000

मतदान केंद्र - 2

मध्य विद्यालय -1

प्राथमिक विद्यालय - 1

आगनबाड़ी - 1

उप स्वास्थ्य केंद्र - 1

--------

गौरवशाली रहा है

गाव का इतिहास

यहा जयप्रकाश नारायण उनकी पत्नी प्रभावती, बिनोवा भावे, रामानुग्रह नारायण सिंह सरीखे महान हस्तियों के चरण तो पड़े ही हैं। महात्मा बुद्ध को भी बुद्धत्व की खोज में राजगीर से बोधगया की ओर जाने के क्रम में इस गाव के जंगलों में कई रात विश्राम करने की भी चर्चा लोग करते हैं। बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं यह गाव पहले पुण्यारण्य नाम से जाना जाता था, जो बाद में विकृत होते होते पुनाड़ हो गया। क्षेत्र में घने जंगल थे जो पुण्य-आरण्य यानि पुण्यारण्य नाम से जाना जाता था। बौद्धिक इतिहास की रचनाओं में सिद्धार्थ को यहा ठहरने का मौका मिला था। निकट के पहाड़ी क्षेत्रों में खोदाई करने पर आज भी बौद्ध कालीन मूर्तियों के अवशेष मिलते हैं।

---

राजकीय मध्य विद्यालय में कक्षा आठ तक की पढ़ाई होती है, लेकिन शिक्षक केवल चार ही हैं। सात शिक्षक आठ कक्षा में कैसे पढ़ा सकते हैं। बच्चों के भविष्य पर संकट के बादल हैं।

शकर दयाल सिंह

-------

आलिया नदी में बियर बाध बनवा दिया जाए जिससे जल संचय का एक बड़ा स्त्रोत बन जाएगा। उससे दस गावों के किसान अपने खेतों की सिंचाई कर सकेंगे। इससे क्षेत्र का भूजल स्तर भी बना रहेगा।

सुरेंद्र सिंह

---------

पइन और पोखर के पगडंडी पर लोग मिट्टी भर कई वषरें से अपना मकान बनाने का काम कर रहे हैं। इससे पइन और पोखर का अस्तित्व समाप्त होते जा रहा है।

धीरेंद्र सिंह

----------

गाव में बिजली नहीं के बराबर है। इससे किसानों को खेती करने मे समस्या होती है। बिजली के तार भी जर्जर हो चुके हैं।

तृप्ति नारायण सिंह

--------

गाव में सात निश्चय का एक भी कार्य सफल नहीं हुआ है। न तो कहीं नाली का निर्माण किया गया और न ही ईट सोलिंग का काम।

शैलेंद्र पाडे

----------

प्रस्तुति : गौरव कुमार

मोबाइल नंबर : 7979772568


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.