शरीर का बहुत खास अंग है किडनी, इसे बचाना जरूरी, दर्द की दवा और एंटीबायोटिक्स का कम करें सेवन
विश्व किडनी दिवस पर भारत विकास परिषद की ओर से जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें शहर के प्रसिद्ध चिकित्सकों ने किडनी की सुरक्षा की जानकारी दी। कहा कि फास्ट फूड का सेवन कम करें एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल से बचें।
जागरण संवाददाता, गया। शहर के किडनी रोग विशेषज्ञ (Nephrologist) डॉ. मृत्युंजय कुमार ने कहा कि किडनी (Kidney) मानव शरीर का बेहद ही खास अंग है। यह शरीर में खून से पानी, सोडियम, पोटेशियम तथा कई दूसरे हानिकारक पदार्थों को साफ करके पेशाब के जरिए बाहर करता है । यह एक तरह से फिल्टर का काम करता है। इसलिए किडनी की सुरक्षा जरूरी है। वे रविवार को विश्व किडनी सप्ताह पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। भारत विकास परिषद गायत्री, अनुग्रहपुरी शाखा के सौजन्य से जागरूकता कार्यक्रम किया गया।
हर किडनी के मरीज में एक समान नहीं होते लक्षण
किडनी की बीमारियों के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। यह निर्भर करता है किडनी के अंतर्निहित रोग और उसकी गंभीरता पर। इसलिए रोग का प्रारंभिक दौर में पता लगाना मुश्किल होता है। शुरुआती चार चरणों में यह बीमारी दवा से ठीक हो सकती है। क्रोनिक किडनी डिजीज में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प है ।
दर्द निवारक दवाएं व एंटीबायोटिक्स के अधिक इस्तेमाल से बचें
गया के वरिष्ठ सर्जन डॉ. रतन कुमार ने कहा कि किडनी की बीमारी का सबसे बड़ा कारण अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व मोटापा है। दर्द निवारक दवाइयां और एंटीबायोटिक का ज्यादा प्रयोग दूसरा सबसे बड़ा कारण है। गलत खानपान, फास्ट फूड, धूम्रपान, शराब सेवन, व्यायाम और शारीरिक सक्रियता में कमी भी किडनी की बीमारी का मुख्य कारण है ।
औरतों में प्रजनन क्षमता कम करती है किडनी की गंभीर बीमारी
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मेघा सिन्हा ने कहा कि महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) पुरुषों के समान ही खतरनाक है। बल्कि महिलाओं में सीकेडी विकसित होने की आशंका पुरुषों से 5 फीसद अधिक होती है। सीकेडी को बांझपन और सामान्य गर्भावस्था व प्रसव के लिए भी रिस्क फैक्टर माना जाता है। इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम होती है। मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है।
किडनी रोग के सामान्य लक्षण
उच्च रक्तचाप, पेशाब में रुकावट, पेशाब मात्रा से कम आना, ज्यादा थकान, शरीर में पीलापन, भूख की कमी, चेहरे, पेट और पैरों में सूजन