बिहार के अंदर एक वर्ष में जड़ से समाप्त होगा कालाजार, अंतिम प्रहार के लिए होगा चार बार छिड़काव
बिहार कालाजार को जड़ से समाप्त करने की दिशा में बढ़ चला है। 2021 के अंत तक इसे समाप्त करने का लक्ष्य है। अभियान चलाकर इस वर्ष दो की जगह चार बार छिड़काव होगा। साथ ही इसके मरीजों का एमबीजोम की डोज दी जाएगी।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार कालाजार को जड़ से समाप्त करने की दिशा में बढ़ चला है। 2021 के अंत तक इसे समाप्त करने का लक्ष्य है। अभियान चलाकर इस वर्ष दो की जगह चार बार छिड़काव होगा। साथ ही इसके मरीजों का एमबीजोम की डोज दी जाएगी।
तकरीबन 10 वर्ष पूर्व बिहार के 38 में 33 जिलों के 334 प्रखंड कालाजार की चपेट में थे। इन प्रखंडों में 130 प्रखंड स्थाानिक (इंडिमिक) थे। इन जिलों और प्रखंडों में कालाजार उन्मूलन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर अभियान प्रारंभ किया गया। स्वास्थ्य विभाग को प्रभावित जिलों में दो बार बालू मक्खी को मारने के लिए दवा छिड़काव करने के साथ-साथ सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रभावितों के इलाज की सुविधा विकसित करने के निर्देश दिए गए।
प्रभावितों को मुख्यमंत्री कालाजार सहायता योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था भी बनाई गई। योजना के तहत प्रभावित मरीज को 71 सौ रुपये दिए जा रहे हैं।
10 वर्ष लगातार चले अभियान का नतीजा है कि प्रदेश में इससे प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 18 रह गई है। जबकि प्रखंडों की संख्या भी 41-42 रह गई है। 10 वर्ष पहले 130 प्रखंड स्थाानिक (इंडिमिक) थे वे आज घटकर महज चार रह गए हैं। इनमें तीन सारण प्रमंडल और एक सिवान में हैं। 2020 तक इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने की योजना थी, जिसे कोरोना की वजह से एक वर्ष का विस्तार दिया गया है।
एक नजर में
2010 में थे - 23084 मरीज
2020 में रह गए - 2712
2010 में - 334 प्रखंड थे चपेट में
2020 में - 41-42 प्रखंड हैं प्रभावित
हर मरीज को मिलती है- 71 सौ रुपये की सहायता
क्या है मंत्रीजी
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि अगले साल तक कालाजार को खत्म करने का लक्ष्य है। इस वर्ष मरीजों की पहचान के लिए पूरे प्रदेश में चार बार अभियान चलाया जाएगा। फिलहाल 28 उपचार केंद्रों पर निशुल्क इलाज की व्यवस्था है। एक्शन प्लान बनाकर काम किया जा रहा है।