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कैमूर समाचार: सब्जियों की कीमत में वृद्धि से आम आदमी की जेब हो रही ढीली, आर्थिक बोझ बढ़ा

इस बार ठंड के मौसम में सब्जियों की कीमत कम नहीं हुई। ठंड में सब्जी की कीमत कम रहने से लोग भरपूर सब्जी खरीदते थे लेकिन इस बार स्थिति ऐसी है कि लोग किलो के बजाए पाव तथा आधा किलो सब्जी लेकर गुजारा कर रहे है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sat, 01 Jan 2022 03:02 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jan 2022 03:02 PM (IST)
कैमूर समाचार: सब्जियों की कीमत में वृद्धि से आम आदमी की जेब हो रही ढीली, आर्थिक बोझ बढ़ा
सब्जियों की कीमत में वृद्धि से लोग परेशान। सांकेतिक तस्‍वीर।

संवाद सहयोगी, भभुआ। इस बार ठंड के मौसम में सब्जियों की कीमत कम नहीं हुई। इसे लोग भी आश्चर्य मान रहे हैं। ठंड में सब्जी की कीमत कम रहने से लोग भरपूर सब्जी खरीदते थे, लेकिन इस बार स्थिति ऐसी है कि लोग किलो के बजाए पाव तथा आधा किलो सब्जी लेकर गुजारा कर रहे है। दुकानदारों का कहना है कि बाहर से ही सब्जियां महंगी आ रही हैं। इस वजह से कीमत अधिक है। सब्जियों के बढ़े हुए दाम से आम आदमी की जेब ढ़ीली हो रही है। महंगाई ने आम आदमी की जेब को हल्का करना शुरु कर दिया है। रसोई में दाल का स्वाद फीका हो रहा है और सब्जियों का स्वाद बिगड़ गया है।

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सब्जी - कीमत

  • टमाटर - 40 रुपये किलो
  • शिमला मिर्च - 100 रुपये
  • नेनुआ  - 60 रुपये
  • परवल - 80 रुपये किलो
  • भिंडी  -  60 रुपये किलो
  • लौकी -  40 रुपये किलो
  • प्याज - 30 रुपये किलो
  • आलू - 18 रुपये किलो
  • लहसुन - 100 रुपये किलो
  • पालक- 30 रुपये किलो
  • करैला - 60 रुपये किलो
  • कटहल - 50 रुपये किलो
  • बैगन - 40 रुपये किलो
  • बोदी - 60 रुपया किलो
  • विन्स - 60 रुपया किलो

सब्जियों के बढ़ रहे दाम का असर अब लोगों की थालियों में दिखने लगा है। सब्जी मंडी में थोक कारोबारियों का कहना है कि बाहर से ही अधिक कीमत पर सब्जी आ रही है। जिससे यहां के बाजारों में कीमतें बढ़ी हुई है। नये साल तथा नवंबर व दिसंबर माह में सर्दी का मौसम आते ही कीमतों में काफी गिरवाट आ जाती थी। जिसमें आलू, टमाटर, गोभी आदि चीजें काफी सस्ती हो जाती थी। टमाटर के शौकीनों की थाली से जहां टमाटर गायब है, वहीं हरी सब्जियां भी आंख से आंसू निकाल रही हैं। आलम यह है कि बाजार में सब्जी की खरीदारी करने वाले लोग मोल भाव करने के बाद ही खरीदारी कर रहे हैं। जो सब्जी मंहगी लग रही है , उसे नहीं खरीद रहे हैं। पांच किलो या दस किलो तक सब्जी लेने वाले समय में अभी भी पाव व आधा किलो तक सब्जी खरीदनी पड़ रही है।


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