Bihar Politics:पंचायत चुनाव के जरिए अपनी जड़ों को ताकत देगा जदयू, अधिक से अधिक कार्यकर्ता उतरेंगे मैदान में
गया जिले में विधानसभा चुनाव परिणाम जदयू के लिए अपेक्षित नहीं रहा। भविष्य के मद्देनजर संगठन की मजबूती पर ध्यान दिया जा रहा है। इस क्रम में निर्णय लिया गया है कि पंचायत चुनाव में पार्टी के अधिक से अधिक कार्यकर्ता उतरेंगे।
जेएनएन, गया। जिले में इस बार का विधानसभा चुनाव का परिणाम जदयू (JDU)के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा। दो जगहों से जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ रहे पार्टी प्रत्याशी चुनाव हार गए। पार्टी के इस प्रदर्शन से प्रदेश नेतृत्व भी चौंक गया। हालांकि अब बीती ताहि बिसार दे की तर्ज पर पार्टी का ध्यान 2021 के पंचायत चुनाव पर टिक गया है। इसकी तैयारी में जिला जदयू के तमाम नेता अपने-अपने स्तर से अभी से ही जुटते हुए दिखाई दे रहे हैं। अभी हाल ही में जदयू अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ की बैठक में इस बात के संकेत भी दिए गए। पार्टी संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं को आगामी पंचायत चुनाव के लिए अभी से ही कमर कसने को कहा गया।
संगठन के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा उतारने की हो रही तैयारी
गया जिले में विधानसभा चुनाव में जिस तरह से जदयू को महत्वपूर्ण सीटों पर हार मिली उसमेें उपरी खेमा को मंथन पर मजबूर कर दिया है। उनका मानता है कि निचले स्तर का संगठन कमजोर हुआ। इसी वजह से हार मिली। उसे मजबूत करना जरूरी है। जिले की अधिसंख्य आबादी गांवों, पंचायतों में रहती है। गांव-कस्बों के मतदाता पंचायत चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार को चुनते हैं। ऐसे में जदयू की सोच है कि उनके संगठन से जुड़े ज्यादा से ज्यादा लोग चुनाव जीतकर आएं। उनका संगठन मजबूत हो। इधर पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट तेज होते ही राजनीति में गरमाहट आ गई है।
ग्राम स्वराज की परिकल्पना को मजबूती देता है पंचायत स्तरीय लोक प्रतिनिधित्व
पंचायत चुनाव गांव-कस्बों का चुनाव होता है। जहां 8 से 10 गांवों पर बनी एक पंचायत में मुखिया से लेकर पंचायत समिति, सरपंच व वार्ड सदस्यों का चुनाव होता है। दरअसल में यह पंचायती राज व्यवस्था का मूल स्वरूप है। ग्राम स्वराज की परिकल्पना है। इसी के इर्द-गिर्द निचले स्तर से शुरू होकर राजनीति राज्य के विधानसभा, विधानपरिषद से होते हुए देश की संसद तक पहुंचती है।