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औरंगाबाद के जदयू नेता बोले-कोरोना से लड़ाई में सीएम नीतीश कुमार में लोगों की बढ़ी विश्‍वसनीयता

कोरोना से लड़ाई में राज्‍य सरकार की सफलता को औरंगाबाद के जदयू जिलाध्‍यक्ष ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्‍होंने कहा कि लेागों में मुख्‍यमंत्री के प्रति विश्‍वसनीयता बढ़ी है। सरकार अब तीसरी लहर से लड़ने को भी तैयार है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 09:37 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 09:37 AM (IST)
औरंगाबाद के जदयू नेता बोले-कोरोना से लड़ाई में सीएम नीतीश कुमार में लोगों की बढ़ी विश्‍वसनीयता
कोरोना काल में सीएम नीतीश कुमार की रही अहम भूमिका। फाइल फोटो व कोरोना की संकेतात्‍मक तस्‍वीर

औरंगाबाद, जाागरण संवाददाता। जदयू के जिलाध्यक्ष विश्‍वनाथ सिंह ने कहा है कि बिहार में कोरोना जैसी  महामारी से लड़ने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने लोगों के बीच जो विश्‍वसनीयता कायम की है वह स्वागतयोग्य है। उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य हित में सभी जिलों में 100 से लेकर 500 बेड तक आक्सीजन युक्त कोविड सेंटर एवं लिक्विड आक्सीजन गैस को स्पेयर करने के लिए महत्वपूर्ण जगहों पर क्रायोजेनिक आक्सीजन टैंक की स्थापना कराई। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम किया जाना सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। 

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छह माह में होगा छह करोड़ टीकाकरण 

जदयू नेता ने कहा कि पूरे प्रदेश भर में युवाओं एवं बुजुर्गों को अबतक 1 करोड़ 47 लाख लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है। अगले छह माह के अंदर छह करोड़ टीकाकरण कर लिया जाएगा। पूरे देश भर में वैक्सि‍नेशन के मामले में अन्य राज्यों की तुलना में बिहार एक नंबर पर रहा है। वहीं राज्य के ग्रामीण इलाकों में 1 करोड़ 42 लाख लोगों के बीच मास्क वितरण भी किया जा चुका है।

तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी शुरू 

कहा कि प्रदेश की सरकार कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Coronavirus) के लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। कोरोना की लड़ाई के क्रम में ब्लैक फंगस जैसे महामारी के बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच में 70 बेड और आइजीआइएमएस में 100 बेड की अलग से व्यवस्था कराया जाना इसके लिए सकारात्मक कदम बताया। कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां कोरोना के मौत पर उनके आश्रित परिवार वालों को चार लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का प्रावधान किया गया है। वहीं राज्य भर में कोरोना की त्रासदी में अनाथ हुए बच्चे एवं बच्चियों को 18 वर्ष तक बाल सहायता योजना के तहत 1500 रुपये तक भत्ता देने का फैसला उन पीड़ित परिवार वालों के लिए रक्षा कवच से कम नहीं है। 


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