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जैन मुनि विशुद्ध सागर जी ने कहा- हर पल सकारात्‍मक रहें, नम्रता बरतें और अहिंसा धर्म का पालन करें

नवादा पहुंचे जैन मुनि विशुद्धसागर जी का स्‍वागत जैन समाज की ओर से किया गया। इस दौरान यहां दो संघों के मिलन का दृश्‍य देख श्रद्धालु मंत्रमुग्‍ध हो गए। जैन संत ने कहा कि अपने जीवन में सकारात्‍मकता अहिंसा और सत्‍य को स्‍थान दें।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 03:55 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 03:55 PM (IST)
जैन मुनि विशुद्ध सागर जी ने कहा- हर पल सकारात्‍मक रहें, नम्रता बरतें और अहिंसा धर्म का पालन करें
प्रवचन करते जैन संत विशुद्धसागर जी। जागरण

जासं, नवादा। पदयात्रा करते हुए शनिवार काे संघ सहित नवादा पहुंचे प्रसिद्ध दिगंबर जैन संत श्री विशुद्ध सागर महाराज जी का जैन समाज की ओर से भव्य स्वागत किया गया। नवादा नगर की सीमा पर ही मस्तानगंज के समीप आचार्य श्री के गुरुभाई जिनश्रुत मनीषी श्रमणमुनि श्री विशल्य सागर महाराज ने स्थानीय जैन समाज के साथ उनकी गर्मजोशी के साथ आगवानी की। मौके पर ही दोनों मुनिजनों का भव्य मंगल मिलन दृश्य देख श्रद्धालु अभिभूत हो उठे।

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अशुद्ध आचरण से प्रभावित होती हैं इंद्रियां

गाजे-बाजे के साथ ही जैन धर्म के जयघोष के साथ नवादा नगर का परिभ्रमण करते हुए 30 जैन संतों का काफिला नवादा स्थित दिगम्बर जैन मंदिर पहुंचा, जहां श्रद्धालुओं ने सभी मुनिजनों के पांव धाेकर कर उनका आशीष प्राप्त किया। मौके पर प्रवचन करते हुए विशुद्ध सागर महाराज ने कहा व्यक्ति का एक अशुद्ध आचरण उसकी समस्त इंद्रियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि जिस तंत्र को एक्टिव कर व्यक्ति आक्रामक हो जाता है, उसी तंत्र को सकारात्मक रूप से एक्टिव कर व्यक्ति नरम हो सकता है। अर्थात जिससे गरम, उसी से नरम। जो मुख चिल्ला सकता है, वही मुख नम्रता को भी प्रदर्शित कर सकता है।

नम्रता, सत्‍य और अहिंसा को जीवन में करें आत्‍मसात

उन्होंने जैन दर्शन को विश्व का सबसे प्रामाणिक एवं वैज्ञानिक दर्शन बताते हुए अपने व्यवहारिक जीवन ने नम्रता, सत्य एवं अहिंसा धर्म को आत्मसात करने का आह्वान किया। महाराज ने अपने गुरुभाई मुनिश्री विशल्य सागर जी महाराज के संपादन में आचार्य कुंद कुंद स्वामी द्वारा रचित रयण सार ग्रंथ का विमोचन भी किया। कार्यक्रम के समापन के पश्चात गुरुजनों ने श्रद्धालुओं के कर-कमलों से आहार ग्रहण किया। तदोपरांत आचार्यश्री का संघ भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम गणधर स्वामी की ज्ञान भूमि जल मंदिर एवं निर्वाण भूमि श्री गोणावां जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र के लिए विहार कर गया। गोणावां सिद्ध क्षेत्र पर जैन समाज के लोगों ने संघस्थ सभी मुनिजनों का पदप्रच्छालन कर स्वागत किया। कार्यक्रम में स्थानीय जैन समाज के दीपक जैन, अभय जैन, अशोक कुमार जैन, भीमराज जैन, सत्येंद्र जैन, उदय जैन, विनोद जैन गर्ग, पदम जैन सोना, संजय जैन, विमल जैन, संदीप जैन, अजीत जैन, शीला जैन, ममता जैन, मिंटू जैन, संतोष जैन आदि के साथ ही सीमावर्ती जिले कोडरमा एवं गया के भी श्रद्धालु भी शामिल थे।


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