Move to Jagran APP

Gaya News: घी-मक्‍खन मिला सत्तू और मैदा से बने तोरमा पर उकेरे जाते हैं तिब्बती देवी-देवताओं के चित्र

रंग बिरंगे तोरमा पर तिब्बती बौद्ध धर्म मे तंत्र से जुड़े देवी-देवताओं के चित्र उकेरा रहता है जो तंत्र का प्रतीक होता है। जिसे प्रशिक्षित बौद्ध लामाओं द्वारा शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है। तोरमा को प्रायः धूप से बचाकर रखा जाता है। तोरमा तीन प्रकार का हाेता है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 08:07 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 08:07 AM (IST)
Gaya News: घी-मक्‍खन मिला सत्तू और मैदा से बने तोरमा पर उकेरे जाते हैं तिब्बती देवी-देवताओं के चित्र
घी लगाकर सत्तू और मैदा से बने तोरमा। जागरण।

[विनय कुमार मिश्र] बोधगया, (गया)। बोधगया के पर्यटन मौसम में विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में तिब्बतियों के विभिन्न पंथ द्वारा विश्व शांति के निमित्त पूजा का आयोजन किया जाता है, जो मूलतः तंत्र वाद पर आधारित होता है। पूजा आयोजन स्थल पर सजा कर रखा जाने वाला तोरमा रखा जाता है। यह घी, मख्खन, मिला हुआ अनाज से तैयार सत्तू और मैदा का मिश्रण कर बनाया जाता है।

prime article banner

रंग बिरंगे तोरमा पर तिब्बती बौद्ध धर्म मे तंत्र से जुड़े देवी-देवताओं के चित्र उकेरा रहता है, जो तंत्र का प्रतीक होता है। जिसे प्रशिक्षित बौद्ध लामाओं द्वारा शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है। तोरमा को प्रायः धूप से बचाकर रखा जाता है। तोरमा तीन प्रकार का बनाया जाता है, भगवान को समर्पित करने के लिए खेशे तोरमा, प्रसाद स्वरूप वितरण के लिए छोंक तोरमा और तिब्बती तंत्र के देवी-देवताओं को प्रदर्शित करने के लिए बड़े बड़े तोरमा होता है। प्रायः बड़े तोरमा के सामने खेशे और छोंग तोरमा को रखा जाता है।

प्राचीन तिब्बत मंदिर के प्रभारी लामा अमजी बताते है कि भारतीय तंत्र के प्रतीक के रूप में शिव व काली की पूजा की जाती है। उसी तरह तिब्बती बौद्ध धर्म में देवी तारा को शक्ति व तंत्र के देवी के रूप में ख्याति प्राप्त है। देवी तारा को तिब्बती बौद्ध श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं। तिब्बती बौद्ध साहित्य के अनुसार मानव सभ्यता के उदय के साथ मंत्र तंत्र का उदय भी माना जाता है। तिब्बती बौद्ध लामाओं द्वारा तारिणी तंत्र का प्रयोग किया जाता है। वे इससे साधना कर अद्भुत अलौकिक शक्ति प्राप्त करने का अनुभव करते हैं।

तारिणी तंत्र में देवी तारा की साधना की जाती है। वे कहते है कि तिब्बत में निगमा, शाक्या, गेलुक और कग्यू संप्रदाय हैं, वे सभी वज्रयान के तंत्र यान से प्रभावित हैं। सभी पंथ में बनाये जाने वाले तोरमा का डिजाइन अलग अलग होता है। यही कारण है कि बोधगया में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले तिब्बतियों के पूजा में इसका अलग अलग रूप देखने को मिलता है। इस बार भी तिब्बतियों के निगमा पंथ के पूजा में छोटे बड़े तोरमा की आकर्षक ढंग से सजा कर बोधिवृक्ष की छांव में रखा जाता है। जो मंदिर भ्रमण के दौरान बरबस आपका ध्यान खिंच लेता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.