जागरण विशेष: अधौरा के पहाड़ी जड़ी बूटियों से बने च्यवनप्राश की बाजारों में खूब है मांग, वैज्ञानिकों की देखरेख में बनता है च्यवनप्राश
कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा के वैज्ञानिकों की देखरेख में यह च्यवनप्राश बनाया जाता है। उसके बाद च्यवनप्राश की पैकिंग कर विभागीय पदाधिकारियों के साथ-साथ अन्य बाजारों में भी उपलब्ध कराया जाता है। इसकी आम लोगों में नही खूब मांग है।
संवाद सहयोगी, भभुआ: पहाड़ी प्रखंड अधौरा के जंगलों में अति दुर्लभ जड़ी बूटियों से च्यवनप्राश बनकर बाजारों में आता है।च्यवनप्राश की डिमांड कैमूर जिले के अलावा दूसरे जिले में भी हैं। जड़ी बूटियों से बने च्यवनप्राश की मांग उत्तर प्रदेश में भी की जाती है। दरअसल अधौरा में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की देखरेख में जड़ी बूटी, हरे बहेरा, मूसली व अन्य कई चीजें डाल कर च्यवनप्राश बनाया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा के वैज्ञानिकों की देखरेख में यह च्यवनप्राश बनाया जाता है। उसके बाद च्यवनप्राश की पैकिंग कर विभागीय पदाधिकारियों के साथ-साथ अन्य बाजारों में भी उपलब्ध कराया जाता है।
सितोपलादि चूर्ण, अश्वगंधा का पाउडर के अलावा कई औषधी बनाया जाता है
कृषि वैज्ञानिक सदानंद राय ने बताया कि अधौरा के कृषि विज्ञान केंद्र की देखरेख में च्यवनप्राश बनाया जाता है। च्यवनप्राश अधौरा के कृषि विज्ञान केंद्र के अंदर से जड़ी बूटी, आंवला व अन्य चीजें डालकर बनाया जाता है। इसके अलावा केंद्र के अंदर औषधीय चूर्ण में सितोपलादि चूर्ण, अश्वगंधा का पाउडर के अलावा कई औषधी बनाया जाता है। इसके अलावा केंद्र में सूरन का अचार, आंवला, आम सहित अन्य चीजों का अचार बनाया जाता है। इसके अलावा जैली, जैम व अन्य चीजें भी बनाई जाती है। साथ ही इसकी ब्रांडिंग करते हुए पैकिंग कर बाजार में बेंचा जाता है। सर्दी के मौसम में हर दिन करीब आठ क्विंटल चवनप्राश तैयार होता है। जिसकी मांग जिले के अलावा राज्य स्तरीय पदाधिकारी समय-समय पर करते हैं।