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बराज का पौंड लेबल मेंटेन करने में लगा छह दिन समय, हाईड्रोलिक सिस्टम में छेड़छाड़ न करने का आग्रह, सिंचाई सुविधा का प्रयास

झारखंड का भीम बराज मोहम्मदगंज का गेट आन कर उत्तर कोयल मुख्य नहर में टेस्टिंग के लिए शु्क्रवार से 272 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसकी जानकारी बराज डिवीजन के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार ने दी है। अब किसानों को सिंचाई में सुविधा मिलने की उम्मीद है ।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 09:14 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 09:14 AM (IST)
बराज का पौंड लेबल मेंटेन करने में लगा छह दिन समय, हाईड्रोलिक सिस्टम में छेड़छाड़ न करने का आग्रह, सिंचाई सुविधा का प्रयास
उत्तर कोयल मुख्य नहर में टेस्टिंग के लिए शु्क्रवार से 272 क्यूसेक पानी छोड़ा गया

 संवाद सूत्र, अंबा (औरंगाबाद) : झारखंड का भीम बराज मोहम्मदगंज का गेट आन कर उत्तर कोयल मुख्य नहर में टेस्टिंग के लिए शु्क्रवार से 272 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसकी जानकारी बराज डिवीजन के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार ने दी है। बताया कि नहर में पानी छोड़े जाने से पलामू जिले के हैदरनगर व हुसैनाबाद के साथ हीं जिला के दक्षिणी क्षेत्र के किसान को नर्सरी तैयार करने में सहायता मिलेगी। बताया कि इससे पहले 18 जून शनिवार को झारखंड के मेदनीनगर स्थित रूपांतरण प्रमंडल द्वारा बिहार को बराज हैंडओवर कर दिया गया था। 

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19 जून की शाम बराज का सभी गेट एक साथ डाउन कर दिया गया। बताया कि बराज को पौंड लेबल (2•3 मीटर ) मेटेंन करने में 6 से 7 दिन का समय लग गया। कोयल नदी से बराज में पानी का आमद बहुत कम है। इतना कम पानी में क्षमता अनुरूप नहर का संचालन फिलहाल संभव नहीं दिखता है। एसडीओ ने बताया कि वर्तमान में नदी से बराज को मात्र 532 क्यूसेक पानी प्राप्त हो रहा है जो अत्यंत कम है। क्षमता अनुसार नहर के संचालन के लिए हर रोज 2500 क्यूसेक से अधिक पानी की आवश्यकता है। उक्त नदी के जल अधिग्रहण क्षेत्र में वर्षा होने के बाद वरीय अधिकारियों के निर्देशानुसार नहर को लगातार गतिशील रखा जायेगा।

उल्लेखनीय है कि उत्तर कोयल नहर बरसाती नहर है। झारखंड के गुमला, लोहरदगा व पलामू के साथ गढ़वा जिले के भू-भागो में जब वर्षा होती है तो कोयल नहर में सिंचाई के लिए पानी एकत्रित कर छोड़ा जाता है। वर्षा न होने पर बराज में पानी के लिए इंद्रदेव की ओर टकटकी लगाना पड़ता है। संवाद प्रेषण तक कुटुंबा नवीनगर व देव प्रखंड के अधिकांश किसान धान का बिचड़ा नहीं डाल पाए हैं। इस क्षेत्र के किसान पूरी तरह से प्रकृति पर आश्रित होते हैं। पानी छोड़ने के बाद मेन कैनाल व उसकी वितरणियों की तटंबंध मजबूत रहा तो भी किसान के खेतों तक पानी पहुंचने में 10 से 15 दिन बीत जाता है। 

इतने दिनों में धान की नर्सरी तैयार करने का समय बीत जाएगा तथा किसान अकाल सुखाड़ का सामना करने के लिए मजबूर होगें। आज से काम करेगा बराज का सिंग्नल जल संसाधन विभाग औरंगाबाद के सहाय अशोक कुमार ने बताया है कि शुक्रवार दोपहर में मेन कैनाल का राइट साइड का गेट खोल कर जांच की जा रही है। 25 जून से बराज का सिंग्नल काम करने लगेगा। इसके बाद धीरे-धीरे टेस्टिंग के लिए नहर में पानी बढ़ाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि मेरा तबादला हो गया है पर सब कुछ अनुकूल रहा तो उत्तर कोयल नहर को रेगुलर रखने की कोशिश की जाएगी। किसान नहर के हाइड्रोलिक सिस्टम से छेड़छाड़ करने का प्रयास न करें। ऐसा करना कानूनन अपराध है। यथासंभव नागरिक नहर के मानिटरिंग कार्यों में सहयोग करें। इस वर्ष अभी तक वर्षा नहीं हुई है तटंबंध सूखा है। तटबंधो में छिद्र खुलने की आशंका भी रहती है। किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए विभाग हर संभव कोशिश कर रहा है। बताया कि प्रावधानों के अनुसार एक जुलाई से टेस्टिंग के लिए नहर में पानी छोड़ा जाता पर किसान हित में पहले ये कार्रवाई की गई है।


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