Aurangabad: गर्भवती महिलाओं व शिशुओं की सेहत पर ध्यान देना जरूरी, पड़ता है विपरीत प्रभाव
कोरोना महामारी में गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है। खासकर उनके पोषण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बेहतर खानपान से पोषण का स्तर ठीक होता है। ये बातें औरंगाबाद की चर्चित स्त्री रोग विशेषज्ञ ने कहीं।
गया, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के दौरान शिशु व गर्भवती महिलाओं (Child and pregnant lady) के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। ऐसे समय में पोषण (Nutrition) एक महत्वपूर्ण विषय है। कोविड संक्रमण के समय में कुपोषण का स्तर नहीं बढ़े इसके लिए उनका खानपान बेहतर होना चाहिए। पौष्टिक आहार का गहरा संबंध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से होता है। मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण के जोखिम को कम करता है। यह कई प्रकार की संक्रामक व गैरसंक्रामक बीमारियों से बचाव करता है। यह बातें शहर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मेघा सिन्हा ने कहीं।
बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए गर्भवती महिला का खानपान महत्वपूर्ण है। कुपोषित गर्भवती महिलाओं की संतान भी कुपोषित होती है। कुपोषण के कारण मातृ व शिशु मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। कुपोषण के कारण बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित होता है। कुपोषण के कारण संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है। गर्भवती महिलाओं अथवा भविष्य में मां बनने वाली महिलाओं व किशोरियों व धात्री महिलाओं के लिए ऐसे समय में विशेष तौर पर पौष्टिक खानपान पर ध्यान देने की जरूरत है। धात्री महिलाओं के लिए शिशु के नियमित स्तनपान और अनुपूरक आहार दिया जाना महत्वपूर्ण है। इन सबके के साथ स्वच्छता के नियमों का पालन भी करना है।
नियमित रूप से बच्चे को कराएं स्तनपान
शिशुओं को कुपोषण से बचाने के लिए नियमित रूप से धात्री महिलाएं स्तनपान करायें। पहले छह माह तक के बच्चों को सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। इसके बाद पूरक आहार भी देना चाहिए। शिशुओं के अनुपूरक आहार में दलिया, सूजी का हलवा, दाल, हरी पत्तेदार सब्जी, मौसमी फल, अंडा, मांस आदि शामिल करें। बच्चों को बाहरी व जंक फूड आदि की आदत नहीं लगाएं। घर का ताजा भोजन ही खिलाएं। डॉ. मेघा सिन्हा दो साल तक के बच्चों को सभी तरह के टीके समय से लगाने की सलाह देती हैं।