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गर्भस्थ लिग की जांच संज्ञेय अपराध, पांच साल तक सजा का प्रावधान

आजादी के अमृत महोत्सव के 75 वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दो अक्टूबर से 14 नवम्बर तक पैन इंडिया विधिक जागरूकता कार्यक्रम किया जा रहा है। गुरुआ प्रखंड के गुनेरी पंचायत के गमहरिया गांव में पैनल अधिवक्ता नसीम अख्तर और पीएलभी अर्चना कुमारी ने पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के बारे में ग्रामीणों को जानकारी दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 10:54 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 10:54 PM (IST)
गर्भस्थ लिग की जांच संज्ञेय अपराध, पांच साल तक सजा का प्रावधान
गर्भस्थ लिग की जांच संज्ञेय अपराध, पांच साल तक सजा का प्रावधान

जागरण संवाददाता, गया :

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आजादी के अमृत महोत्सव के 75 वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दो अक्टूबर से 14 नवम्बर तक पैन इंडिया विधिक जागरूकता कार्यक्रम किया जा रहा है। गुरुआ प्रखंड के गुनेरी पंचायत के गमहरिया गांव में पैनल अधिवक्ता नसीम अख्तर और पीएलभी अर्चना कुमारी ने पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के बारे में ग्रामीणों को जानकारी दी। अधिवक्ता ने कहा कि देश में गिरते लिगानुपात और भ्रूण हत्या को रोकने के लिए पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक कानून 1994 में लाया गया था। जन्म से पहले शिशु के लिग की जांच पर पाबंदी है। लिग निर्धारण के लिए अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले माता-पिता या जांच करने वाल डाक्टर व कर्मचारियों को पांच साल तक की सजा हो सकती है। 10 से 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। 11 दिसम्बर को होनेवाले राष्ट्रीय लोक अदालत से अवगत कराया। आंगनबाड़ी सेविकाओं ने गांवों और शहर के मलीन बस्तियों में जाकर वीडियो, पम्पलेट, आडियो संदेश द्वारा लोगों को जागरूक किया। अमृत महोत्सव कार्यक्रम की सफलता को लेकर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार अंजू सिंह ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ला कालेज के छात्रों के साथ बैठक की।

कैंप लगाकर लोगों को दी गई कानून की जानकारी

जागरण संवाददाता, मानपुर : नगर प्रखंड के चाकंद के बारा गांव में सोमवार को लीगल अवेयरनेस कैंप का आयोजन किया गया। जहां अधिवक्ताओं ने लोगों को कानून और न्यायतंत्र से जुड़े विषयों पर जानकारी दी। बिहार लीगल नेटवर्क के प्रोग्राम कोऑडिनेटर आमिर सुब्हानी ने कहा कि वंचित और गरीब तबके के लोग सही जानकारी एवं उचित परामर्श के अभाव में अपनी कानूनी लड़ाई सही से नहीं लड़ पाते हैं। जिसे न्याय मिलना मुश्किल हो जाता है एवं न्यायतंत्र से भरोसा उठ जाता है। बीएलएन ऐसे ही लोगों का सहारा बनकर निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक निशुल्क लड़ाई लड़ने का काम कर रहा है।


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