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गया में नवंबर के दूसरे हफ्ते गर्भवतियों की एचआईवी जांच को लगेगा विशेष कैंप, हरेक पीएचसी व सीएचसी में मिलेगी सुविधा

गया जिले में गर्भवती की एचआईवी जांच को विशेष कैंप लगाया जाएगा। जिले में 30 हजार बैकलॉग है। हरेक पीएचसी व सीएचसी में स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर पर यह कैंप लगाया जाएगा। एचआईवी के अलावा हिमोग्लोबिन व भीडीआरएल जांच की भी व्यवस्था रहेगी।जिले भर में अभी 74 गर्भवती  एचआईवी संक्रमित हैं।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 05:39 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 05:39 PM (IST)
गया में नवंबर के दूसरे हफ्ते गर्भवतियों की एचआईवी जांच को लगेगा विशेष कैंप, हरेक पीएचसी व सीएचसी में मिलेगी सुविधा
गया में गर्भवतियों की एचआईवी जांच को लगेगा विशेष कैंप

विनय कुमार पांडेय, गया: किसी गर्भवती से उसके बच्चे को संभावित एचआईवी का संक्रमण से बचाने के लिए जिले में विशेष प्रसव पूर्व जांच कैंप (एएनसी) का आयोजन होना है। नवंबर माह के दूसरे सप्ताह में जिले के स्वास्थ्य उपकेंद्रों में इस विशेष जांच कैंप का आयोजन होगा। स्वास्थ्य महकमा इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है। हरेक प्रखंड में सात-सात कैंप लगेंगे। एक दिन में हरेक पीएचसी, सीएचसी में दो-दो स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर इस तरह का जांच होना है। जिले भर में 191 जांच कैंप लगाने की तैयारी हो रही है। जांच की रिपोर्ट कैंप में ही 10 मिनट के अंदर मिल जाएगा। यह पूरा आयोजन बिहार एडस कंट्रोल सोसायटी व स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया जाएगा। 

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जिलेभर में अभी 74 गर्भवती एचआईवी संक्रमित

गर्भवती को जांच की सभी सुविधाएं बिल्कुल मुफ्त मिलेगी। कोरोना काल में लाकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में गर्भवती का एएनसी नहीं हो सका। करीब 30 हजार गर्भवती का जिले में बैकलाग है। इसके चलते बच्चों में संभावित बीमारी होने का खतरा है। इसी खतरे को लेकर विभाग की ओर से विशेष सतर्कता बरती जा रही है। जांच के जरिए यह स्पष्ट होगा कि कितने गर्भवती में एचआईवी के संक्रमण हैं। जिले भर में अभी 74 गर्भवती एचआईवी संक्रमित हैं।

एचआईवी संक्रमण के अलावा खून की कमी का भी लगाया जाएगा पता

विशेष जांच कैंप में एचआईवी के अलावा हिमोग्लोबिन व भीडीआरएल जांच किया जाएगा। हिमोग्लोबिन टेस्ट से गर्भवती के शरीर में खून कितनी मात्रा में है इसकी सही जानकारी ली ज सकेगी। वहीं भीडीआरएल के जरिए गोनोरिया के बारे में पता लगाया जाएगा। 

गर्भवती से बच्चे को संक्रमण होने से बचाने के लिए जांच व इलाज से बीमारी को टाल सकते

संचारी रोग पदाधिकारी सह जिला एडस नियंत्रण पदाधिकारी डा. पंकज सिंह ने कहा कि यदि कोई गर्भवती एचआईवी संक्रमित है तो संभावना रहती है कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी बीमारी का संक्रमण हो। ऐसे में एचआईवी जांच के बाद रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद भी बच्चे को बीमारी से बचाया जा सकता है। मगध मेडिकल अस्पताल स्थित लिंक एआरटी सेंटर से ऐसे संक्रमित गर्भवती को मुफ्त में दवा दी जाती है।

पूरे प्रसव के दौरान निम्न इलाज व सुरक्षात्मक प्रसव से बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सकता है

-गर्भधारण के पता चलने के बाद तुरंत एचआईवी की जांच करवाना बहुत जरूरी

-असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित खून, संक्रमित सूई-निडिल से एचआईवी होने का रहता है खतरा

- जिले भर में कुल 191 विशेष जांच कैंप लगाया जाएगा 


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