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अद्भुत है कैमूर पहाड़ी की तराई में मां तुतला भवानी का शक्तिस्थल, बिहार के इस धाम को लेकर कई किंवदंतियां

सच्चे मन वालों की मुरादें होती हैं पूरी गलत धारणा से जाने वाले को भंवरा का होना पड़ता है कोपभाजन मार्कंडेय पुराण में है इस शक्तिपीठ का वर्णन फ्रांसिस बुकानन को मिला था दो शिलालेख पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहा यह स्थल।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 04:54 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 05:26 PM (IST)
अद्भुत है कैमूर पहाड़ी की तराई में मां तुतला भवानी का शक्तिस्थल, बिहार के इस धाम को लेकर कई किंवदंतियां
कैमूर पहाड़ी की तराई में स्थित तुतला भवानी शक्तिस्थल। जागरण।

ब्रजेश पाठक, सासाराम। बिहार के रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी की तराई में स्थित तुतला भवानी शक्तिस्थल अति प्राचीन शक्तिस्थलों में से एक है। यहां सच्चे मन से आने वालों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। स्‍थानीय लोग और मां के भक्‍त ये भी दावा करते हैं कि मन में कल-छपट व गंदा विचार लेकर आने वाले को भ्रामरी देवी (भंवरा) का प्रकोप से दंडित होना पड़ता है। इस शक्ति स्थल का वर्णन मार्कंडेय पुराण में भी किया गया है। इस पुराण में इन्हें शोणाक्षी देवी कहा गया है।

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(पहाड़ी के रास्‍ते मंदिर तक पहुंचते हैं श्रद्धालु)

किंवदंती है कि परियां नवरात्र की अष्टमी की रात यहां मां के समक्ष नृत्य करती हैं। विदेशी सर्वेयर फ्रांसिस बुकानन ने भी इस शक्तिस्थल को अति प्राचीन माना है। तुतला भवानी शक्तिपीठ के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता काफी मनोरम है। यहां पहाड़ी घाटी में ऊपर से गिर रहे प्रपात के अंदर शोणतटस्था शक्तिपीठ देवी के रूप में जगद्धात्री दुर्गा विराजमान हैं। पुराणों में शोणतटस्था शक्तिपीठ देवी के 51 पीठों में एक माना गया है। शोणतट पर विराजमान देवी को शोणाक्षी की संज्ञा दी गई है। सती का दक्षिणी नितंब यहां गिरा था। यही देवी आज तुतला भवानी के नाम से जानी जाती हैं।

(तुतला भवानी शक्तिपीठ के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता)

मार्कंडेय पुराण में है शोणाक्षी देवी का वर्णन

ऐतिहासिक व पुरातात्विक मामलों के जानकार डॉ. श्याम सुंदर तिवारी कहते हैं कि मार्कंडेय पुराण में सोन नदी के किनारे शोणाक्षी देवी का वर्णन है, वह यही देवी हैं। जगद्धात्री दुर्गा (तुतला भवानी) की प्राणप्रतिष्ठा के अवसर पर विक्रम संवत 1214 के ज्येष्ठ माह, कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि, शनिवार 19 अप्रैल 1158 को खरवार राजा प्रताप धवल देव ने अपना पहला शिलालेख लिखवाया है। उस समय खरवार राजा का पूरा परिवार मौजूद था।

(मान्‍यता के अनुसार परिवार के साथ यहीं रहते थे राजा खरवार)

शिलालेख की भाषा संस्कृत और लिपि प्रारंभिक नागरी है। डॉ. श्याम सुंदर तिवारी बताते हैं कि एक पुराना शिलालेख शारदा लिपि में आठवीं सदी का है, जो अपठित है। तुतला भवानी मंदिर कैमूर पहाड़ी की घाटी में है। घाटी के सटे कछुअर नदी बहती है। देवी की प्रतिमा गढ़वाल कालीन मूर्ति कला का सुंदर नमूना है। देवी अष्टभुजी हैं। प्रतिमा में दैत्य महिष की गर्दन से निकल रहा है, जिसे देवी अपने दोनों हाथों से पकड़कर त्रिशूल से मार रही हैं।

फ्रांसिस बुकानन ने भी किया है वर्णन

(तुतला भवानी धाम के पास वाटर-फॉल)

फ्रांसिस बुकानन अपने यात्रा क्रम में 14 दिसंबर 1812 को तुतला भवानी धाम जाने का वर्णन किए हैं उन्होंने लिखा है कि यह स्थान प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध जान पड़ता है। यहां देवी की दो प्रतिमाएं हैं, जिनमें एक अपेक्षाकृत नई है। एक पुरानी प्रतिमा है, जो अब टूट चुकी है। देवी की प्राचीन प्रतिमा खंडित हो चुकी थी, तब नायक प्रताप धवल देव ने दूसरी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई और अपना शिलालेख लिखवाया। नायक प्रताप धवल देव के शिलालेखों को हेनरी कोलब्रुक ने 1824 में पहली बार पढ़ा और जानकारियां दीं। इस प्रकार यह पीठ 12वीं सदी के पूर्व में ही विख्यात हो चुका था।

पर्यटन केंद्र के रूप में हो रहा विकसित

(दूर-दूर से आते हैं सैलानी)

वन विभाग यहां ईको टूरिज्म की संभावनाओं को तलाश रहा है। विभाग ने यहां हैंगिंग ब्रिज का निर्माण कराया है तथा नए तरीके से सीढ़ी भी बनवाया है। वहीं परिसर क्षेत्र में प्लास्टिक व थर्मोकोल से बने थैले, प्लेट-ग्लास के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

तुतला भवानी धाम पर ऐसे पहुंचे

(तुतला भवानी का प्रवेश द्वार)

रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम व डेहरी से तुतला भवानी धाम तक आसानी से जाया जा सकता है। सासाराम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर वाराणसी से 130 किलोमीटर पूरब तथा पटना से 160 किलोमीटर दक्षिण है। सासाराम व डेहरी आनसोन पंडित दीनदयाल उपाध्याय-गया रेलखंड पर प्रमुख रेलवे स्टेशन है। सासाराम से ताराचंडी तिलौथू मुख्य मार्ग पर सेवही गांव के समीप से तुतला भवानी तक जाने के लिए सड़क की व्यवस्था है। वहीं डेहरी-अकबरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-119 पर तिलौथू प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर पश्चिम तुतला भवानी तक जाने के लिए सड़क है।


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