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सासाराम नगर निगम : छह माह में दो अधिकारियों के साथ मुख्य पार्षद पर कसा शिकंजा, घालमेल को ले अब तक दर्ज हो चुकी कई प्राथमिकी

वर्तमान जिला भू अर्जन पदाधिकारी 39 वीं बीपीएससी के बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। 26 वर्ष अपने कार्यकाल के दौरान पिछले ढाई वर्ष से रोहतास में जिला भू अर्जन पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित थे। जुलाई माह में डीएम धर्मेन्द्र कुमार ने इन्हें नगर आयुक्त का प्रभार दिया था।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 06:27 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 06:27 PM (IST)
सासाराम नगर निगम : छह माह में दो अधिकारियों के साथ मुख्य पार्षद पर कसा शिकंजा, घालमेल को ले अब तक दर्ज हो चुकी कई प्राथमिकी
घालमेल को ले अधिकारियों पर शिकंजा, सांकेतिक तस्वीर

 जागरण संवाददाता, सासाराम: रोहतास। महज छह माह के दौरान दो अधिकारी के अलावा मुख्य पार्षद पर हुई कार्रवाई को देख अब लोग कहने लगे हैं कि सासाराम नगर निगम काजल की कोठरी से कम नहीं है। प्रभारी नगर आयुक्त सह जिला भू अर्जन पदाधिकारी राजेश कुमार गुप्ता पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में निगरानी विभाग की छापेमारी के बाद शहर के चौक- चौराहे पर चर्चाओं का बाजार का गर्म है। छापेमारी में अकूत संपत्ति मिलने के बाद से शहर के लोग हतप्रभ है। बताया जाता है वर्तमान जिला भू अर्जन पदाधिकारी 39 वीं बीपीएससी के बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। 26 वर्ष अपने कार्यकाल के दौरान पिछले ढाई वर्ष से रोहतास में जिला भू अर्जन पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित थे। जुलाई माह में डीएम धर्मेन्द्र कुमार ने इन्हें नगर आयुक्त का प्रभार दिया था। नगर आयुक्त के कार्यकाल के दौरान बिना नक्शा पास कराए व अतिक्रमण के नाम पर कुछ बड़ेे भवनों को चिन्हित कर उन्हें नोटिस भी दिया गया था। नोटिस को लेकर भी शहर में अलग-अलग चर्चा है।

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 सासाराम नगर निकाय के अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधियों पर चल रही कार्रवाई के मामले में तीन माह पहले 31 अगस्त को नगर परिषद की पूर्व ईओ कुमारी हिमानी को गया जिला के शेरघाटी से व 18 जून को मुख्य पार्षद कंचन कुमारी को फर्जीवाड़ा मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। कुमारी हिमानी अभी भी जेल में है। लोगों का कहना है कि नगर निगम में विकास का काम कम ही होता है ज्यादा काम घोटाले का ही हो रहा है। इसके अलावा दो कनीय अभियंता महंत पांडेय व अरुण कुमार सिंह पर गलत ढ़ंग से योजना का बिल पास करने के मामले में पिछले सात माह में तीन प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है।

 बताते चले कि शहर में चर्चित स्ट्रीट लाइट घोटाला मामले में पूर्व मुख्य पार्षद नाजिया बेगम, पूर्व ईओ राजीव रंजन के अलावा सशक्त स्थाई समिति के पांच सदस्यों पर निगरानी विभाग ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें पूर्व मुख्य पार्षद नाजिया बेगम व एक अन्य महिला वार्ड पार्षद को जेल तक जाना पड़ा था। इसके अलावा नगर परिषद कार्यालय के कैश रुम से 14 लाख रुपये गायब होने के मामले में भी पूर्व ईओ मनीष कुमार के कार्यकाल में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।


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