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शिक्षकों ने विद्यालय कक्ष को बना दिया शिक्षा एक्सप्रेस

टनकुप्पा। कोरोना काल में कुछ अलग हो। कोरोना संकट खत्म होने के बाद जब छात्र विद्यालय में पढ

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 12:43 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 12:43 AM (IST)
शिक्षकों ने विद्यालय कक्ष को बना दिया शिक्षा एक्सप्रेस
शिक्षकों ने विद्यालय कक्ष को बना दिया शिक्षा एक्सप्रेस

टनकुप्पा। कोरोना काल में कुछ अलग हो। कोरोना संकट खत्म होने के बाद जब छात्र विद्यालय में पढने आएंगे, तब विद्यालय का नया रूप हो, ताकि बच्चे उमंग व उत्साह के साथ विद्यालय में पढ़ सकें। इसी सोच के साथ मध्य विद्यालय गिजोयखुर्द के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों की आम सहमति बनी। विद्यालय कक्ष की लाल रंग से पेंटिग कराकर एक्सप्रेस ट्रेन का रूप दिया गया, जो विद्यालय को काफी आकर्षक बना दिया है।

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इस कार्य को सफल बनाने में पेंटर, शिक्षक व ग्रामीणों का सहयोग सराहनीय रहा है। विद्यालय कक्ष को ट्रेन बॉगी का रूप दिया गया। चित्र में कक्ष को डिब्बा, खिड़की व दरवाजा का रूप दिया गया है। ट्रेन का नाम शिक्षा एक्सप्रेस रखा गया है। पेंटिंग का कार्य विकास राशि से कराया गया है। प्रधानाध्यापक जितेंद्र मौआर ने बताया कि कोरोना काल में जब से विद्यालय बंद हुआ है। तब से हीं विद्यालय को नया रूप देने का प्रयास जारी है। विकास राशि से विद्यालय को रंग-रोगन व सामान खरीदने का प्रावधान है। इस बार विद्यालय को नए रूप से रंग रोगन कर एक्सप्रेस ट्रेन का रूप दिया गया है। जब बच्चे विद्यालय पढ़ने आएंगे, तब विद्यालय की व्यवस्था को देखकर आकर्षित होगा। साथ पूरी उमंग और उत्साह के साथ पढ़ाई भी करेगा। कोरोना काल के बाद विद्यालय खुलने पर बच्चों को कोरोना संकट से बचाने के लिए सभी प्रकार की कीट व्यवस्था कर ली गई है। विद्यालय को ट्रेन का रूप दिए जाने से छात्र विद्यालय आने के प्रति आकर्षित होगा। इस कार्य को ग्रामीणों द्वारा सराहा गया है। विद्यालय के शिक्षक कमलेश कुमार, मिथलेश पांडेय सहित सभी का सराहनीय सहयोग दिया गया है। विद्यालय के इर्द-गिर्द 200 पौधा लगाने की तैयारी कर ली गई है। प्रत्येक वर्ष विद्यालय में छात्रों के बीच उत्साह एवं उमंग बनाए रखने के लिए खेल कूद, पौधारोपण आदि अन्य प्रतियोगिता कराई जाती है। विद्यालय में कक्षा एक से आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है। विद्यालय में कुल 400 छात्र-छात्रा नामांकित हैं। बच्चे एक ड्रेस पहनकर विद्यालय आते है। विद्यालय में कार्यरत सभी शिक्षक कोरोना किट की खरीददारी के लिए अपने मूल वेतन से राशि विद्यालय को दिया है।


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