पूरे रामपुर प्रखंड में डिग्री कॉलेज नहीं रहने से रोज 18-20 किमी दूर शिक्षा के लिए जाते हैं विद्यार्थी, अभिभावकों में नाराजगी
प्रखंड के छात्रों को प्रखंड मुख्यालय से 18 से 20 किलोमीटर की दूरी पर भभुआ उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाना पड़ता है। संपन्न परिवार बनारस व पटना सहित अन्य जगहों पर भेज कर उच्च शिक्षा दिला देते हैं। लेकिन गरीब परिवार के छात्रों को काफी परेशानी होती है।
संवाद सूत्र, रामपुर: स्थानीय प्रखंड में एक भी डिग्री कालेज नहीं रहने के कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रखंड के छात्रों को प्रखंड मुख्यालय से 18 से 20 किलोमीटर की दूरी पर भभुआ उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाना पड़ता है। साधन संपन्न परिवार अपने बच्चों को बनारस व पटना सहित अन्य जगहों पर भेज कर उच्च शिक्षा दिला देते हैं। लेकिन गरीब परिवार के छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गरीब परिवारों का कहना है कि भभुआ में प्रतिदिन बच्चों को भेजने में सौ रुपये से अधिक खर्च आएंगे। जबकि उन लोगों की आमदनी काफी कम है। जिस कारण वे लोग अपने बच्चों को इंटर की शिक्षा दिलाने के बाद पढ़ाई छोड़वाने के लिए विवश होते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से भी छात्राओं को अकेले भेजना संभव नहीं है। यदि प्रखंड में डिग्री कालेज की स्थापना सरकारी स्तर पर हो जाती तो प्रखंड के गरीब परिवार के बच्चे भी उच्च शिक्षा ग्रहण करते।
लगभग चार सौ बच्चे पास करते है इंटर की परीक्षा:
प्रखंड में कई इंटर स्तरीय शिक्षण संस्थान है। जहां से प्रत्येक वर्ष चार सौ से अधिक बच्चे इंटर पास करते हैं। इसमें छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक होती है। इनमें से लगभग आधे बच्चे भभुआ, बनारस या पटना सहित अन्य जगहों पर जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं। लेकिन आधे से अधिक बच्चे उच्च शिक्षा पाने से वंचित रह जाते हैं।
क्या कहते हैं अभिभावक
अभिभावक शशिकांत दुबे, वरुण कुमार, मनोज कुमार गुप्ता, सुनील कुमार दुबे आदि का कहना है कि प्रखंड में अगर एक भी डिग्री कालेज होता तो हमलोग अपने बच्चों का यहां नामांकन कराकर उच्च शिक्षा दिलाते। प्रखंड में एक लाख से अधिक की आबादी रहने के बावजूद भी एक भी डिग्री कालेज का नहीं होना प्रखंड की शिक्षा व्यवस्था की पोल स्वयं खोल देता है।
जनप्रतिनिधि सिर्फ देते हैं आश्वासन:
जिले का रामपुर प्रखंड भभुआ विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। यहां डिग्री कालेज की स्थापना कराने के लिए जनप्रतिनिधि अब तक आश्वासन देते आए हैं, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हो सकी है। चाहे वह विधायक हों या सांसद या फिर विधान पार्षद। सभी ने यहां के छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों से छलावा किया है। इससे अब जनप्रतिनिधियों के बात पर भी यहां के लोगों को भरोसा नहीं है।
क्या कहते हैं छात्र-छात्राएं
प्रिया कुमारी ने बताया कि इंटर की परीक्षा पास करने के बाद भभुआ में नामांकन कराना चाहती थी। किराए के मकान या लाज में रहकर पढ़ाई करनी पड़ती। इसमें खर्च भी आएगा, लेकिन अभिभावक इसके लिए तैयार नहीं हैं। अगर प्रखंड में डिग्री कालेज रहता तो उन्हें घर से बाहर जाकर पढ़ाई करने के लिए खर्च नहीं करना पड़ता। छात्रा निशा कुमारी का कहना है कि अभिभावक इतने अमीर नहीं है कि वह बाहर भेजकर पढ़ाई करा सकें। अगर प्रखंड में डिग्री कालेज की स्थापना सरकार करे तो नामांकन करा कर पढ़ाई करते। छात्र अभिषेक कुमार ने बताया कि प्रखंड के इंटर स्तरीय विद्यालय से उन्होंने इंटर की परीक्षा पास की है। बाहर के कालेज में नामांकन कराया है। लेकिन रोज खर्च कर कालेज जाना संभव नहीं है। अगर प्रखंड में ही डिग्री कालेज रहता तो शिक्षकों से उन्हें पढ़ाई के अलावा विषयों की तैयारी करने में भी सहायता मिलती।