घरेलू हिसा की शिकार हैं तो तोड़ें चुप्पी, बिना खर्च पाएं समाधान
-महिला सीधे हेल्पलाइन पर सुना सकती हैं दुखड़ा आवेदन करने के लिए वकील की भी जरूरत नहीं --------- मददगार -ज्यूडिशियल स्टांप पर सुलह छह महीनों तक हेल्पलाइन की निगरानी -जीवन में टकराव होने पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए कानूनी कार्रवाई भी ------------ -2010 में हुई थी महिला हेल्पलाइन की स्थापना -09 वर्षो में 532 मामलों का किया गया है निष्पादन ----------
नीरज कुमार, गया
घरेलू हिसा से पीड़ित महिलाएं सीधे हेल्पलाइन पर दुखड़ा सुना सकती हैं। यहां आवेदन करने के लिए न वकील की जरूरत होती है और न ही कोई खर्च। आवेदन पंजीकृत होने के बाद पीड़िता अपनी बात को खुद कमेटी के समक्ष रख सकती हैं। वहां कानून के अनुसार दो पक्षों की सुनवाई के बाद सुलह संभव है। पिछले नौ वर्षो में 532 मामलों का निष्पादन किया गया है। सुलह होने के बाद वैसे दंपती की अगले छह महीने तक निगरानी की जाती है। इस अवधि में काउंसलिंग भी की जाती है। जीवन में टकराव होने पर कानूनी कार्रवाई के लिए थाने में प्राथमिकी दर्ज करते हुए कानूनी कार्रवाई भी की जाती है।
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ऐसे करें आवेदन
हेल्पलाइन में पति या ससुराल पक्ष के खिलाफ आवेदन दे सकते हैं। पीड़िता अपना आवेदन हस्तलिखित महिला हेल्पलाइन में कार्य दिवस जमा करा सकते हैं। यहां पुरुषों की भी बात सुनी जाती है, लेकिन उनका मामला दर्ज नहीं होता है। पुरुष प्रताड़ित हैं तो वह अपनी शिकायत किसी भी महिला के माध्यम से आवेदन दे सकते हैं।
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इन मामलों की सुनवाई
महिला हेल्पलाइन में घरेलू हिसा, दहेज प्रताड़ना, द्वितीय विवाह, छेड़छाड़, यौन शोषण व बाल विवाह आदि की सुनवाई होती है।
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ऐसे होती है सुनवाई
आवेदन पंजीकृत होने के बाद दो पक्षकारों को निर्धारित तिथि पर अपनी बात रखने का मौका मिलता है। प्रत्येक सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को सुनवाई होती है। इसके लिए महिला हेल्पलाइन में एक कमेटी गठित है। इस कमेटी में परियोजना प्रबंधक आरती कुमारी, काउंसलर अर्चना सिन्हा, पैनल में अधिवक्ता नीरज अखौरी, प्रमोद कुमार सिन्हा एवं सच्चिदानंद आनंद आदि शामिल हैं। इनकी उपस्थित में सुनवाई होती है। पीड़िता और पक्षकारों को नोटिस के माध्यम से सूचना दी जाती है।
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ऐसे होता निष्पादन
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद बयान दर्ज होता है। तारीख निर्धारित की जाती है। कई तारीखों पर बातें सुनी जाती हैं। उसके बाद काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग में बाद बात बनने पर दोनों के बीच सुलहनामा तैयार किया जाता है। सुलह होने पर 100 रुपये ज्यूडिशियल स्टांप पर एग्रीमेंट होता है। एकरारनामे के साथ फोटोग्राफ भी लगाया जाता है।
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अब कितने मामलों
का हुआ निष्पादन
गया समाहरणालय में महिला हेल्पलाइन की स्थापना वर्ष 2010 में हुई थी। उसके बाद से 31 मई 2019 तक नौ वर्षो में 872 मामले आए। सुनवाई के बाद 532 मामलों का निष्पादन किया गया। 340 मामले लंबित हैं, जिनके निष्पादन के लिए कोर्ट को अग्रसर किए गए।
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कोई महिला अपनी शिकायत महिला हेल्पलाइन कार्यालय में कर सकती हैं। इसमें कोई शुल्क नहीं लगता है। अपनी बात रखने के लिए वकील की कोई जरूरत नहीं होती है। अपनी बात पीड़ित खुद रख सकती हैं। अधिकांश मामलों का निष्पादन होता है। निष्पादित मामले पर निगरानी रखने के लिए थाने का भी सहयोग लिया जाता है।
आरती कुमारी, परियोजना प्रबंधक महिला हेल्पलाइन
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निबंधित -वाद-निष्पादित -लंबित
घरेलू हिसा-569-386-183
दहेज प्रताड़ना-135-80-55
द्वितीय विवाह-28-13-15
छेड़छाड़-08-05-03
यौन शोषण-14-09-05
बाल विवाह-01-01-05
अन्य- 117-38-79
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