अगर बिगड़े हालात तो कुदरा अस्पताल में नहीं हो सकेगा कोरोना संक्रमित का इलाज, ये है बड़ी वजह
ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए पूरे देश में तीसरी लहर की आशंका और चिंता बनी हुई है तब कुदरा को लेकर सभी निश्चित नजर आ रहे हैं। कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर को रोकने के लिए देशभर में तैयारी चल रही है
संवाद सूत्र, कुदरा (भभुआ)। ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए पूरे देश में तीसरी लहर की आशंका और चिंता बनी हुई है, तब कुदरा को लेकर सभी निश्चित नजर आ रहे हैं। कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर को रोकने के लिए देशभर में तैयारी चल रही है लेकिन कुदरा प्रखंड के लिए तैयारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर पिछले कई महीनों से पूर्णकालिक प्रबंधक की नियुक्ति नहीं हुई है। कोविड-19 की दूसरी लहर में यहां के तत्कालीन प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक बीरबल कुमार की महामारी की वजह से मौत हो गई थी। अस्पताल में ड्यूटी के दौरान ही उन्हें संक्रमण हुआ था उसके बाद सदर अस्पताल भभुआ और वाराणसी में इलाज चला लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। उसके बाद से कुदरा में पूर्णकालिक प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक की नियुक्ति नहीं हुई है। वर्तमान में यहां के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक का पद भगवानपुर के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक के अतिरिक्त प्रभार में है। कुदरा और भगवानपुर के बीच की दूरी से अवगत लोग इस बात का सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि भगवानपुर के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक कुदरा के लिए कब और कितना समय निकाल पाते होंगे।
अस्पताल सीएचसी लेकिन सुविधाएं पीएचसी जैसी भी नहीं
यहां की सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि कुदरा का अस्पताल कहने के लिए तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन सुविधाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी भी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में यह अस्पताल वर्ष 2015 से ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में अपग्रेड हो चुका है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अस्पताल में न चिकित्सक आवास है, न कायदे का स्टोर रूम। जैसे तैसे पुराने खंडहरनुमा भवनों में दवाओं व अन्य उपकरणों को रखने से लेकर मरीजों के इलाज का काम किया जाता है। अस्पताल में जगह की इतनी कमी है कि अस्पताल में होने वाले प्रतिदिन के रूटीन कोविड-19 टीकाकरण के कार्य को अस्पताल से चंद कदम की दूरी पर स्थित जहानाबाद पंचायत सरकार भवन में करना पड़ता है। कुछ समय पूर्व यहां स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 30 अतिरिक्त बेड भेजे गए थे, लेकिन उनके लगाने के लिए अस्पताल में पर्याप्त जगह नहीं है।
ऐसी स्थिति में अस्पताल के जिस बरामदानुमा जगह से होकर लोग आते जाते हैं वहीं पर बेड लगाने पड़े हैं। पूर्व में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण का कार्य उसी बरामदा नुमा जगह पर होता था। अब जरूरत पडऩे पर वह काम कहां होगा यह अलग समस्या है। अस्पताल में चिकित्सकों की भी घोर कमी है। कुदरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. रीता कुमारी समेत मात्र तीन एमबीबीएस चिकित्सक हैं जिनमें डा. सत्य स्वरूप और डा. अनु शामिल हैं। कुदरा के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत भी बेहतर नहीं है। जानकारी के मुताबिक बसहीं और घटांव में स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मात्र एक एक चिकित्सक हैं जबकि नटेया में स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई चिकित्सक नहीं हैं।
कोविड-19 से लड़ने की क्या है तैयारी और रणनीति
कोविड-19 को लेकर तैयारी के संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. रीता कुमारी ने बताया कि अस्पताल में कोरोना के मरीजों के लिए 20 बेड लगाए गए हैं। अस्पताल में 20 आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं, जिनमें 15 बड़े और पांच छोटे सिलेंडर शामिल हैं। दो आक्सीजन कंसंट्रेटर भी हैं। कोविड-19 टीकाकरण का कार्य प्रखंड में काफी तेजी से चल रहा है। 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को कोविड-19 टीके की दोनों खुराक लगाने के साथ-साथ अब 15 से 18 वर्ष के बच्चों के टीकाकरण तथा बूस्टर डोज लगाने का काम भी तेज गति से जारी है। इस कार्य को गति देने के लिए अस्थाई कर्मियों को भी सेवा में लगाया गया है। साथ ही कोविड-19 की जांच भी तेजी से जारी है।