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पितृपक्ष मेला नहीं लगा तो गया के छोटे कारोबारियों को आएगी भूखे मरने की नौबत, दो साल से झेल रहे मंदी

कारोबारियों को बहुत उम्मीदें थीं पर अभी तक जिला प्रशासन चुप्पी साधे है। इससे पंडा समाज से लेकर व्यापार से जुड़े लोगों को बड़ा नुकसान होगा। पितृपक्ष के 17 दिनों के मेले में अनुमानत सौ करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 02:37 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 02:37 PM (IST)
पितृपक्ष मेला नहीं लगा तो गया के छोटे कारोबारियों को आएगी भूखे मरने की नौबत, दो साल से झेल रहे मंदी
पिंडदान करने के लिए मंदिर के बाहर फूल माला भेजते विक्रेता। जागरण आर्काइव।

संजय कुमार, गया। हिंदू धर्म की अगाध आस्था के प्रतीक पितृपक्ष में मेले का आयोजन नहीं होने से पंडा समाज पर ही नहीं, गया के कारोबार पर भी बड़ा असर पड़ेगा। पिछले साल कोरोना संकट के कारण पितृपक्ष मेले का आयोजन नहीं हो पाया था। इस वर्ष इससे जुड़े लोगों को बहुत उम्मीदें थीं, पर अभी तक जिला प्रशासन चुप्पी साधे है। इससे पंडा समाज से लेकर व्यापार से जुड़े लोगों को बड़ा नुकसान होगा। पितृपक्ष के 17 दिनों के मेले में अनुमानत: सौ करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है। पितृपक्ष में पिंडदान के लिए देश के अलावा विदेश से भी तीर्थयात्री आते हैं।

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पितृपक्ष मेले का इंतजार करते हैं लोग

पितृपक्ष में मेला लगने का हरेक लोग इंतजार करते हैं, जिसमें गयापाल पुरोहित के अलावा होटल व्यवसायी, बर्तन व्यवसायी, कपड़ा व्यवसायी सहित आटो चालक, रिक्शा चालक, बस संचालक आदि हैं। पितृपक्ष में उक्त लोगों को मेले से गाढ़ी कमाई होती है। मेला में आए तीर्थयात्रियों का भी कारोबार से सीधा ताल्लुक है। यातायात में रेल, बस आटो व कार महत्वपूर्ण हैं।

365 पिंडवेदियों पर होता था कर्मकांड

किसी जमाने में 365 पिंडवेदियां हुआ करती थीं, जिसमें से अब कई लुप्त हो चुकी हैं। उसमें से मात्र 55 से 60 पिंडवेदी बची हैं। जहां पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान करते हैं। मेले को लेकर लोगों में अभी असमंजस बना है, क्योंकि पितृपक्ष मेले के आयोजन को लेकर अभी जिला प्रशासन की बैठक नहीं हुई है, जबकि पितृपक्ष शुरू होने में कुछ ही दिन अब शेष रह गए हैं।

क्या कहते हैं लोग

प्रसाद विक्रेता उत्तम कुमार कहते हैं, पितृपक्ष मेले का आयोजन जरूर होना चाहिए। सरकार को कोरोना गाइडलाइन के तहत मेले का आयोजना कराना चाहिए, क्योंकि मेले का इंतजार कारोबारी को एक वर्ष से रहता है।

फूल-माला विक्रेता जितेंद्र मालाकार ने कहा कि पितृपक्ष मेले का आयोजन पिछले वर्ष भी नहीं हुआ था। इससे कारोबार पर बड़ा असर पड़ा था। कारोबारी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। कोरोना नियम के तहत मेले का आयोजन होना चाहिए।

बर्तन कारोबारी चंदन गुर्दा ने कहा कि पितृपक्ष मेले का आयोजन हर हाल में होना चाहिए। जब पंचायत चुनाव हो सकता है तो मेला क्यों नहीं लग सकता है। धार्मिक कार्यक्रम पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।

बर्तन कारोबारी मिथुन कुमार गुपुत ने कहा कि कारोबारियों को पितृपक्ष मेले का इंतजार कई महीने से रहता है। पिछले वर्ष भी मेले का आयोजन नहीं हुआ था। इससे कारोबारियों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है।


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