सदर अस्पताल में पौने दो करोड़ से बनी आइसीयू, चार वर्षों से डॉक्टर-कर्मियों के अभाव में पड़ी है बंद
औरंगाबाद सदर अस्पताल में करीब पौने दो करोड़ की लागत से आइसीयू का निर्माण कराया गया था। लेकिन डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी के कारण यह बेकाम पड़ी हुई है। गंभीर मरीजों को रेफर करना पड़ता है।
जेएनएन, औरंगाबाद /गया। सदर अस्पताल में आइसीयू का उद्घाटन चार साल पहले किया गया परंतु धरातल पर यह अनुपयोगी पड़ी हुई है। इसकी सेवा मरीजों को नहीं मिल रही है। आइसीयू में रखे समान धूल फांक रहे हैं। वे बर्बाद हो रहे हैं। आइसीयू की सुविधा नहीं होने के कारण गंभीर मरीजों को रेफर करने की मजबूरी डॉक्टरों को होती है। इस वजह से कई बार उन्हें मरीजों के स्वजनों का कोपभाजन बनना पड़ता है।
पौने दो करोड़ से बनी थी गहन चिकित्सा इकाई - सदर अस्पताल में आइसीयू का निर्माण 1 करोड़ 77 लाख की लागत से किया गया। जिला कार्यक्रम प्रबंधक कुमार मनोज ने बताया कि आइसीयू को शुरू करने के लिए एक फिजिशियन, एक सर्जन तथा दो एमबीबीएस चिकित्सक, एक मुर्च्छक, ए ग्रेड की 13 नर्स, 2 बायोमेडिकल टेक्नीशियन, एक इलेक्ट्रीशियन, 4 वार्ड बॉय एवं 5 सुरक्षा गार्ड की आवश्यकता है। लेकिन न चिकित्सक उपलब्ध हैं न नर्स। न ही पर्याप्त संख्या में बेड हैं। आइसीयू के लिए जो बेड चाहिए वह भी उपलब्ध नहीं है। आइसीयू में चिकित्सक, टेक्नीशियन एवं अन्य कर्मियों की तैनाती के लिए विभाग को कई बार पत्र भेजा गया है। साथ ही बता दें कि आइसीयू को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक हार्ट चिकित्सक चाहिए जो कि अभी सदर अस्पताल में पदस्थापित नहीं हैं। सदर अस्पताल में इसीजी मशीन है। प्रशिक्षित चिकित्सक नहीं होने के कारण करीब एक वर्ष से बेकाम है।
गंभीर मरीजों को करना पड़ता रेफर- शहर में जीटी रोड पर अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। ऐसी स्थिति में गंभीर मरीजों को सदर अस्पताल ही लाया जाता है। लेकिन आइसीयू की सुविधा नहीं मिलने के कारण चिकित्सकों को मजबूरन बाहर रेफर करना पड़ता है। आइसीयू को शुरू कराने के लिए जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने चिकित्सक एवं टेक्नीशियन लाने का आश्वासन तो दिया है परंतु यह आश्वासन कब तक फलीभूत हो पाता है, यह देखना होगा।