सौ फीसद मतदान के लिए तलाशने होंगे विकल्प
दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीतिक अध्ययन विभाग की ओर से सोमवार को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका विषय था चुनाव प्रबंधन एवं मीडिया वर्तमान चुनावी परिप्रेक्ष्य। अतिथि वक्ता के रूप में अखिलेश सिंह ने बताया कि भारत में चुनाव का प्रबंधन स्वतंत्र रूप से एक पृथक निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है।
गया । दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीतिक अध्ययन विभाग की ओर से सोमवार को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका विषय था, चुनाव प्रबंधन एवं मीडिया : वर्तमान चुनावी परिप्रेक्ष्य। अतिथि वक्ता के रूप में अखिलेश सिंह ने बताया कि भारत में चुनाव का प्रबंधन स्वतंत्र रूप से एक पृथक निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। इसमें कार्यपालिका का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। निर्वाचन आयोग इस व्यवस्था में व्यवस्थापिका, न्यायपालिका और सरकार के प्रधान के प्रति उत्तरदायी होती है। डॉ. आलोक गुप्ता ने बताया कि मतदान के गिरते प्रतिशत के लिए सरकार जिम्मेदार है। घर से बाहर रहने वाले मतदाता आज भी मतदान करने से वंचित रह जाते हैं। देश के आजाद हुए 70 वर्ष हो गए और हम अब तक इसके लिए कोई विकल्प नहीं तलाश पाए, जिससे की सौ फीसद मतदान को सुनिश्चित किया जा सके। यह हमारे लोकतंत्र की कमजोरी बनकर रह गई है। आज जरूरत है तो विकल्प तलाशने की, तभी लोकतंत्र सशक्त होगा।
वहीं, डॉ. प्रणव कुमार ने नोटा की प्रासंगिकता के बारे में बताया और कहा कि राजनीतिक दल जनता को केवल वोट समझ रहे हैं। आज का चुनाव केवल विनिंग गेम थ्योरी की प्रासंगिकता को ही सिद्ध कर रहा है, जबकि नोटा आज नहीं तो कल परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम होगा।
कार्यक्रम में विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. श्यामानंद सिंह, डॉ. प्रवीन कुमार, डॉ. अभय कुमार सहित विभाग के सभी शोधार्थी व विद्यार्थी आदि उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन शुभम कुमार ने किया।