बदहाल शिक्षा व्यवस्था से कैसे करें बेहतर भविष्य की कल्पना
लोगों ..मेरा शहर ------- फोटो- -गुणवत्ताहीन शिक्षा न देशहित में है और न शिक्षण संस्थानों के और न ही विद्यार्थियों के -------- -पानी की तरह पैसा बहाने के बावजूद शिक्षा की बदहाली बड़ी चुनौती -योग्य शिक्षकों का भी अभाव शिक्षा को व्यापार बनने से रोकना होगा ------------ ये भी समस्याएं -परीक्षा के नाम पर औपचारिकताएं -विद्यालय व महाविद्यालयों में छात्रों की अनुपस्थिति -समय पर परीक्षा परिणाम जारी न होना -समय पर नामांकन नहीं होना ------- जागरण संवाददाता गया
गया । गुणवत्ताहीन शिक्षा न देशहित में है और न शिक्षण संस्थानों के और न ही विद्यार्थियों के। अफसोस है कि जिले में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है। सरकार स्तर सुधारने के लिए पानी की तरह पैसा बहाती है। इसके बावजूद शिक्षा की बदहाली एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। शिक्षा को व्यापार बनने से रोकना होगा।
शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए सर्वप्रथम छात्र शिक्षक संवाद के माध्यम से छात्रों की समस्याओं को जानते हुए उनका समाधान करना होगा। विद्यालय व महाविद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति को सुनिश्चित कराने होंगे। पुस्तकालयों की ओर युवाओं को मोड़ना होगा।
जिले में प्राथमिक शिक्षा की बात करें तो वह काफी दयनीयहै। वहा न ही योग्य शिक्षक हैं और न ही पूर्ण रूप से शैक्षणिक कार्य के लिए व्यवस्था। छात्रों को सरकार द्वारा पुस्तक मुहैया कराने की योजना तो बनी पर आज तक समय पर उपलब्ध नहीं हुआ। परीक्षा के नाम पर बस औपचारिकताएं निभाई जाती हैं। इससे बच्चों का आधार कमजोर होता है।
उच्च शिक्षा की बात करें तो गया में मगध विश्वविद्यालय जैसे बड़ा संस्थान है। यह भी उदासीनता का दंश झेल रहा है। मगध विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र नामाकन से लेकर परीक्षा परिणाम तक विश्वविद्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इस समस्या के समाधान के लिए छात्रों के साथ परस्पर संवाद की जरूरत है। एक सार्थक पहल कर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक वातावरण बहाल करना होगा। शोध की ओर ध्यान देने की जरूरत है। इसी अनुरूप शिक्षा उपलब्ध करवाने होंगे। शैक्षणिक भ्रष्ट्राचार को जड़ से समाप्त करने के लिए कार्य करने की जरूरत है।
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सर्वप्रथम योग्य शिक्षकों की नियुक्ति करने की आवश्यकता है। बिहार में शिक्षकों का अनुपात बहुत ही कम है। गया जिला जैसे पिछड़े जिले में शिक्षकों की कमी को दूर करना पहली प्राथमिकता होगी। इससे गाव-गांव में शिक्षा की ज्योति जलेगी। गरीब किसान के बच्चों भी शिक्षित होंगे।
अनिरुद्ध सेन ,छात्र
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उच्च शिक्षा के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। निश्चित रूप से बीसीए, बीबीएम, एमसीए, बीएससी आईटी जैसे विभागों में योग्य शिक्षकों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की जरूरत है। तभी हमारा संपूर्ण विकास संभव है।
प्रभात कुमार, छात्र जदयू नेता
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मगध विश्वविद्यालय अपने गौरवान्वित इतिहास के लिए जाना जाता था, लेकिन आज यह ऐसा नहीं है। न सत्र नियमित है न ही परीक्षा परिणाम शुद्ध है और न ही प्रवेश समय पर हो रहा है।
राजीव कुमार झा, छात्र नेता अभाविप
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मगध विश्वविद्यालय के छात्र आज पलायन करने को मजबूर हैं। यहा पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अंधकारमय है। न यहा योग्य शिक्षक हैं और न ही यहा लैब की व्यवस्था। सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।
मंतोष सुमन, समाजसेवी
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आज जिले में मिड डे मील के नाम पर एक बहुत बड़ा घोटाला होता देखा जा रहा है। शहर के कई विद्यालयों में उपस्थिति कम रहने के बावजूद ज्यादा छात्रों की सूची बनाकर उगाही हो रही है। इसकी उच्चस्तरीय जाच कर उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
सौरभ कुमार, छात्र
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गया जिले के सभी महाविद्यालयों में गाव देहात से आकर पढ़ने वाले भोले भाले छात्रों से प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। जिले की शिक्षा व्यवस्था का हाल यह है कि मगध विश्वविद्यालय में परीक्षा होने से पहले ही प्रश्न पत्र वायरल हो जा रहा है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इसमें और सुधार करने की आवश्यकता है।
नवलेश मिश्रा, समाजसेवी
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सर्वप्रथम निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा का हो रहे व्यवसायीकरण को तत्काल रोकने की जरूरत है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलवाने का कार्य करेंगे। इसके लिए समुचित योजना बनाने की जरूरत है।
संदीप कुमार, छात्र
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गया जिले की शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। गया महाविद्यालय में पढ़ने वाले 42 इंटरमीडिएट छात्रों के नामाकन रहने और पंजीयन का शुल्क जमा होने के बावजूद परीक्षा प्रपत्र भरने से रोके जाने से उनका भविष्य दांव पर लगा है। जिले के कई विद्यालयों से प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर अवैध वसूली का मामला सामने आ रहा है। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। योग्य शिक्षकों की घोर कमी है। प्रायोगिक परीक्षा का स्तर बिल्कुल निम्न है।
अमन मिश्रा, जिला संयोजक अभाविप