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ऐसे में कैसे निकलें राज्‍य और राष्‍ट्रीय स्‍तर के खिलाड़ी, यहां तो खेलने के लिए मैदान तक नहीं है

गया के डोभी में स्‍टेडियम बनाने की योजना फाइलों में धूल फांक रही है। आठ वर्षों में दो बार खेल मैदान के लिए जमीन चिह्ति कर उसकी रिपोर्ट सरकार के पास भेजी गई लेकिन हुआ कुछ भी नहीं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 10:10 AM (IST)
गया जिले के डोभी का खेल मैदान। जागरण फोटो

जेएनएन, गया। डोभी में खेल के प्रति युवाओ के जागरूकता को देखते हुए स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने सरकार से स्टेडियम के निर्माण की मांग की। सरकार ने कवायद शुरू भी की। जमीन का ब्‍योरा अधिकारियों से तलब किया। तब डोभी अंचल अधिकारी ने जमीन का ब्‍योरा भेज दिया। आठ वर्षों में दो बार जमीन की पूरी स्थिति से अवगत कराया। लेकिन सरकार के खेल विभाग के पास वह फाइल धूल फांक रहा है। इससे डोभी में अभिभावक से लेकर खिलाड़ी तक मायूस है। उनका कहना है कि ऐसे में कैसे राज्‍य अौर राष्‍ट्रीय स्‍तर के खिलाड़ी निकलेंगे।

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पूर्व विधायक ने किया था स्टेडियम निर्माण का वादा : शेरघाटी विधानसभा के पूर्व विधायक विनोद प्रसाद यादव ने चुनाव में विजय होने के बाद ही वादा किया था कि डोभी में स्टेडियम का निर्माण किया जाएगा। लेकिन दूसरी बार विधायक बनने के बाद भी यह कार्य अधूरा रह गया। लेकिन हां इनके प्रयास से जमीन का ब्योरा खेल मंत्रालय को भेजा गया। 

गौरतलब है कि डोभी मोड़ के पास स्थानीय बच्चों ने कुछ रैयती जमीन पर खेलकूद शुरू किया था। लेकिन बाद में उन जमीनों पर आलिशान मकान बन गए। उस जगह फील्ड नाम से आज भी डोभी में लोग जानते है परंतु फील्ड देखने को नहीं बचा है। खेल प्रेमी बासुदेव कुमार, रामखेलावन यादव और राजू कुमार ने बताया कि डोभी में स्टेडियम का निर्माण होने से यहां के बच्चों में खेल के प्रति बढ़ रही उदासीनता को रोका जा सकेगा।

प्रखंड क्षेत्र में खेल के मैदान का अभाव है। अधिकांश विद्यालय में भी खेल का मैदान नही है। बच्चे सिर्फ पढ़ाई करके घर लौटते है। प्रखंड स्तरीय छोटे-छोटे खेल के लिए बुनियादी विद्यालय अमारुत के मैदान का उपयोग किया जाता है। परन्तु इस मैदान का भी अतिक्रमण लगातार किया जा रहा है जिससे इसका आकार भी छोटा होता जा रहा है। प्रखंड प्रमुख सुनीता देवी ने कहा कि सरकार के पास स्टेडियम निर्माण के लिए अनुरोध पत्र पूर्व में भेजा गया है। इससे प्रखंड क्षेत्र के बच्चों में खेल की प्रतिभा को उभारा जा सके। लगातार प्रखंड के बच्चों में खेल के प्रति जागरूकता कम होती जा रही है।


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