हिदी भाषा का कार्यालय में उपयोग करने पर हो गर्व : कुलपति
टिकारी। हिदी हमारी राजभाषा है और इसे हमें आम जीवन व कार्यालय के कार्यो में प्रयोग करने में गौरवान्वित होना चाहिए।
टिकारी। हिदी हमारी राजभाषा है और इसे हमें आम जीवन व कार्यालय के कार्यो में प्रयोग करने में संकोच नहीं, बल्कि गर्व होना चाहिए। हिद महासागर से हिमालय तक, गुजरात से गुवाहाटी तक आपको हिदी बोलने वाले देशवासी मिलेंगे, इसलिए इसका प्रसार करना कठिन कार्य नहीं है। बस, दृढ़ संकल्प की कमी है, इसलिए आज हिदी दिवस के अवसर पर हम सब ये संकल्प लें कि अपनी दिनचर्या में हिदी भाषा का अधिकाधिक प्रयोग करेंगे। उक्त बातें दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने विवि में आयोजित हिदी दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहीं।
विवि के सभागार में हिदी दिवस व हिदी पखवाड़े का औपचारिक उद्घाटन किया गया। छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आतिश पराशर, कुलानुशासक प्रो. उमेश कुमार सिंह, भारतीय भाषा एवं साहित्य संकाय के अधिष्ठाता प्रो. सुरेश चंद्रा, परीक्षा नियंत्रक रश्मि त्रिपाठी, उपकुलसचिव प्रतीश कुमार दास के साथ प्राध्यापक, अधिकारी व कर्मचारीगण मौजूद थे। कार्यक्रम में आनलाइन माध्यम से भी बड़ी संख्या में प्राध्यापक व कर्मचारी जुड़े। कुलपति ने सभी विवि कर्मियों से कार्यालय के टिप्पण व प्रारूपण कार्यों में हिदी भाषा का इस्तेमाल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिदी हमारी पहचान है, इसलिए कार्यालय के बाहर भी मातृभाषा हिदी का प्रयोग करें। मौके पर प्रो. पराशर, प्रो. सिंह, प्रो. चंद्रा ने भी राजभाषा हिदी पर अपने विचार साझा किए एवं भाषा की स्थिति पर चिता व्यक्त करते हुए इसके उत्थान के उपाय सुझाए।
हिदी का उपयोग सभी को बांधता है एक सूत्र में
परैया। प्रखंड के प्लस टू उच्च विद्यालय में मंगलवार को हिदी दिवस पर कार्यक्रम हुआ। प्रधानाध्यापक मो जुल्फेकार हैदर ने सभा की अध्यक्षता की। हिदी व्याकरण व रचना को लेकर छात्रों के बीच आपसी परिचर्चा की गई। इस क्रम में विभिन्न रचनाकार को याद किया गया। कवि व लेखक वर्ग के सभी रचना का पाठ किया गया। हिदी भाषा के सभी जगह उपयोग को लेकर छात्रों ने संकल्प लिया। इस अवसर पर शिक्षकों ने बताया कि भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थानीय भाषाएं बोली जाती हैं। इस विविधता के बीच पूरे देश में हिदी का उपयोग इसे एक सूत्र में बांधने का काम करता है। बिहार से यूपी व यूपी से दिल्ली इन तीनों जगह की हिदी की शैली में कुछ भिन्नता सुनने में आती है। फिर भी इन सभी के बीच हिदी भाषा की मधुरता इसको विशिष्ट बनाती है। कार्यक्रम में शिक्षक विनय रजक, रविरंजन कुमार सिंह, राजेश भदानी, सुभाष चंद्र, शिक्षिका पूनम कुमारी, लिपिक मनोज कुमार, पुस्तकालयाध्यक्ष मो. तनवीर आलम, परिचारी अमित कुमार सहित अन्य रहे।