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किशोरों के बेहतर पोषण से स्वस्थ समाज होगा निर्मित, शारीरिक और मानसिक विकास को पौष्टिक आहार जरूरी

किशोरावस्था में शारीरिक एवं मानसिक विकास की गति सबसे अधिक होती है।किशोरावस्था में बेहतर पोषण एक सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस दौरान अच्छा पोषण स्वस्थ मातृत्व को सुनिश्चित करने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकास में भी सहयोगी होता है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 10:35 AM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 10:35 AM (IST)
किशोरों के बेहतर पोषण से स्वस्थ समाज होगा निर्मित, शारीरिक और मानसिक विकास को पौष्टिक आहार जरूरी
किशोरों के लिए पौष्टिक आहार लेना जरूरी। प्रतीकात्‍मक चित्र।

जागरण संवाददाता, सासाराम। किशोरावस्था में शारीरिक एवं मानसिक विकास की गति सबसे अधिक होती है।किशोरावस्था में बेहतर पोषण एक सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस दौरान अच्छा पोषण स्वस्थ मातृत्व को सुनिश्चित करने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकास में भी सहयोगी होता है। यह कहना है समेकित बाल विकास परियोजना की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी कुमारी सुनीता का।

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उन्होंने बताया कि किशोरी पोषण स्वस्थ मातृत्व की कुंजी होती है। किशोरावस्था में बेहतर पोषण से किशोरी में खून की कमी नहीं होती है जिससे भविष्य में मां बनने के बाद प्रसव के दौरान संभावित जटिलताओं में काफ़ी कमी आ जाती है। किशोरी को साप्ताहिक आयरन फ़ोलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली आयरन फोलिक एसिड की गोली का सेवन करना चाहिए। साथ ही रोज के आहार में आसानी से उपलब्ध पोषक तत्वों को शामिल करने से भी स्वस्थ रहा जा सकता है। हरी साग-सब्जी, मौसमी फ़ल, गुड एवं भूनी हुई चना, दूध के अलावा अंडे एवं मीट को शामिल करना चाहिए। इससे किशोरियों को आहार के जरिये संतुलित पोषण प्राप्त हो सकता है।

पोषक तत्वों की सबसे अधिक जरूरत

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 80 फीसद शारीरिक विकास  शुरुआती किशोरवस्था में हो जाता है| कुल वजन का लगभग 65 फीसद व  कुल ऊँचाई का 15 से 20 फीसद किशोरावस्था में ही प्राप्त हो जाता है| इसके अलावा 45 फीसद अस्थि तंत्र का विकास भी इस दौरान ही होता है| इसलिए किशोरावस्था में शेष सभी आयु वर्ग की तुलना में पोषक तत्वों की जरूरत सबसे अधिक होती है| इस दौरान  विटामिन ए, विटामिन बी-12, फोलिकएसिड, विटामिन बी-3, विटामिन सी एवं आयोडीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की अधिक जरूरत होती है।  इस दौरान ही पोषक आहार सेवन करने की आदत का विकास होता है जो युवावस्था से लेकर आगे की जिन्दगी पर भी प्रभाव डालता है।

नेशनल एकेडडेमी ऑफ़ साइंस नेशनल रिसर्च काउंसिल के अनुसार किशोर एवं किशोरियों में उम्र के हिसाब से पोषक तत्वों की जरूरत होती है। 11 से 14 वर्ष तक आयु-वर्ग की किशोरियों में 2200 किलो-कैलोरी एवं इसी आयु-वर्ग की किशोरों में 2500 किलो-कैलोरी ऊर्जा उर्जा की जरूरत जरुरत होती है। जबकि 15 से 18 वर्ष तक आयु-वर्ग तक की किशोरियों के लिए 2200 किलो-कैलोरी ऊर्जा एवं इसी आयु-वर्ग के किशोरों के लिए 3000 किलो-कैलोरी ऊर्जा की जरूरत जरुरत होती है। इसी प्रकार आयरन, कैल्सियम कैल्शियम, जिंक, विटामिन सी एवं फोलिक एसिड की मात्रा भी किशोर एवं किशोरियों के उम्र पर निर्भर करता है।


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