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हरतालिका तीज व्रत: सुबह 4.28 से 5.13 बजे के मध्य सर्वोत्तम मुहूर्त, महत्‍व बता रहे औरंगाबाद के ज्‍योतिष

नवविवाहिता प्रथम बार जब इस व्रत को करती हैं तो ससुराल से पूजा का समान एवं वस्त्रादि आते हैं। वैवाहिक वस्त्राभूषण धारण कर शिव विवाह संबंधित गीत गाती हुई पूजा करती हैं। ब्राह्मण से कथा सुनना चाहिए। नहाय खाय आठ सितंबर बुधवार को स्नान कर सात्विक भोजन करना चाहिए।

By Prashant KumarEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 04:15 PM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 04:15 PM (IST)
हरतालिका तीज व्रत: सुबह 4.28 से 5.13 बजे के मध्य सर्वोत्तम मुहूर्त, महत्‍व बता रहे औरंगाबाद के ज्‍योतिष
हरतालिका तीज व्रत की तैयारी करतीं महिलाएं। जागरण आर्काइव।

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद)। नौ सितंबर गुरुवार को तीज व्रत हैं। इसे हरितालिका भी कहा जाता है। सर्वप्रथम इस व्रत को शिव की प्राप्ति के लिए पार्वती जी ने की थी। इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है एवं पति स्वस्थ एवं दीर्घायु होता है। हस्त नक्षत्र रहने के कारण इसका महत्व अधिक है। आचार्य लाल मोहन शास्त्री ने बताया कि पूजा का समय तृतीया रात्रि 02.13 बजे तक रहेगी। इसके अंदर रात में कभी भी पूजा कर सकतीं हैं। शाम 05.13 बजे के पहले अर्थात 04.28 बजे से 05.13 बजे के मध्य पूजा करना सर्वोत्तम है, क्योंकि हस्त नक्षत्र संध्या 05.13 बजे तक ही रहेगा।

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नवविवाहिता प्रथम बार जब इस व्रत को करती हैं तो ससुराल से पूजा का समान एवं वस्त्रादि आते हैं। वैवाहिक वस्त्राभूषण धारण कर शिव विवाह संबंधित गीत गाती हुई पूजा करती हैं। ब्राह्मण से कथा सुनना चाहिए। नहाय खाय आठ सितंबर बुधवार को स्नान कर सात्विक भोजन करना चाहिए। संध्या में अच्छा पकवान गुड़ पिठी, दाल भरी हुई पूड़ी आदि बनाकर स्वजन को खिलाना चाहिए। रात्रि 03.51 बजे के पहले पूर्व परम्परा के अनुसार व्रत प्रारम्भ से पूर्व भोजन (सरगही) कर लेना चाहिए। 10 सितंबर शुक्रवार को प्रात: 05.50 बजे के बाद सत्तू गुड़ से पारण करने के साथ व्रत संपन्न करना चाहिए।

इस तरह सुहागिन करें पूजा

हरतालिका तीज की पूजा प्रात: काल यानी भोर में करना शुभ माना जाता है। सुविधा के अनुसार सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में पूजा कर सकती हैं। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू, रेत या काली मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन करना बेहतर माना गया है। नए फल और पकवान बनाए जाते हैं। पूजा के साथ कथा सुनना और रात में जागरण करना शुभ फलदायक होता है।

क्‍यों इस व्रत का है महत्‍व

इस व्रत को करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्‍य का फल मिलता है। कुछ प्रदेशों में कुंवारी कन्‍याएं मनचाहा वर पाने के लिए भी हरतालिका तीज का व्रत करती हैं। माता पार्वती ने भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर पूजा की थी। यही कारण है कि महिलाओं को निर्जला उपवास रखना होता है।


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