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मेहनत और जुनून से बंजर जमीन पर लाई हरियाली

फोटो 33 पर्यावरण संरक्षण -------- -जल जीवन हरियाली कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने 26 वर्षीय अमन कुमार को प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित -पिता के निधन के बाद मां ने परवरिश के रखे पैसे बेटे को पौधे लगाने को दिए -डेढ़ हजार पौधे लगाकर अमन युवाओं के लिए नब गए रोल मॉडल ----- -02 एकड़ भूमि में लगाए डेढ़ हजार फलदार व अन्य पौधे -600 सागवान 600 महोगनी 250 आम के भी पौधे लगाए -02 किलोमीटर दूर से पानी लाकर पौधों को गर्मी से बचाया ---------

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 12:01 AM (IST)
मेहनत और जुनून से बंजर जमीन पर लाई हरियाली

रंजन कुमार, खिजरसराय

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मेहनत और जुनून से दो एकड़ बंजर भूमि पर डेढ़ हजार पौधे लगाकर अमन युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। जल जीवन हरियाली कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। वह कहते हैं, पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तो हम रहेंगे। पर्यावरण बचाने के लिए हम सभी आगे आना चाहिए। हरेक व्यक्ति को अपने जीवन में पौधारोपण करना चाहिए।

खिजरसराय प्रखंड से पांच किमी दूर इस्माइलपुर गाव निवासी 26 वर्षीय अमन कुमार के पिता का निधन होने पर बुजुर्ग दादा ने उनकी परवरिश की। चार वर्ष पहले दादा का निधन हो गया। उसके बाद बाद पूरे घर की जिम्मेदारी अमन के कंधों पर आ गई। उसके बाद अमन ने कुछ करने की ठान ली। अमन ने अपनी दो एकड़ जमीन पर पौधे लगाए।

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पौधों को नीलगाय से बचाने के

लिए कई रातें जाग कर बिताई

मगध विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट अमन ने लगभग डेढ़ हजार पौधे लगाए। एक साल पूर्व 600 सागवान, 600 महोगनी, 250 आम, 50 पेड़ शीशम के लगाए। इनके अलावा 12 कटहल और अमरुद के पौधे भी लगाए। इन पौधों को लगाने पर लगभग ढाई लाख रुपये की लागत आई। मां ने इस कार्य के लिए बेटे के प्रोत्साहन में कभी पीछे नहीं हटीं। पति की मौत के बाद बच्चों की परवरिश के लिए रखे पैसों को पर्यावरण सरंक्षण के लिए बेटे को दिया। पौधों को नीलगाय से क्षति न पहुंचे इसके लिए उसने कितनी ही रातें जाग कर काटीं।

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पटवन के लिए नहीं थे पैसे

आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अमन पौधों के पटवन के लिए अपने खेत में बोरिंग नहीं कर सका। उसने हार नहीं मानी और गोतिया के मोटर और पाइप के सहारे पटवन किया। धीरे-धीरे बागान बेहद सुंदर हो गया है।

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समाचार पत्रों में संदेश

पढ़कर बदली सोच

अमन बताते हैं, कई बार समाचार पत्रों और टीवी में पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़ लगाने का संदेश पढ़ा और देखा। इस दौरान ऐसे कई लोगों के बारे में जानकारी मिली जो फलदार वृक्ष लगाकर अच्छी आमदनी कर रहे थे। इसी से प्रेरणा लेकर पारंपरिक खेती छोड़ पेड़ लगाने को सोचा।

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संरक्षण की व्यवस्था के बिना

पौधारोपण अभियान बेमानी

सरकार के अभियान के संबंध में पूछे जाने पर अमन कहते हैं, इन दिनों सरकार एवं अन्य संगठनों द्वारा पौधारोपण कार्यक्रम तो चलाए जा रहे हैं। इनके संरक्षण की व्यवस्था के बिना यह अभियान बेमानी है। इस वर्ष भीषण गर्मी पड़ने और पटवन की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण एक बार तो लगा कि दो वषरें की मेहनत बर्बाद हो जाएगी पर काफी कठिनाई के बाद भी दो किलोमीटर दूर से पानी लाकर पौधों को बचाया। उन्होंने बताया कि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहने के कारण पटवन के लिए कई बार मनरेगा के अधिकारियों से बोरिंग और चापाकल की माग की गई। अधिकारियों द्वारा अभी तक सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है।


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