Move to Jagran APP

गया में खपरैल के दो कमरों में चलता है आजादी के पहले बना राजकीय मध्य विद्यालय

सुभाष कुमार गया। शहर के किरानी घाट स्थित आजादी के पूर्व 1919 में बना राजकीय मध्य विद्यालय जर्जर भवन में चल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 11:13 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 11:13 PM (IST)
गया में खपरैल के दो कमरों में चलता है आजादी  के पहले बना राजकीय मध्य विद्यालय
गया में खपरैल के दो कमरों में चलता है आजादी के पहले बना राजकीय मध्य विद्यालय

सुभाष कुमार, गया। शहर के किरानी घाट स्थित आजादी के पूर्व 1919 में बना राजकीय मध्य विद्यालय पंचायती अखाड़ा भवन का दो कमरों के खपरैल भवन में संचालन होता आ रहा है। अब यह काफी जर्जर हालत में है। कमरों की कमी के कारण शिक्षिका बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाती हैं। एक साल पूर्व शिक्षा विभाग की ओर से इसे उर्दू प्राथमिक विद्यालय पंचायती अखाड़ा को शिफ्ट कर दिया है, लेकिन अब भी बच्चे बरामदे में ही पढ़ते हैं। बरसात के दिनों में इसकी हालत काफी दयनीय हो जाती है। बैठने के लिए बच्चों को जगह नहीं मिलती है। खपरैल वाले दोनों कमरों में पानी टपकता रहता है।

loksabha election banner

इस राजकीय मध्य विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक नामांकित बच्चों की कुल संख्या 283 है। बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक के अलावा आठ शिक्षिकाएं हैं। हर दिन 50 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति होती है। वहीं, उर्दू प्राथमिक विद्यालय में भी कुल बच्चे 40 हैं। यह विद्यालय डायट पंचायती अखाड़ा के पास चलता था। इसी को लेकर नामांकन अभियान बंद कर दिया गया। प्रधान शिक्षक मो. मरगूब आलम ने बताया कि पहले विद्यालय यहां से एक किमी दूर था। यहां पढ़ने वाले बच्चों को आने में परेशानी होती है। यहां भी प्रधान शिक्षक के अलावे मात्र एक शिक्षिका हैं। बैठने की जगह नहीं, बच्चों की उपस्थिति भी हर दिन काफी कम :

विद्यालय भवन काफी जर्जर होने के कारण बच्चों की उपस्थिति हर दिन काफी कम होती है। सोमवार को बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत भी नहीं दिखी। राजकीय मध्य विद्यालय पंचायती अखाड़ा के प्रधानाध्यापक शमा जहां ने बताया, उन्होंने नवंबर 2017 में पद ग्रहण किया था। उस समय तो विद्यालय काफी जर्जर हालत में था। इसके बाद विद्यालय की फर्श बनवाई गई। विधानसभा चुनाव के दौरान 50 हजार रुपये दिए गए थे। इसके बाद किसी प्रकार की योजना का लाभ नही मिला है। यहां बच्चों का नामांकन एक से पांच तक 154 है। इसी प्रकार छह से आठ वर्ग में बच्चों की संख्या 131 है। इसके लिए पर्याप्त सात शिक्षिकाओं की नियुक्ति है। यह नगर निगम उत्तरी क्षेत्र के अंतर्गत शहर के बीचोबीच स्थित है। इसके बावजूद भी शिक्षा विभाग इस पर विशेष ध्यान नहीं देता है। पोषक क्षेत्र के बच्चे विद्यालय में आते हैं पढ़ने, नहीं हैं व्यवस्थाएं :

पोषक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मोहल्लों किरानी घाट, दुखहरणी मंदिर, पंचायती अखाड़ा, अड्डा के अलावे अन्य के बच्चे इस विद्यालय में पढ़ते आते हैं। बच्चों का कहना है कि विद्यालय के भवन की हालत खराब है। इसको लेकर अभिभावकों को चिंता सताती रहती है। विद्यालय की जर्जर हालत से सवाल उठता है कि प्रत्येक साल विकास और रखरखाव के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि का क्या होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.