महिला को बार बार दफ्तर बुलाता था सरकारी कर्मचारी, गया डीएम ने फौरन लिया ये कड़ा एक्शन
गया में पति की मौत के बाद पत्नी के नाम पर जमीन के ट्रांसफर को लेकर एक कर्मचारी बार बार बहाने बना रहा था। ससुर ने डीएम के सामने आपनी समस्या बताई जिसके बाद जिलाधिकारी ने 48 घंटे के अंदर काम पूरा करने का निर्देश दिया ।
जागरण संवाददाता, गया। जिलाधिकारी डा. त्यागराजन एसएम ने शुक्रवार को आमजनों की समस्याओं को सुनने के लिए कलेक्ट्रेट सभागार में जनता दरबार लगाया। बेलागंज, कोइरी बीघा के अवध बिहारी शर्मा ने बताया कि उनके पुत्र की मृत्यु उपरांत बहू के नाम पर जमीन को स्थानांतरित कराने के लिए अनेकों बार बेलागंज अंचल के कर्मचारी के पास दौड़ लगाई। इसके बाद भी जमीन भी काम नहीं हो पाया। जिलाधिकारी ने अंचल अधिकारी बेलागंज को फटकार लगाते हुए 48 घंटे के अंदर सभी कागजातों का सत्यापन करते हुए नाम स्थानांतरण करने का सख्त निर्देश दिया। भूमि सुधार उप समाहर्ता सदर को संबंधित कर्मचारी एवं उक्त मामले की गंभीरता से जांच करने का निर्देश दिया। दोषी पाए जाने वाले राजकुमार दास (अंचल कर्मचारी) के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
'मुआवजे की राशि का तुरंत हो भुगतान'
पहाड़पुर नैली पंचायत के एक व्यक्ति द्वारा पेयजल की समस्या बताई गई। इसपर कार्यपालक अभियंता पीएचइडी को संबंधित स्थान का भौतिक निरीक्षण करते हुए रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। जनता दरबार में सुनवाई के दौरान कई व्यक्ति आपदा विभाग से संबंधित आवेदन पाए गए। जिलाधिकारी ने प्रभारी पदाधिकारी जिला आपदा शाखा को निर्देश दिया कि कुएं में डूबने, नदी में डूबने, अगलगी, बरसात से कच्ची मिट्टी के घर गिरने, वज्रपात जैसे मामलों को देखते हुए त्वरित मुआवजा भुगतान करें।
'संपत्ति बंटबारे के बाद पिता को भरण पोषण दिलाएं अधिकार'
टिकारी अनुमंडल अंतर्गत नारायण बिगहा के पारस यादव ने बताया कि संपत्ति का बंटवारा पुत्रों के बीच कर दिया है। लेकिन पुत्रों द्वारा भरण पोषण नहीं किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने अनुमंडल पदाधिकारी टिकारी को संबंधित मामले की जांच कराते हुए आवेदक को भरण पोषण पुत्रों द्वारा करवाने का निर्देश दिया। जनता दरबार में भूमि विवाद, राशन कार्ड, पेयजल की समस्या, दाखिल खारिज, आपदा से संबंधित, वृद्धा पेंशन, संपत्ति बंटवारा, भूमि अधिग्रहण का मुआवजा सहित अन्य मामलों को गंभीरता पूर्वक सुना। संबंधित पदाधिकारियों को प्राप्त आवेदनों को जांच कराते हुए सात दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।