गांव की पाती
गया। महुआइन गाव धर्म ग्रंथ और वेद वाचन करने वाले पुरोहितों के कारण क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाला गांव अब कुव्यवस्था का शिकार है।
गया।
महुआइन गाव धर्म ग्रंथ और वेद वाचन करने वाले पुरोहितों के कारण क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रखा है। वर्तमान समय में यह गाव अपने पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है। गाव के लोगों को वर्तमान समय में बुनियादी जरूरत से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहा के लोगों को यह मलाल है कि चुनाव में वोट लेने के लिए हाथ फैलाए आने वाले लोग जब चुनाव जीत जाते हैं तब इस गाव की तरफ मुड़कर नहीं देखते हैं। नतीजतन शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सिंचाई, पेयजल आदि की समस्या से यह गाव जूझ रहा है।
गाव में देश की आजादी से काफी पहले वर्ष 1934 में प्राथमिक विद्यालय की स्थापना हुई थी। जिसे बाद में मध्य विद्यालय का दर्जा दे दिया गया। 14 साल पूर्व इस विद्यालय में दो मंजिला विद्यालय भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण निर्माण कार्य अधूरा रह गया। विद्यालय में वर्ग 1 से 8 तक कक्षाओं का संचालन होता है। विद्यालय के कमरों में दरवाजा लगा नहीं रहने के कारण पशु कमरे को गंदा कर देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय की दयनीय हालात का फायदा उठाकर यहा पढ़ाने वाले शिक्षक भी विद्यालय में समय से नहीं आते हैं जिससे पढ़ाई बाधित है।
गाव के अधिकतर लोग किसान और खेतिहर मजदूर हैं लेकिन यह गाव न तो किसी नहर से जुड़ा हुआ है और न ही गाव के आसपास कोई बड़ा आहर पोखर आदि है। इस कारण गाव के किसान खेतों में पटवन के लिए केवल भूगर्भीय जल स्त्रोत पर निर्भर हैं। गाव में सिंचाई के लिए बरसात का जल संग्रहित करने के लिए एक छोटा सा आहर भी है तो उसमें गाद भरा रहने से उसकी जल संग्रहण की क्षमता काफी कम हो गई है । सात किमी दूर है स्वास्थ्य केंद्र
एक हजार आबादी वाले इस गाव में कोई भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र मौजूद नहीं है। यहा के लोगों को लगभग 7 किलोमीटर की दूरी तय कर मथुरापुर या 10 किलोमीटर की दूरी तय कर गुरारू बाजार जाना पड़ता है। आपात स्थिति में रात्रि के समय यहा के मरीज भगवान भरोसे ही जीवित रहते हैं। गाव की गलियों को तारणहार का इंतजार :
गाव की अधिकतर गलिया कच्ची हैं, जो बरसात के दिनों में मिट्टी और कीचड़ से सराबोर रहती है। गाव में सड़कों के किनारे नाली का निर्माण भी नहीं हो सका है। नतीजतन गाव के लोग घर के आगे गलियों की मिट्टी खोदकर लाचारीवश नाली बनाते हैं। इससे बरसात के दिनों में गाव के गलियों में पानी भर जाने पर नाली का पानी भी घरों में प्रवेश कर जाता है। गाव के दो वार्ड में से किसी को सात निश्चय योजना से पक्की गली और नाली योजना के तहत चयनित नहीं किया गया है। हालात यह है कि गाव में स्थित विद्यालय तक पहुंचने के लिए भी कोई रास्ता बना हुआ नहीं है।अभी भी गाव के लोग किसी कारण हार की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।
गाव को जोड़ने वाली सड़क की स्थिति का आलम यह है कि महुआइन गाव से पंचायत मुख्यालय वरोरह की दूरी 2 किलोमीटर से भी कम है । लेकिन गाव से सीधा सड़क संपर्क पंचायत मुख्यालय का नहीं है । जिस कारण गाव के लोगों को यहा से मथुरापुर घटेरा होते सड़क से करीब 10 से 12 किलोमीटर का चक्कर काटकर पंचायत मुख्यालय जाना पड़ता है । खाद्यान्न खरीदने की सरकारी व्यवस्था नहीं : इस गाव में किसानों द्वारा उपजाया गया धान, गेहूं आदि खरीदने की सरकार के स्तर से कोई भी क्रय केंद्र नहीं खोला जाता है। पैक्स गोदाम पहुंचने के लिए लोगों को वाया मथुरापुर होकर जाना पड़ता है। जिस कारण से यहा के किसानों को अपना उपज ओने.पौने दाम पर मथुरापुर बाजार में बेचना पड़ता है। बैंक की नहीं है सुविधा :
इस गाव में बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र भी नहीं है। यहा से लोगों को करीब 5 किलोमीटर की दूरी तय कर मटुक बीघा गाव मैं स्थित बैंक जाना पड़ता है। 10 किलोमीटर की दूरी तय कर मथुरापुर बाजार में स्थित बैंक अथवा 12 किलोमीटर की दूरी तय कर गुरारू बाजार में स्थित बैंक तक जाना पड़ता है। गाव के आसपास एटीएम की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। ----
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जमीन का जलस्तर धीरे.धीरे घट रहा है । सरकार का ध्यान इस पर नहीं है। पानी के अभाव में फसल नष्ट हो जाती है। पईन की सफाई हो नहीं रही है। आहर धीरे धीरे भरते.भरते खेत बनते जा रहे हैं।
श्रीकात पाठक फोटो-38
विद्यालय की हालत बिल्कुल दयनीय है । भवन 14 साल से अधूरा पड़ा है । विद्यालय में शिक्षक न तो समय से विद्यालय में शिक्षक न तो समय से आते और समय से जाते हैं । डेढ़ से दो बजे के बीच स्कूल बंद हो जाता है। आवाज उठाने पर विद्यालय के शिक्षक कहते हैं कि गैर अभिभावक को बोलने का कोई अधिकार नहीं है ।
रजनीश कुमार फोटो-39
गाव में किसानों के खेतों तक बिजली का पोल और तार बिजली विभाग द्वारा नहीं पहुंचाया गया है। मोटर से सिंचाई करने के लिए बास के सहारे तार बाध कर ले जाना पड़ता है । जिससे हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। बिजली विभाग के अफसर कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं।
वृजनंदन सिंह फोटो-40
. वार्ड नंबर 13 और 14 को सात निश्चय योजना के तहत नली गली स्कीम मिल जाने पर गाव का संपूर्ण विकास हो सकता है। लेकिन भेदभाव की नीति के कारण हमारे वार्ड का चयन अभी तक नहीं किया गया है । नल जल योजना भी हमारे वार्ड में अभी शुरू नहीं हो पाया है। सरकारी अधिकारी हमारी बात नहीं सुनते हैं ।
संतोष चंद्रवंशी, वार्ड सदस्य फोटो-41
गाव में बैंक का सीएसपी खुलना बहुत जरूरी है। हम लोगों को दो.तीन सौ रुपये भी निकालना रहता है तब भी 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
कुमार गौरव फोटो 42
महुआइन से वरोरह तक सड़क का निर्माण होना जरूरी है। वरोरह बाजार में जरूरत के सभी सामान मिल जाते हैं। वहा बैंक का सीएसपी भी है। वहा कुछ दूरी पर पैक्स गोदाम है।
उमेश सिंह फोटो 43
पूरे गाव में नाली की दिक्कत है । स्कूल का रास्ता भी बनना जरूरी है। कोई जनप्रतिनिधि जीतने के बाद इस गांव की तरफ नहीं आता है। चुनाव के समय लोग चक्कर लगाते रहते हैं।
शैलेंद्र सिंह --------
1000 है गांव की आबादी।
02 किमी. दूर है पंचायत सरकार भवन।