Move to Jagran APP

गया: नीरा के रूप में वैकल्पिक व्यवसाय के लिए जीविका के माध्यम से दो दिवसीय प्रशिक्षण, जानिये कैसे होगा लाभ

नीरा का उत्पादन बढ़ाने व लोगों को नीरा के रूप में वैकल्पिक व्यवसाय के अवसर के लिए जिला प्रशासन व जीविका के माध्यम से दो दिवसीय प्रशिक्षण गुरुआ प्रखंड के पुनौल गांव में दिया गया। ताड़-खजूर के रस से गुड़ व पेड़ा बनाने की विधि सिखाई गई।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 07:23 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 07:23 PM (IST)
गया: नीरा के रूप में वैकल्पिक व्यवसाय के लिए जीविका के माध्यम से दो दिवसीय प्रशिक्षण, जानिये कैसे होगा लाभ
गया में नीरा उतारते व्यक्ति की सांकेतिक तस्वीर

 जागरण संवाददाता, गया : नीरा का उत्पादन बढ़ाने व जीविका के माध्यम से लोगों को नीरा के रूप में वैकल्पिक व्यवसाय का अवसर उपलब्ध कराने के लिए शनिवार को जिला प्रशासन व जीविका के माध्यम से दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम व जीविका के पूरी टीम के साथ गुरुआ प्रखंड के पुनौल गांव में पुरुषों व महिलाओं को ओरियंटेशन प्रोग्राम में नीरा बनाने, ताड़-खजूर के रस से गुड़ व पेड़ा बनाने की विधि, लवणी को साफ सुथरा करने व उसके अंदर चूना का लेप लगाने व मुख्य कार्यकर्ता टैपर्स से नीरा प्रशिक्षण की जानकारी ली। 

loksabha election banner

2017 से ही बिहार में नीरा का हो रहा उत्पादन

ओरियंटेशन सेशन में जिला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम ने बताया कि नीरा का उत्पादन वर्ष 2017 से ही बिहार में किया जा रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा नीरा के उत्पादन एवं इसके अन्य उत्पाद यथा गुड़, पेड़ा इत्यादि लोगों को उपलब्ध कराना है। पूरे राज्य में ताड़ी एवं शराब पर प्रतिबंध लगने के कारण ताड़ी उतारने वाले समुदाय एवं इसका सेवन करने वाले लोगों को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है। ताड़ी से नीरा बनाने व इस समुदाय से जुड़े लोगों को स्वरोजगार देने के उद्देश्य से नीरा का उत्पादन एक सम्मान जनक व स्वास्थप्रद प्रयास है। 

खजूर के पेड़ से दो से ढाई लीटर प्रति पेड़ व ताड़ के पेड़ से 8-10 लीटर प्रति पेड़ ताड़ी निकलता है, जिसका नीरा तैयार किया जा सकता है। लवणी के अंदर चूने का गहरा लेप लगा देने से इसकी खराब होने की संभावना नहीं रहती है। पुनौल गांव के सूरज नीरा ग्रुप के दीपक चौधरी व अमृत चौधरी द्वारा बताया गया कि ताजे ताड़ी से उत्पादित नीरा की गुणवत्ता अच्छी होती है। सूरज नीरा ग्रुप द्वारा लगभग तीन वर्षों से इस कार्य को किया जा रहा है।

कई राज्यों के मास्टर ट्रेनर दे रहे प्रशिक्षण

जिला पदाधिकारी ने बताया कि नालंदा में 2017 से ही नीरा का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। नालंदा तथा अन्य राज्यों यथा महाराष्ट्र, तमिलनाडु इत्यादि राज्यों से मास्टर ट्रेनर को बुलाकर आप सबों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। घर की महिलाओं का समूह बनाया जाएगा। ताड़ी के लिए निर्धारित दर मिलेगा। सरकार द्वारा आपको प्रशिक्षण, पैसा तथा अन्य सुविधाएं यथा लवणी, आइसपैक, इंसुलेटेड जार आदि दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि नीरा का 6.5 से 8 पीएच वैल्यू होना आवश्यक है। जिला प्रबंधक जीविका ने बताया कि फरवरी माह में टैपर्स व उत्पादन समूह को प्रशिक्षण, फंडिंग एवं लाइसेंस देने का कार्य किया जाएगा।

 उन्होंने सभी बीपीएम, जीविका एवं लीवलिहूड, प्रोड्यूसिंग ग्रुप को निदेश दिया। वे इस काम में लगे लोगों को जागरूक तथा प्रेरित करने का कार्य करें। इस अवसर पर टैपर्स व उनके परिवार, प्रोड्यूसिंग ग्रुप पीजी, बीपीएम जीविका, जीविका दीदी, अनुमंडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी सहित वरीय उप समाहर्ता एवं अन्य पदाधिकारी तथा जीविका के पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.