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Gaya PitruPaksha: पिछले दो दिनों से वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज रहा विष्णुपद मंदिर परिसर

देव परिधि यानी विष्णुपद मंदिर परिसर दो दिनों से वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज रहा है। रविवार को बड़ी संख्‍या में कार्तिकपद दक्षिणाग्निपद गार्हपात्याग्निपद व आहवनायाग्निपद पिंडवेदियों पर पिंडदानियों ने कर्मकांड किया। सोमवार को सूर्यपद चंद्रपद गणेशपद संध्याग्निपद आवसंध्याग्निपद व दधीचिपद पर कर्मकांड होगा।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 10:49 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 10:49 AM (IST)
विष्‍णुपद मंदिर परिसर में पिंडदान करते पिंडदानी। जागरण फोटो।

गया, जागरण संवाददाता। देव परिधि यानी विष्णुपद मंदिर परिसर दो दिनों से वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज रहा है। रविवार को बड़ी संख्या में पिंडदानियों ने अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर कर्मकांड किया। देव परिधि में 16 वेदियां हैं, जिसमें कार्तिकपद, दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्याग्निद व आहवनयाग्निपद पिंडवेदी पर पिंडदानियों ने पितृपक्ष के सातवें दिन का कर्मकांड किया। सुबह से ही उक्त पिंडवेदियों पर कर्मकांड को लेकर पिंडदानी पहुंचने लगे थे।पिंडदानी फल्गु नदी में स्नान व तर्पण कर देव परिधि में कर्मकांड की सामग्री लेकर पहुंच रहे थे। हाथी के आकार में निर्मित उक्त वेदियों में पिंडदानियों का जमावड़ा था। वेदियों पर भीड़ होने कारण परिसर में बने चबूतरे व बरामदे में बैठकर पिंडदानी कर्मकांड कर रहे थे।

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वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पुरोहितों द्वारा कर्मकांड कराया जा रहा था। चावल, काला तिल, जौ का आटा, कुश, फल, फूल आदि सामग्री से साथ पिंडदानी कर्मकांड कर रहे थे। परिसर में सबसे अधिक संख्या सात, नौ, 11 व 15 दिनों का कर्मकांड करने वाले पिंडदानियों की थी। छत्तीसगढ़ के रायपुर से आए मनोज कुमार जिंदल ने कहा, गयाजी में पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए आए हैं। 17 दिनों का कर्मकांड कर रहे हैं। भगवान विष्णु के समक्ष कर्मकांड करने से मन को शांति मिल रही है। भगवान श्रीहरि का दर्शन कर धन्य हो गया हूं। वहीं, उत्तर प्रदेश के बलिया से आए अरुण उपाध्याय कहना है कि 15 दिनों के कर्मकांड को लेकर गयाधाम में आए हैं। सातवें दिन कर्मकांड देव परिधि में कर रहा हूं। दो दिन और देव परिधि में कर्मकांड चलेगा। इसके बाद फल्गु तट पर स्थित सीताकुंड में कर्मकांड किया जाएगा। 16 वेदी कठोर पत्थर पर स्थित हैं, जहां कर्मकांड की विधि को लेकर नीचे उतरना पड़ता है। पत्थर पर फिसलन होने के कारण पिंडदानियों को थोड़ी परेशानी हो रही थी।

वहीं, विष्णुपद मंदिर परिसर में सुबह से तीर्थयात्रियों की लंबी कतारें लगी थीं। तीर्थयात्रियों को गहन जांच के बाद मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जा रही थी। कर्मकांड के संपन्न होने के बाद पिंडदानी भगवान श्रीहरि विष्णु के चरण चिह्न में पिंड अर्पित कर रहे थे। वहीं, सोमवार को देव परिधि में स्थित सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, संध्याग्निपद, आवसंध्याग्निपद व दधीचिपद पर पिंडदानी कर्मकांड करेंगे।


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