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Gaya PitruPaksha: पहले पितृपक्ष में काफी कम संख्या में पिंडदानी एक दिन का करते थे कर्मकांड

सात दशक पहले पिंडदानियों में आस्था अधिक होता था। अपने पितरों को मोक्ष के लिए कम से कम तीन दिन का कर्मकांड तो जरूर करते थे। लेकिन आज पितृपक्ष में एक दिन का कर्मकांड करने वाले पिंडदानियों की संख्या काफी बढ़ गयी है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 06:43 AM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 06:43 AM (IST)
Gaya PitruPaksha: पहले पितृपक्ष में काफी कम संख्या में पिंडदानी एक दिन का करते थे कर्मकांड
गया में पिंडदान व तर्पण करते श्रद्धालु, जागरण फाइल फोटो।

गया, जागरण संवाददाता। सात दशक पहले पिंडदानियों में आस्था अधिक होता था। अपने पितरों को मोक्ष के लिए कम से कम तीन दिन का कर्मकांड तो जरूर करते थे। लेकिन आज पितृपक्ष में एक दिन का कर्मकांड करने वाले पिंडदानियों  की संख्या काफी बढ़ गयी है। उक्त बातें 86 वर्षीय गयापाल पुरोहित मुरारी लाल अहीर पाठक ने कहीं।

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कम-से-कम तीन दिनों को हाेता था पिंडदान

उन्होंने कहा कि अब पितृपक्ष में काफी कम संख्या में पिंडदानियों  17 दिनों को कर्मकांड करते है। जबकि 70 वर्ष पहले काफी संख्या में पिंडदानी 17 दिनों को कर्मकांड थे। कम से कम कर्मकांड तीन दिन का कर्मकांड करके पिंडदानी घर लौटते थे। तीन दिन के कर्मकांड में पिंडदानी देवघाट, विष्णुपद, प्रेतशिला, रामशिला, रामकुंड, कागवेदी, सीताकुंड, रामगया, बोधगया, अक्षयवट पिंडवेदी पर अपने पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर कर्मकांड करते थे। इसके बाद सुफल का आर्शीवाद लेकर ही घर लौटते थे।

फलाहार रहकर करते थे पिंडदान

पिंडदानी लकड़ी के चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाते थे। पूरे दिन फलहार रहकर कर्मकांड करते थे। सिर्फ रात में भोजन कर जमीन पर चटाई बिछाकर सो जाते थे। लेकिन अब काफी संख्या में पिंडदानी होटल में रहकर कर्मकांड करते है। साथ ही होटल का बना भोजन कर कर्मकांड करते है। साथ ही वाहन से पिंडवेदियों पर घूम-घूम कर कर्मकांड करते है। जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। पैदल चलकर सभी पिंडवेदियों पर कर्मकांड करते थे। वाहन का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करते थे। उन्होंने कहा कि बिना गयापाल तीर्थ पुरोहित का आदेश कर्मकांड नहीं करते थे। तीर्थ पुरोहित से आदेश मिलने के बाद ही पिंडदानी अपने पितरों को मुक्ति को लेकर कर्मकांड करते थे।

  बता दें कि गयाजी में आज सोमवार से पिंडदानी पहुंचने लगे हैं। हालांकि सरकार ने पितृपक्ष मेला आयोजित नहीं करने की घोषणा की है, मगर साथ ही कहा है कि पितरों की मोक्ष की कामना लेकर आनेवाले पिंडदानियों को कर्मकांड करने से नहीं रोका जाएगा।


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