Gaya PitriPaksha 2021: पिंडदानियों ने भीमगया, गौप्रचार व गदालोल वेदी पर किया कर्मकांड
सुबह होते ही शनिवार को पिंडदानियों ने भीमगया गौप्रचार एवं गदालोल पिंडवेदी पर कर्मकांड के लिए पहुंचने लगे थे। पूरे दिन उक्त पिंडवेदियों पर कर्मकांड होता रहा। सबसे अधिक पिंडदानियों की संख्या गौप्रचार पिंडवेदी पर देखी गई। पिंडदानी गायों के पैरों का निशान पर पिंड को अर्पित कर रहे थे।
गया, जागरण संवाददाता। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज एवं सरल मार्ग है। देश में ऐसे तो कई स्थान है जहां पिंडदान किया जाता है। मगर गया में फल्गु नदी के तट पर पिंडदान का कुछ और ही महत्व है। इसी महत्व को लेकर पितृपक्ष में काफी संख्या में पिंडदानी अपने पितरों की मोक्ष को लेकर कर्मकांड करते है। इसी क्रम में शनिवार को पिंडदानियों ने भीमगया, गौप्रचार एवं गदालोल पिंडवेदी पर कर्मकांड किया। सुबह से ही उक्त पिंडवेदियों पर कर्मकांड को लेकर पिंडदानी पहुंचने लगे थे। सूर्य उदय होते ही पुरोहितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कर्मकांड का विधि शुरू कर दिए थे। पूरे दिन उक्त पिंडवेदियों पर कर्मकांड होता रहा। सबसे अधिक पिंडदानियों की संख्या गौप्रचार पिंडवेदी पर देखी गई।
पिंडदानी अपने पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर कर्मकांड कर रहे थे। गौप्रचार वेदी पर गायों के सैकड़ों पैरों का निशान आज भी स्पष्ट देखा जाता है। पिंडदानी कर्मकांड कर गायों के पैरों का निशान पर पिंड को अर्पित कर रहे थे। पिंडवेदी वैदिक मंत्रोच्चारण से पूरी तरह से गूंज रहा था। पिंडवेदी सबसे अधिक संख्या 15 एवं 17 दिनों का कर्मकांड करने वाले ङ्क्षपडदानियों का था। हरियाणा से आए योगेंद्र ङ्क्षसह ने कहा कि गयाधाम पहली पितरों की मोक्ष दिलाने को लेकर आए हूं। 17 दिनों का कर्मकांड कर रहा हूं। गौप्रचार वेदी पर गायों का पैर का निशान देखकर हैरान हूं। राजा युधिष्ठिर द्वारा महायज्ञ इस स्थान पर किया गया था। जिसमें लाखों गाय दान में दिया गया था। गाय के पैरों का चिन्ह के पास कर्मकांड करने से पितरों को गौ लोक की प्राप्ति होती है। वहीं भगवान विष्णु ने हेती नामक दानव को वध कर अपने गदा को गदालोल सरोवर में धोए थे। इस स्थान पर ङ्क्षपडदान करने से पितरों को अक्षयलोक की प्राप्ति होती है। भीमगया ङ्क्षपडवेदी पर महाभारत काल में भीम ने ङ्क्षपडदान किया था। एक पैर को मोड़ कर कर्मकांड किया था। आज भी भीम का पैर का निसान है। कर्मकांड करने से पितरों के मोक्ष मिलती है।