गया में गरीबों के 225 गांव घोषित हुए आदर्श
- प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गया जिला में अनुसूचित जाति के कई गांवों और टोलों का हुआ विकास ................ - 2010 में हुई थी प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत। बिहार सहित देश के पांच राज्यों में संचालित हो रही योजना। बिहार से एकमात्र गया जिला योजना के तहत चयनित - 4572 परियोजनाओं में से 4207 के काम पूरे। 365 परियोजनाएं भी जल्द हो जाएंगी पूरी। उसके बाद गया जिला में योजना का पहला चरण संपन्न हो जाएगा। शुरू होगा दूसरा चरण प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत चयनित गांवों में शत प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। उन गांवों को आदर्श ग्राम घोषित किया जा चुका है। कुछ गांवों में थोड़ा-बहुत कार्य बचा है जिसे शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। मैं खुद इस योजना की निगरानी कर रहा और यह मेरी प्राथमिकता में है। - अभिषेक सिंह जिलाधिकारी गया
मुकेश कुमार, गया :
यह हाशिये की आबादी और पिछड़े गांवों के उत्थान की योजना है। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना। बिहार में एकमात्र सौभाग्यशाली जिला गया है, जहां योजना का संचालन हो रहा। कामयाबी भी काबिल-ए-तारीफ है। अब तक 225 गांव आदर्श घोषित किए जा चुके हैं। उन गांवों में नागरिक सुविधाएं बहाल हुई हैं और गरीब-फटेहाल बच्चे नए दौर के सपने देखने लगे हैं। गया के 16 प्रखंडों में अभी योजना का संचालन हो रहा। जिला कल्याण पदाधिकारी गिरीश चंद्र पांडेय बताते हैं कि छानबीन के बाद अनुसूचित जाति बहुल गांव और टोले चिह्नित किए गए थे। समय से लक्ष्य पूरा करने की चुनौती थी। हम सबने कर गुजरने की ठानी। चार हजार पांच सौ 72 कार्ययोजनाएं स्वीकृत हुई थीं, जिनमें से 4207 काम पूरे हो गए। बोधगया प्रखंड में शेखवारा व तुरीखुर्द गांव के वासी रामदेव मांझी व महेंद्र चौधरी बताते हैं कि उनके गांव की तो सूरत ही बदल गई है। अब हमारे बच्चे भी पढ़ाई के साथ-साथ आगे बढ़ने के सपने देख रहे। गया जिला में योजना का पहला चरण समापन की ओर है। काम लगभग पूरा हो चुका है। वे 365 परियोजनाएं भी यथाशीघ्र पूरी हो जाएंगी और उसके बाद पहले चरण की उपलब्धि शत प्रतिशत हो जाएगी। 69.21 करोड़ रुपये की लागत से परियोजनाएं पूरी होंगी। इसमें केंद्र और राज्य सरकार का आधा-आधा अंशदान है। आदर्श ग्राम की अवधारणा: जिस गांव या टोले की आबादी में अनुसूचित जाति की संख्या 50 फीसद से अधिक है, वह योजना के तहत लाभ का हकदार होगा। देर-सबेर ऐसे सभी गांवों/ टोलों का विकास किया जाना है। वहां नागरिक सुविधाएं मुहैया कराई जानी हैं। उद्देश्य है कि बदहाल और फटेहाल आबादी को जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति का आधार मिल सके। गैर वर्गो से उनकी विषमता खत्म हो और हीन भावना के लिए कोई कारण शेष नहीं रह जाए।