भूख से पीड़ित गोलगप्पे बेचने वाले के लिए मसीहा बनी फ्रांस की महिला, जानें किस तरह मम्मी ने की मदद
लॉकडाउन के कारण उनका रोजगार बंद हो गया और उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसकी सूचना मिली तो उन्होंने उक्त परिवार को एक महीने का राशन व कुछ नकद राशि मदद के तौर पर उपलब्ध करायी।
जागरण संवाददाता, बोधगया (गया)। लॉकडाउन के तीन चरण में रोजगार छिनने से गोलगप्पे बेचने वाले का परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच गया। उसके पास अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस बात की जानकारी बोधगया में रहकर गरीब व असहायों की मदद करने वाली फ्रांस की समाजसेविका डॉ. जेनी पेरी उर्फ मम्मी जी को चला।
बस फिर क्या था मम्मी जी राशन और दैनिक उपयोग की सामग्री लेकर गोलगप्पे बेचने वाले के किराए के घर पहुंच गयी। मम्मी जी को दैनिक उपयोग व खाद्य सामग्री के साथ अपने घर देखकर गोलगप्पे बेचने वाले युवक को सहज ही विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन जब उसे बताया गया तो उसके आंख छलक आए। मम्मी जी एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में उसके परिवार का भरण-पोषण करने के लिए आर्थिक मदद करते हुए खाद्य सामग्री उपलब्ध कराया।
डॉ पेरे ने कहा कि उनकी संस्था हमेशा जरूरतमंदों की मदद को तैयार रहती है। चाहे वो अनाज उपलब्ध कराना हो या फिर आर्थिक मदद। गत दिनों बोधगया प्रखंड के जोधपुर गांव में अग्नि पीड़ित परिवार के बीच भी खाद्य सामग्री के साथ-साथ सिर छिपाने के लिए प्लास्टिक का त्रिपाल व बर्तन आदि मुहैया गया था। वहीं संस्था के सचिव मुन्ना पासवान ने बताया कि बोधगया बाजार में किराए के मकान में रहनेवाले श्याम कुमार जो मूलतः फतेहपुर प्रखंड के कसियाडीह गांव का रहने वाला है। जो बोधगया में पिछले छह-सात वर्षों से रहकर गोलगप्पा बेचने का कार्य करता है।
लॉकडाउन के कारण उनका रोजगार बंद हो गया और उनके समक्ष भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसकी सूचना मिली तो उन्होंने उक्त परिवार को एक महीने का राशन व कुछ नकद राशि मदद के तौर पर उपलब्ध कराया। संस्था की ओर से मदद मिलने के बाद उक्त परिवार के चेहरे पर अलग मुस्कान देखने को मिली।