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बिहार के रोहतास में बैंक अधिकारी की फटकार के सदमे से स्‍वतंत्रता सेनानी की पत्‍नी की मौत, गई थीं पेंशन के लिए पूछने

रोहतास में बैंक प्रबंधन की लापरवाही से साढ़े तीन वर्षों में भी स्‍वतंत्रता सेनानी की विधवा को पेंशन नहीं मिली। उनके बेटे ने थाने में बैंक अधिकारियों पर प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 10:45 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 12:57 PM (IST)
बिहार के रोहतास में बैंक अधिकारी की फटकार के सदमे से स्‍वतंत्रता सेनानी की पत्‍नी की मौत, गई थीं पेंशन के लिए पूछने
स्‍वतंत्रता सेनानी की पत्‍नी को नहीं मिली पेंशन। प्रतीकात्‍मक फोटो

संवाद सूत्र, दावथ (रोहतास)। दावथ  थाना क्षेत्र के नगर पंचायत कोआथ स्थित डिलियां निवासी स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) स्व.बिहारी चौधरी की पत्‍नी लालमुनी देवी साढ़े तीन साल से पारिवारिक पेंशन की आस लगाए चल बसीं। बुधवार की देर शाम उनका अंतिम संस्कार किया गया। इसमें स्वतंत्रता सेनानी उतराधिकारी संगठन के जिलाध्यक्ष कमलेश तिवारी,  बक्सर के जिलाध्यक्ष नवल पांडेय सहित संगठन व गांव के कई लोग शामिल हुए।

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बैंक अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी के लिए आवेदन

स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र  सुरेंद्र प्रसाद चौधरी ने अपनी मां की मौत के लिए बैंक अधिकारियों व सिस्टम को जवाबदेह बताया है। प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन उन्‍होंने थाने में दिया है। आवेदन में कहा है कि साढ़े तीन साल से पेंशन की आस लगाए उसकी मां की मौत मानसिक प्रताड़ना के कारण हुई है। कहा है कि मंगलवार को वे व मां दावथ पीएनबी (Punjab National Bank) शाखा में पेंशन के लिए पीपीओ की मूल प्रति लेने गए थे। परंतु बैंक ने नहीं दिया, इसके सदमे से मेरी मां की मौत हो गई।

पीएनबी के अधिकारियों ने बरती लापरवाही

आवेदन मे स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र ने कहा है कि मेरे पिता स्वतंत्रता सेनानी बिहारी चौधरी की मौत 17 मार्च 2017 को हुई थी। पिता के मृत्यु के बाद मां लालमुनी देवी ने पारिवारिक पेंशन के लिए बैंक को सभी आवश्यक कागजात उपलब्ध कराई। मां ने लगातार तीन साल अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र भी जमा किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय स्वतंत्रता सेनानी विभाग दिल्ली ने  बैंक से पीपीओ की मांग भी की थी लेकिन उसे बैंक अधिकारियों ने नहीं भेजा।

बैंक में फटकार के सदमें से हुई मौत

कहा कि मां ने  24 मार्च 2017 को पारिवारिक पेंशन स्वीकृति के लिए बैंक को आवेदन दिया गया। उसे सीपीपीसी पटना को पहुंचाने के लिए बैंक ने तीन हजार रुपये भी लिए। बैंक ने 4 अप्रैल 2020 को पीपीओ गृह मंत्रालय को भेजा। इसके बाद जीवन प्रमाण पत्र जमा करने पर भी 18 मार्च 17 से 4 अप्रैल 20 का पेंशन का बकाया भी मां के खाते में नहीं आया। कहा कि पीपीओ नहीं रहने के कारण पेंशन का बकाया लगभग पांच लाख रुपये व पीपीओ की बात करने उसकी मां लालमुनी देवी मंगलवार को बैंक गई थीं, जहां उन्‍हें फटकार मिली। इसी सदमे की वजह से उनकी मौत हो गई।थानाध्यक्ष अतवेंद्र कुमार ने बताया कि लालमुनी देवी के पुत्र सुरेंद्र ने प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया है। उसकी जांच की जा रही है।

इधर पीएनबी दावथ के शाखा प्रबंधक संजय उरांव ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है।अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी उतराधिकार संगठन के बक्सर व रोहतास अध्ययक्ष ने कहा कि बैंक की लापारवाही व प्रताड़ना से स्वतंत्रता सेनानी की विधवा की मौत अति निंदनीय है। इसपर संगठन अपने स्तर से संबंधित अधिकारियों से कारवाई की मांग करेगा।


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