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स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव को राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित

स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को नौ अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्मानित करेंगे। आमंत्रण पत्र पाकर गदगद हुए विष्णुदेव की बुजुर्ग आंखों में एक नया जोश चमक उठा है। आजादी की लड़ाई में अपनी सहभागिता का जिक्र करते हुए उनकी बूढ़ी भुजाएं फड़क उठती हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 03:08 AM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 03:16 AM (IST)
स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव को राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित
स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव को राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित

गया । स्वतंत्रता सेनानी विष्णुदेव नारायण सिंह को नौ अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्मानित करेंगे। आमंत्रण पत्र पाकर गदगद हुए विष्णुदेव की बुजुर्ग आंखों में एक नया जोश चमक उठा है। आजादी की लड़ाई में अपनी सहभागिता का जिक्र करते हुए उनकी बूढ़ी भुजाएं फड़क उठती हैं। 1939 में अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में मैदान में कूदे विष्णुदेव गया जिला में टिकारी प्रखंड के चितौखर गांव के निवासी हैं। नौ अगस्त को राष्ट्रपति भवन में एट होम कार्यक्रम का आयोजन होगा। उस दौरान उन्हें सम्मानित किया जाएगा। बिहार सरकार के गृह विभाग का पत्र उन्हें मिल गया है। छह अगस्त को एक सहयोगी के साथ वे दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। आने-जाने का खर्च सरकार का और मेहमानवाजी राष्ट्रपति भवन में। यह बताते हुए विष्णुदेव रोमांचित हो जा रहे। आजादी की लड़ाई की चिंगारी सुलग रही थी। उस वक्त विष्णुदेव की उम्र महज 14 साल थी। देश के लिए दीवानगी ऐसी कि कूद पड़े अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मैदान-ए-जंग में। बकौल विष्णुदेव, अंग्रेज हमारे यहां शासन भी करते थे और हमसे दु‌र्व्यवहार भी, जो हम सहन नहीं कर पाते थे। महात्मा गांधी ने आंदोलन का बिगुल फूंका तो हमसे रहा नहीं गया। उस वक्त हम 36 क्रांतिकारी थे। सर्वप्रथम हम लोगों ने टिकारी थाने में लगे अंग्रेजी हुकूमत के झंडे को जला दिया। उसके साथ ही थाने को भी आग के हवाले कर दिया। उसके बाद अंग्रेजी हुकूमत बौखला गई। उसके बाद हमारी गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी हुई। काफी मशक्कत के बाद अंग्रेजों की पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर ही लिया। हमारे हाथ-पैर में लोहे की जंजीरें डालकर हमें फुलवारीशरीफ कैंप जेल में पटक दिया गया। वहां क्रांतिकारी हंगामा करने लगे तो हजारीबाग जेल भेज दिया गया। साढ़े तीन साल तक जेल में अमानवीय व्यवहार झेल कर बाहर आए तो देशवासियों ने सिर आंखों पर बिठा लिया।

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