दुल्हन करती रह गई इंतजार लेकिन ब्याहने को बरातियों संग नहीं आए दूल्हे राजा, औरंगाबाद की घटना
औरंगाबाद के रफीगंज थाने में दहेज के लिए शादी तोड़ने की प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सात मई को बरात आनी थी। लेकिन पांच लाख रुपये नहीं दिए जाने पर वर पक्ष बरात लेकर नहीं आए।
रफीगंज (औरंगाबाद), संवाद सूत्र। भले ही स्लोगन और प्रचार-प्रसार किया जाता है कि बिना दहेज लिए करें शादी। या फिर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ या दहेज उत्पीड़न बेटियों को समाज में प्रतिष्ठा दिलाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाईं जा रही है। दहेज लेना देना जुर्म है। यह कानून बनाया गया। लेकिन ये सब सारी की सारी बातें सिर्फ स्लोगन तक सिमटी हुई है। आज भी दहेज लेना लोग शान की बात समझते है।मामला प्रखंड के चातर गांव का बताया जाता है। हुआ यूं कि बेटी का बाप दहेज में पांच लाख रुपये नहीं दे सका तो बरात लेकर लड़के वाले नहीं आए।
झारखंड के धनबाद से आई थी बरात
अब चातर गांव निवासी शंकर विश्वकर्मा ने रफीगंज थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसमें उल्लेख किया है कि झारखंड धनबाद जिला के चितपुर कतरास बाजार में उपेंद्र विश्वकर्मा के साथ उनकी बेटी की शादी तय हुई थी। बीते माह 19 फरवरी को बोधगया में रिंग सेरेमनी कार्य संपन्न हुआ था। शादी तय कराने में मुख्य करता-धरता लड़का के बहनोई बोधगया निवासी देवेंद्र विश्वकर्मा, बहन संजू देवी,रफीगंज छोटी इमादपुर के राकेश विश्वकर्मा एवं इनकी पत्नी राधा देवी रहे। उपहार स्वरूप लड़के की मां को डेढ़ लाख रुपये नकद ,रिंग सेरेमनी सहित सभी व्यवस्था में करीब 65 हजार रुपये और खर्च किये।
सात मई को आनी थी बरात
इसी माह सात मई को बरात आनी थी। किंतु लड़का के बहनोई ने पांच लाख रुपये की और डिमांड कर दी। लड़की वालों ने बहुत अनुनय विनय के साथ पैसे देने में असमर्थता जताई। किन्तु लड़का वाले नहीं माने। आखिरकार बरात लेकर नहीं आए और शादी टूट गई। इस संबंध में थानाअध्यक्ष मुकेश भगत ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है। साथ ही मामले की तहकीकात की जा रही है। जल्द ही दोषी पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।