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व्यवस्था में खोट, खाट पर लाद मरीजों को पहुंचाते हैं अस्पताल

गांव की पाती .. फोटो-30324041 -बोधगया प्रखंड के बजराहा गांव पहुंचने के लिए आज तक नहीं बनी पक्की सड़क पाइपलाइन से आधे गांव में ही होती है जलापूर्ति ------------- अनदेखी -आधा दर्जन से अधिक चापाकल लगे हैं पर एक से ही निकल रहा पानी -ग्रामीणों के पास अपनी जमीन नहीं बटाई कर जीवनयापन करते हैं --------- 05 किमी प्रखंड मुख्यालय से कम हो जाएगी दूरी सड़क बनने से -03 हजार आबादी वाले इस गांव की हर गली पक्की -1994 में विधायक मद से शुरू हुआ सामुदायिक भवन अधूरा ----------- जागरण संवाददाता बोधगया

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 08:10 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 08:10 PM (IST)
व्यवस्था में खोट, खाट पर लाद मरीजों को पहुंचाते हैं अस्पताल
व्यवस्था में खोट, खाट पर लाद मरीजों को पहुंचाते हैं अस्पताल

गया । इसे व्यवस्था में खोट नहीं तो और क्या कहेंगे। विकास के बड़े-बड़े सरकारी दावों के बीच इस गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है। बारिश होने पर मुसीबत कई गुना बढ़ जाती है। विशेषकर गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो उसे खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं बचता।

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यह दुर्दशा है बोधगया प्रखंड और बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के इलरा पंचायत के बजराहा गांव की। तीन हजार आबादी वाले इस गांव की हर गली पक्की है। हर घर में बिजली भी है, लेकिन गांव तक पहुंचने वाली सड़क खस्ताहाल है। कच्ची और टेढ़े-मेढ़े सड़क से दुलरा से या फिर गुरी प्राथमिक विद्यालय के समीप से किसी तरह लोग गांव में पहुंचते हैं। बरसात के दिनों में तो गांव तक पहुंचना किसी जंग जीतने के समान है।

प्राथमिक विद्यालय गुरी मोड़ से दुलरा गांव तक पक्की सड़क निर्माण के लिए मिट्टी की भराई कराई गई, लेकिन पक्कीकरण नहीं हुआ। गांव में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा 2016 में नल-जल योजना क्रियान्वित कराया गया है, जो सौर उर्जा से संचालित है। पूरे गांव में पाइपलाइन बिछाई गई है, लेकिन पेयजल आपूर्ति आधे गांव तक ही होती है। गांव के उपरी हिस्से में पानी नहीं जाता। इसके पीछे ग्रामीण पाइपलाइन के फटे होने की बात कह रहे हैं। गांव में यूं तो आधा दर्जन से अधिक चापाकल लगे हैं, जो विदेशी संस्थाओं व सरकारी स्तर से लगाए गए हैं। एक चापाकल ही पानी दे रहा है। आसमान में चार-पांच दिन बादल छाए रहे तो पेयजलापूर्ति भी बाधित रहती है। गांव के किसी ग्रामीण के पास खेती के लिए निजी जमीन नहीं है। सभी बटाई खेती कर या फिर मजदूरी कर जीवनयापन करते हैं। 1994-95 में विधायक मद से सामुदायिक भवन का निर्माण कराया गया था, जो अधूरा है। उसी के बगल में एक सामुदायिक भवन बना है। वहां गांव के दो युवक छोटे-छोटे बच्चों को कोचिंग पढ़ाते हैं। लोगों के जागरुकता के कारण आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे दिखते हैं। छोटे बच्चे नियमित स्कूल जाते हैं। गांव में शिक्षा की स्थिति ठीक है। एक महादलित युवक मविवि से स्नातकोत्तर उत्तीर्ण है तो कई युवक स्नातक उत्तीर्ण हैं। आर्थिक तंगी और बेरोजगारी का असर गांव के युवाओं के चेहरे पर दिखता है। महिलाएं भी जीविका से जुड़कर स्वावलंबी हो रही है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। गांव के इक्के-दुक्के लोगों के पास राशन कार्ड है। सरकारी राशन दो-तीन माह पर एक बार मिलता है।

ग्रामीण कहते हैं कि राशन कार्ड के लिए कोर्ट से शपथ पत्र बनाकर शुल्क के साथ दो वर्ष पहले प्रखंड कार्यालय में जमा किया था, लेकिन किसी को राशन कार्ड नहीं मिला। गांव की सड़क पक्की हो जाए तो प्रखंड मुख्यालय बोधगया की दूरी पांच किमी कम हो जाएगी।

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फोटो- 39

गांव में पहले की अपेक्षा बदलाव आया है। युवाओं में शिक्षा के प्रति जागरुकता है। जरूरत प्राथमिक विद्यालय व पक्की सड़क की है। इसके अभाव में छोटे-छोटे बच्चों को एक से डेढ़ किमी दूर प्रतिदिन जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में कोई बीमार पड़ जाए तो खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाना ही एकमात्र विकल्प होता है।

महादेव पासवान

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गांव में बटाई की खेती करते हैं। सिंचाई के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होने से बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इस कारण इस बार धान नहीं लगा पाए। अब मजदूरी कर जीवनयापन करने को विवश होना पड़ेगा। मुखिया के प्रयास से इंदिरा आवास मिला है।

जोधन मांझी

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गांव में किसी भी व्यक्ति का प्रधानमंत्री स्वास्थ्य कार्ड नहीं बना है। कायदे से सभी लोग इस श्रेणी में हैं। राशन कार्ड नहीं रहने से सरकारी खाद्यान योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाता है।

इश्तेयाक अंसारी

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बेरोजगार होने का गम सताता रहता है। आर्थिक तंगी के कारण किसी परीक्षा की तैयारी नहीं कर सका। गांव के लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हैं। रोजगार नहीं होने और आर्थिक तंगी के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से गुरेज करते हैं।

मिथलेश कुमार

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शिक्षक बनने की इच्छा है। इसलिए गांव से चार किमी की दूरी तय कर चेरकी स्थित प्लस टू हाई स्कूल से 11वीं की शिक्षा ग्रहण कर रही हूं। आर्थिक सहयोग मिला तो लक्ष्य को जरूर पूरा करूंगी।

सरिता और खुशबू

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गांव में जीविका का तीन अलग-अलग समूह चल रहा है। इससे जुड़ने पर गांव की महिलाओं में जागृति आई है। समूह से छोटे-छोटे कर्ज लेकर जरूरतों को पूरा करती हैं। इससे परिवार में समृद्धि आ रही है।

कमला देवी

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ग्रामीणों की मुख्य समस्या सड़क का नहीं बनना है। क्षेत्र सूखाग्रस्त है। गांव की सड़क के लिए विधायक समता देवी भी प्रयासरत है। ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव से मिलकर हम दोनों ने सड़क से संबंधित एक ज्ञापन सौंपा है। पंचायत में 20 प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हुई है। बावजूद इसके सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित नहीं किया गया। इसके लिए जनता को साथ लेकर आंदोलन करने तैयारी चल रही है।

डॉ. हरिकृष्ण प्रसाद यादव,

मुखिया, इलरा पंचायत, बोधगया

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प्रस्तुति : विनय कुमार मिश्र

मोबाइल नंबर : 9934672929


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