खेती-बारी: तीती मिर्च की खेती से मिठी हो रही शिवानंद की किसानी, सीसीटीवी से करते हैं निगरानी
गया जिले के गुरारु प्रंखड मुख्यालय से पांच किलोमीटर दुर बरमा गांव स्थित मोरहर नदी के तट पर बंजर भूमि पर किसान इस समय कुछ वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर खेती करना शुरु कर दिया है। सभी फसल का निगरानी सीसीटीवी से की जाती है।
संवाद सहयोगी, गुरारु (गया)। गया जिले के गुरारु प्रंखड मुख्यालय से पांच किलोमीटर दुर बरमा गांव स्थित मोरहर नदी के तट पर बंजर भूमि पर किसान इस समय कुछ वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर खेती करना शुरु कर दिया है। सभी फसल का निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जाती है।
केंद्र व बिहार सरकार किसानों को कम खेती में अधिक उपज के लिए श्री विधि से धान व गेहूं का खेती करवा रहीं है। केंद्र व बिहार सरकार ने धान गेहूं के खेती पर सब्सिडी भी दे रहा हैं। लेकिन मिर्ची के खेती मे कोई सब्सिडी नहीं दिया जा रहा है।बरमा गांव के किसान शिवानंद प्रसाद सिंह अभी एक एकङ में मिर्ची की खेती कर रहे हैं। मिर्च कि बीज रांची से लाया गया था।
10 ग्राम बीज की कीमत 650 रूपया हैं। मिर्च की गाछी तीस दिनो में तैयार हो जाती है।जमीन की दुरी एक फिट पर पौधा का रोपन होता है। 90 दिन मे मिर्च तोङना शुरू हो जाता हैं। एक सप्ताह में एक एकड़ में दो से तीन किव्ंटल मिर्ची निकलती हैं। मिर्च की खेती करने में किसी तरह का कोई खाद की जरूरत नहीं है। शिवानंद प्रसाद का अपना डेयरी है। जहां 20 गाय हैं।उसी गाय की गोबर से कंपोस्ट तैयार होता है। उसी कम्पोस्ट को देकर मिर्च के पौधा को रोपते हैं। अभी एकङ में शिमला मिर्च की खेती हो रही है। प्रत्येक दिन व्यापारी खेत पर आकर गुरुआ व गया के मंडी में तीस रूपये किलो बिक रहा हैं। उसी तरह से निबू ,गेदा के फूल की खेती वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार खेती हो रही हैं।