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दुर्गावती जलाशय के लेफ्ट कैनाल निर्माण को किसानों ने दी थी भूमि, न मिला मुआवजा न पानी, जानिए किसानों का दर्द

रामपुर प्रखंड के भितरीबांध बखरम व बारडीहा गांव के किसान आज भी मोटर पंप  चलाते हैं। वर्ष 2014 में 38 साल बाद परियोजना का उद्घाटन हुआ था। तात्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस परियोजना का उद्घाटन किया था।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Mon, 20 Dec 2021 05:18 PM (IST)Updated: Tue, 21 Dec 2021 09:58 AM (IST)
दुर्गावती जलाशय के लेफ्ट कैनाल निर्माण को किसानों ने दी थी भूमि, न मिला मुआवजा न पानी, जानिए किसानों का दर्द
कैमूर में दुर्गावती जलाशय की तस्वीर, तीन साल पहले अधिग्रहित की गई थी जमीन

 संवाद सूत्र, रामपुर: कैमूर जिले के रामपुर प्रखंड में स्थित दुर्गावती जलाशय परियोजना बनाने का मुद्दा तीन दशक से अधिक समय तक संसद में गूंजता रहा। लोकसभा चुनाव के दौरान भ्रमण पर जब नेता पहुंचते थे तो किसान उन्हें अपनी समस्या सुनाते थे। उनका सपना 38 साल बाद पूरा हुआ। हालांकि अभी इस जलाशय से किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। दुर्गावती जलाशय बनने के साथ ही यह भी तय हुआ था कि पहाड़ी क्षेत्र में भी इस डैम के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा। लेकिन रामपुर प्रखंड के ही कुछ पहाड़ी क्षेत्र में पानी नहीं पहुंचने से बरसात के पानी पर ही वहां की खेती आश्रित हैं। अभी तक लेफ्ट कैनाल का कार्य पूरा नहीं हो सका। जिले में सिंचाई की सबसे बड़ी योजना दुर्गावती जलाशय परियोजना के लेफ्ट कैनाल से अब तक किसानों के लिए न तो पानी मिला है न तो लेफ्ट कैनाल के लिए सरकार द्वारा अर्जित की गई भूमि का किसानों को मुआवजा मिला। इसे लेकर पिछले तीन साल से किसान सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रहे है। 

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कैमूर व रोहतास जिले की सिंचाई व्यवस्था की रीढ़

बता दें कि कैमूर व रोहतास जिले की सिंचाई व्यवस्था की रीढ़ दुर्गावती जलाशय परियोजना के चालू होने के बाद भी किसानों को परियोजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। भीतरीबांध गांव के रामकेशी राम, शत्रुघ्न कुमार, टेंगर गोस्वामी, रामसेरेश राम आदि ग्रामीणों ने बताया कि दुर्गावती जलाशय परियोजना के आसपास के पहाड़ी गांव जलाशय के लेबल के ऊपर हैं। इन गांव के खेतों की सिंचाई के लिए सरकार ने जलाशय में लेफ्ट कैनाल से पानी देने का निर्णय लिया था।

लेफ्ट कैनाल के लिए तीन साल पहले अधिग्रहित की गई थी भूमि

लेफ्ट कैनाल के लिए तीन साल पहले भितरीबांध, बखरम व बारडीहा मौजा के कई किसानों की भूमि भी अधिग्रहित की गई और कहा गया था कि भूमि का उचित रेट लगाकर किसानों को तत्काल भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन अब तक सरकार द्वारा किसानों से ली गई भूमि का मुआवजा नहीं मिल सका है। किसानों ने बताया कि दुर्गावती जलाशय के कार्यपालक अभियंता के साथ उप विकास आयुक्त को भी मुआवजा व पानी को लेकर आवेदन दिया जा चुका है।

साढ़े चार हजार एकड़ खेत को नहीं मिल रहा पानी

किसानों ने बताया कि लेफ्ट कैनाल से तीन मौजा के सौ से अधिक किसानों की लगभग साढ़े चार हजार एकड़ भूमि की सिंचाई होनी है। लेकिन तीन साल से अधिक समय बीत गया ना तो लेफ्ट कैनाल योजना पूरी की गई और ना तो कैनाल से भीतरीबांध बरखम और बाराडीहा के मौजा में स्थित खेतों को पानी मिला। क्योंकि लेफ्ट कैनाल का काम आधा अधूरा कर छोड़ दिया गया है। जबकि अर्जित भूमि पर लगभग ढाई किलोमीटर योजना की खोदाई भी करा ली गई है। किसानों ने बताया कि उनकी खेती भगवान भरोसे ही चल रही है। जिनका मोटर पंप व बोरिंग है वह सिंचाई कर लेते हैं।

 2014 में हुआ था उद्घाटन- 

कैमूर व रोहतास में किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए 1976 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम ने दुर्गावती परियोजना की नींव रखी थी। उसके बाद से सिर्फ यहां पर मंत्री व अधिकारी भ्रमण ही करते रह गए। बुजुर्गों की माने तो दुर्गावती जलाशय परियोजना रोहतास के शेरगढ़ पहाड़ी व कैमूर के राजादेव टोंगर के पास की पहाड़ी के बीच से बहने वाली दुर्गावती नदी पर बनाया गया है। इसके निर्माण का उद्देश्य कैमूर व रोहतास के 33 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करना है। वर्ष 1966 में पड़े भयानक अकाल के बाद किसानों ने मांग की थी कि आसपास में जो भी नदी है उस पर बांध बनाकर दोनों जिलों में खेतीबाड़ी को सुदृढ़ किया जा सकता है।

2014 में तत्कालीन सीएम ने किया था उद्घाटन

शिलान्यास के बाद इसके निर्माण में कई प्रकार की अड़चने आई। 38 साल बाद वर्ष 2014 में तत्कालीन सीएम जीतन राम मांझी द्वारा इस परियोजना का उद्घाटन किया गया। इस परियोजना की लागत एक हजार करोड़ रुपये पार कर चुकी है। परियोजना शुरू करते समय इसकी लागत के लिए करीब 25 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस परियोजना में गहरी रुचि लेते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिलकर अनापत्ति पत्र प्राप्त किया था। किसी न किसी कारण से यह लंबित थी, लेकिन 2011 में उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार की शर्तों को पूरा करने से ही इस योजना का फिर से शुरुआत की गई। 

धान के सूखे पौधे से किया गया था वित्त मंत्री का स्वागत: 

गौरतलब है कि 1951-52 में जब भीषण अकाल पड़ा तो किसानों के दुख समझने के इरादे से प्रदेश के तत्कालीन वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह ने क्षेत्र का दौरा किया था। उस वक्त किसानों ने मंत्री का स्वागत धान के सूखे पौधे से किया था। उसी समय दुर्गावती नदी पर बांध बनाकर नहर निकालने की मांग उठाई गईं थी। जो बाद में दोनों जिला में आंदोलन के रूप में उभरी थी। केंद्रीय सिंचाई मंत्री केएल राव ने इस बांध का निरीक्षण कर दुर्गावती जलाशय परियोजना की घोषणा की, लेकिन इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। 

क्षेत्रीय नेताओं ने दुर्गावती जलाशय परियोजना के लिए छेड़ा था आंदोलन

1966 में एक बार फिर भीषण अकाल पड़ा। इसके बाद क्षेत्रीय नेताओं ने दुर्गावती जलाशय परियोजना के लिए आंदोलन छेड़ा था। डैम से लाभदो जिलों के जोड़ने वाला दुर्गावती परियोजना काफी सुंदर है। जलाशय के पानी से दो जिलाें के खेतों की सिंचाई होती है। पूर्व में जहां पर खेती कि कल्पना नहीं थी आज वहां पर सब्जी की खेती इतनी हो रही है कि कैमूर की सब्जी रोहतास के अलावा पटना व गया जैसे बड़े बाजार में जाती है। दुर्गावती जलाशय से निकलने वाले पानी का बायां पट का कैमूर तो दायां पट रोहतास को पानी मिलता है। दोनों जिलों का वन विभाग कार्यालय इसकी देखभाल करता है।


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