कैमूर में बिस्कोमान भवन पर डीएपी खाद को लेकर किसानों ने काटा बवाल, पुलिस ने संभाली कमान
कैमूर के किसान डीएपी खाद की भारी समस्या से जूझ रहे हैं। खाद की किल्लत से गेहूं की बोआई को लेकर जिले के किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा। बिस्कोमान भवन पर किसानों ने खाद के लिए बवाल काटा।
रामगढ़(कैमूर) संवाद सूत्र। जिले के किसान डीएपी खाद की भारी समस्या से जूझ रहे हैं। खाद के संकट से रबी की बोआई प्रभावित होते देख किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। लंबे इंतजार के बाद जब इफ्को की डीएपी खाद की रैक कैमूर में पहुंची तो किसानों के चेहरे खिल उठे। किसान गोदाम के बाहर डीएपी खाद लेने के लिए तीन बजे भोर में ही लाइन में लगए गए। लेकिन किसानों को खाद देने के नाम पर खानापूर्ति करते हुए दस बोरी डीएपी की जगह पांच बोरी खाद दी गई।
खाद की के लिए बवाल
लंबी लाइन लगने के बाद खाद पाने की होड़ में लगे किसानों ने हंगामा भी शुरू कर दिया। उसके बाद मारपीट की नौबत भी आ गई। इस दौरान एक से दो लोगों को चोटें भी आ गई। खाद को लेकर बिस्कोमान भवन पर बवाल मचाने की आशंका को ध्यान में रखते हुए पुलिस को बुलानी पड़ी। तब भी भीड़ नियंत्रित नहीं हो पाई। तब मोहनियां से सैफ व बीएमपी ने बिस्कोमान भवन की सुरक्षा की कमान संभाली। तब किसी तरह बिस्कोमान भवन के पदाधिकारियों ने डीएपी खाद देने की प्रक्रिया शुरू की। बाजार में लोकनाथ सिंह व ब्रजेश खाद भंडार के यहां 300-300 बोरी डीएपी व बिस्कोमान भवन में दो हजार बोरी खाद आवंटित हुई है। ऐसे में रामगढ़ में कुल 2600 खाद की बोरी आई। जबकि किसानों की भीड़ करीब तीन हजार के आसपास लाइन में लगी थी। जानकारी के मुताबिक एक किसान को कम से कम दस बोरी डीएपी खाद की आवश्यकता थी, लेकिन दुकानों पर एक किसान को तीन बोरी तथा बिस्कोमान भवन पर प्रति किसान पांच बोरी डीएपी खाद 12 सौ रुपए बोरी सरकारी दर पर उपलब्ध हुई। इस बीच आधे से अधिक किसान बगैर खाद लिए वापस लौट गए।
इस संबंध में खाद थोक विक्रेता लोकनाथ सिंह ने बताया कि बाजार में दो दुकानदारों को इफ्को की डीएपी खाद उपलब्ध हुई थी। जो शाम होते-होते खत्म हो गई। कई किसान बगैर खाद के वापस लौट गए।वहीं बिस्कोमान भवन के प्रबंधक अजय कुमार सिह ने बताया कि खाद गोदाम में उतरने से पहले किसानों का जमावड़ा हो गया। किसानों का बवाल देख बगैर स्टॉक सत्यापन के खाद वितरित करना पड़ा। फिर भी लोग आपस में मारपीट करने से बाज नहीं आ सके।