बुद्ध के अस्थि अवशेष को देख श्रद्धालु हुए भाव विभोर
फोटो- 7778 -बुद्ध व उनके दो शिष्यों के अस्थि अवशेष के साथ जयश्री महाबोधि विहार से निकाली गई आकर्षक झांकी तीन दिन तक अस्थि अवशेष का होगा दर्शन ----------- जागरण संवाददाता बोधगया
गया । जयश्री महाबोधि विहार का 13वां वार्षिकोत्सव समारोह शनिवार को सूत्त पाठ के साथ शुरू हुआ। सुबह में भगवान बुद्ध व उनके दो शिष्यों अरहंत सारिपुत्त व महा मोग्गलान के अस्थि अवशेष के साथ जयश्री महाबोधि विहार से आकर्षक झांकी निकाली गई। झांकी विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर तक गई। अस्थि अवशेष को मंदिर के गर्भगृह में रखकर विशेष पूजा-अर्चना की गई। वापसी के बाद अस्थि अवशेष को आकर्षक साज-सज्जा के साथ आम श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु जयश्री महाबोधि विहार में रखा गया। यहां कतारबद्ध होकर देशी-विदेशी श्रद्धालु एक-एक कर दर्शन कर अपनी श्रद्धा निवेदित कर रहे थे। अस्थि अवशेष पर कोई खादा (शांति व श्रद्धा का प्रतीक वस्त्र) चढ़ा रहा था, तो कोई रुपये। सूक्ष्म अस्थि अवशेष का दर्शन आसानी से हो सके। इसके लिए अतिरिक्त प्रकाश की व्यवस्था की गई थी।
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फोटो गैलरी और जीवनवृत्त
जयश्री महाबोधि विहार के स्थापना के 13 वर्ष पूरे हो गए। मंदिर के वार्षिकोत्सव पर अनागारिक धम्मपाल सभागार में महाबोधि सोसाइटी के संस्थापक अनागारिक धम्मपाल के जीवनवृत्त को दिखाया जा रहा है और फोटो गैलरी लगाया गया है। फोटो गैलरी में विहार के उद्घाटन करने आए तिब्बतियों के धर्मगुरु पावन दलाईलामा व तत्कालीन राज्यपाल सहित अन्य गण्यमान्य का फोटो यादगार स्वरूप लगाया गया है। अनागारिक धम्मपाल के बौद्ध धर्म के उत्थान, सोसाइटी की स्थापना और महाबोधि मंदिर के लिए किए गए कार्यो का वृत्तचित्र को दिखाया जा रहा है।
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शाम में हुआ सूत्त पाठ
वार्षिकोत्सव के पहले दिन के कार्यक्रम का समापन संध्या में धम्मचक्क सूत्त पाठ के साथ किया गया। सूत्त पाठ में सोसाइटी के महासचिव भंते पी सिवली थेरो सहित अन्य भिक्षुओं ने भाग लिया। इसके पहले सोसाइटी परिसर को समारोह के दानदाताओं द्वारा कैंडल लैंप से आकर्षक ढंग से सजाया गया।