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आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को बेहतर पौष्टिक आहार देने की कवायद, स्टॉक प्राप्ति के बाद सैंपल की होगी जांच

पोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पूरक पोषाहार की गुणवत्ता का ध्यान रखा जायेगा। इसे लेकर महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से निर्देश दिये गये हैं। गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक आहार देना सुनिश्चित किया जाना है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 05:50 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 05:50 PM (IST)
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को बेहतर पौष्टिक आहार देने की कवायद, स्टॉक प्राप्ति के बाद सैंपल की होगी जांच
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्‍चों को मिलेगा पोषक आहार। प्रतीकात्‍मक चित्र।

जागरण संवाददाता, गया। पोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पूरक पोषाहार की गुणवत्ता का ध्यान रखा जायेगा। इसे लेकर  महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से निर्देश दिये गये हैं। पूरक पोषाहार से संबंधित निर्देशों में कहा गया है कि अब  लाभार्थी को दिये जाने वाले पूरक पोषाहार खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत दिये गये मानदंडों को पूरा करते हों । जिसके तहत गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक आहार देना सुनिश्चित किया जाना है।

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निर्देश के मुताबिक लाभुक को दिये जाने वाले टेक-होम राशन को पहले भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण या राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड  द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से जांच किया जाना अनिवार्य है। इसके लिए आंगनबाड़ी सेवा से जुड़ी सीडीपीओ व सुपरवाइजर को आंगनबाड़ी केंद्रों पर पूरक पोषाहार की स्टॉक की प्राप्ति के बाद सैंपल की जांच जरूर करानी है। गर्म पके हुए भोजन दिये जाने की स्थिति में यह अवश्य सुनिश्चित किया जाए कि खाना उचित तरीके से तैयार किया गया हो। इसमें रसोई घर की सही तरीके से सफाई व पेयजल का ध्यान रखना भी शामिल है।  पूरक पोषहार की आपूर्ति श्रृंखला की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने को कहा गया है।

जिला स्तर पर डीएम होंगे नोडल अधिकारी

पोषण की स्थिति का जायजा लेने व नियमों का पालन करवाने के लिए जिला स्तर पर डीएम नोडल अधिकारी होंगें। वह अनुश्रवण व निगरानी के लिए तैयार जिला पोषण समिति के  अध्यक्ष होंगे। जिला पोषण समिति द्वारा नियुक्त किये गये पोषण विशेषज्ञ प्रमाणित होंगे। आइसीडीएस व पोषण कार्यक्रमों के संचालन के लिए समेकित बाल विकास पदाधिकारी डीएम की निगरानी में काम करेंगे। सीडीपीओ जिला स्तर पर पोषण की मदद से लाभार्थियों विशेष कर कुपोषित बच्चों की सेहत में हुए परिवर्तन की जांच करेंगी। उनकी जिम्मेवारी समय-समय पर पूरक पोषाहार के सैंपल की जांच करवाने और खाद्य सुरक्षा व स्वच्छता से जुड़े मानकों का पालन करवाने की होगी।  पोषण दिवस व सामुदायिक स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर लाभुकों व क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों का उत्साहवर्धन करेंगीं।

31 जनवरी तक अतिकुपोषित बच्चों की तैयार होगी सूची

31 जनवरी तक अतिकुपोषित बच्चों की सूची बनाकर उन्हे उचित उपचार दिया जाए। सभी ऐसे बच्चों को आयुष केंद्रों से जोड़ा जाए। ताकि उनका सही इलाज किया जा सके। मां के साथ साथ पोषण को लेकर पंचायतों को भी यह जिम्मेवारी सौंपी गई है की वह जन आंदोलन के रूप में कुपोषण पर जागरूकता बढ़ाएं।


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