मुख्यमंत्री की घोषण के बाद भी नहीं बदली लाव गांव की तस्वीर
पेज- फोटो 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 54 -किराये के मकान में चल रहे गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्यकर्मी नहीं पंचायत सरकार भवन का भी अभाव ------------ उपेक्षा -छह एकड़ में फैले सुंदरशाही तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने की जरूरत -सिंचाई साधन के रूप में दस पईन में एक की भी उड़ाही नहीं ----------- संवाद सहयोगी टिकारी
गया । सर्वाधिक आबादी वाले लाव पंचायत सह गांव में आजादी के दशकों बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं। 16 जनवरी 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समीक्षा यात्रा के क्रम में गांव आए तो लोगों में आशा की किरण जगी। तत्काल कई पदाधिकारी पहुंचे और गांव के विकास की योजनाएं बनीं पर अमलीजामा नहीं पहनाया गया। मुख्यमंत्री की घोषणा के डेढ़ वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी लाव दसईन पईन के मुहाने पर मोरहर नदी में बांध का निर्माण नहीं हुआ। राजकीय मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय का दर्जा नहीं मिला। सुंदर शाह के ऐतिहासिक पुरातात्विक गढ़ के तालाब की खुदाई नहीं कराई गई। छह एकड़ में फैले सुंदरशाही तालाब को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया गया। इसका सुंदरीकरण भी नहीं हुआ। गांव के दक्षिण में तीन आहर राम सागर, चक्रदह और पछियारी आहर मृत प्राय हो चुकी है। गांव के पारंपरिक सिंचाई साधन के रूप में दस पईन में एक की भी उड़ाही नहीं हुई। किराए के मकान में चल रहे गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्यकर्मी नहीं हैं। पंचायत मुख्यालय होने के बावजूद पंचायत सरकार भवन तक नहीं बन पाया।
ग्रामीण शिवबचन सिंह, कामता प्रसाद सिंह, पारस प्रसाद, विजय सिंह, सूर्यदेव सिंह, विनोद सिंह, प्रेम नारायण सिंह, सत्येंद्र सिंह, अवधेश कुमार दागी, गणेश प्रसाद गुप्ता, शिव कुमार दिनकर, जयनंदन सिंह ने कहा यह गांव अपने आप में बहुत कुछ समेटे हुए है। यह अलग बात है कि विरासत में मिले गाव के गौरव को संजोने वालों की कमी है।
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लावण्य ऋषि करने आए थे तपस्या
अनुमंडल मुख्यालय से तीन किमी पूरब मोरहर नदी के तट पर बसे इस गाव का नाम कभी लावण्य था, जो बाद में अपभ्रंश होकर लाव हो गया। गांव के पूरब मोरहर नदी के तट पर प्रसिद्ध लावण्य ऋषि ने कई एकड़ भूमि पर फैले जंगलों में तपस्या की थी।
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स्वतंत्रता सेनानी महावीर
सिंह यहीं के थे
गांव के स्वतंत्रता सेनानी महावीर सिंह 11 वर्ष की आयु में ही जेल की यातना सह कर स्वतंत्रता संग्राम में बहादुरी दिखाई थी। टिकारी थाना लूट काड, गया कोतवाली थाना और समाहरणालय पर राष्ट्रीय तिरंगा फहराने सहित स्वतंत्रता आदोलन के कई कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। जिन्हें अंग्रेजों ने कालापानी की सजा दी थी।
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कला व संगीत क्षेत्र में अग्रणी
यह गांव की साहित्यिक और सास्कृतिक पहचान प्राचीन काल से रही है। यहा अवंतिका कला मंच, अभिनय समिति एवं चेतना कला मंच है। अवंतिका, लोहिया और मार्तण्ड पुस्तकालय भी है। नाट्य कला के क्षेत्र में स्व. शिवदत्त राव, स्व. हरिहर लाल, स्व. जानकी रमन पाडेय, स्व. भगवान प्रसाद दांगी, पं. कपिलदेव मिश्र, स्व. बंगाली ठाकुर, मो. सोहरत मियां इस गांव के कला कोहिनूर थे। वहीं संगीत के क्षेत्र में जेवार में स्व. मधुसूदन मिश्र सितारवादक के रूप में तो स्व. राम प्यारे मिश्र बासुरी वादक, स्व. केसर मलिक तबला वादक, स्व. गोविंद दत्त मिश्र ढोलक वादक, स्व. कपिलदेव मिश्र हारमोनियम वादक और स्व. महेश्वर भगत नगड़ची के रूप में प्रसिद्ध थे।
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1930 में बना सुलिस गेट जर्जर
वर्ष 1930 में जमींदारी के समय में बना सुलिस गेट जर्जर अवस्था में है। दसअईन पईन दिन प्रतिदिन अतिक्रमण का शिकार है। गांव के आहर पोखर मृत प्राय होते जा रहे हैं। जल भंडारण का महत्वपूर्ण साधन चहका ढाई तीन दशक से क्षतिग्रस्त है। अनुसूचित टोले में सामुदायिक भवन नहीं है। गांव में प्रवेश के तीन मुख्य मार्ग हैं, लेकिन यात्री शेड एक भी नहीं है। गांव के मोरहर नदी के किनारे स्थित अतिक्रमित श्मशान घाट पर मुक्तिधाम का निर्माण नहीं हो सका। गांव में किसी बैंक की सीएसपी शाखा नहीं है। गांव बिना चौकीदार का है। खेल मैदान नहीं होने से खेलकूद की गतिविधिया बंद है।
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एक नजर में गांव
1765 में लाव तालाब का निर्माण
1901 में लाव मध्य विद्यालय की स्थापना
1930 में लाव सुलिस गेट का निर्माण
1966 में तत्कालीन मुखिया द्वारिका प्रसाद ने लाव तालाब की संपूर्ण उड़ाही कराई थी
कुल जनसंख्या - 6212
पुरुष - 3223
महिला - 2989
कुल मतदाता - 4100
कुल वार्ड - 8
विद्यालय - 02
आगनबाड़ी केंद्र- 07
स्वास्थ्य उपकेंद्र - 01
सामुदायिक विकास भवन- 03
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तीन सौ लोग हैं सेना व अन्य सेवाओं में
गांव के करीब तीन सौ लोग निजी और सरकारी सेवा में हैं। इनमें लेफ्टिनेंट कर्नल एक, आर्मी में 21, एयरफोर्स में तीन, सीआरपीएफ में चार, आइटीबीपी में एक, बीएसएफ में एक, असम राइफल्स में एक, सीआइएसएफ में दो, एसएसबी में दो, जीआरआइईएफ में एक, नौसेना में दो, बिहार पुलिस में छह, झारखंड पुलिस में छह, चार्टड अकाउंटटेंट एक, बैंक में चार, इंजीनियर आठ, रेलवे 25, शिक्षक 15, डाक सेवा में दो, आयकर विभाग में एक, बीसीसीएल में एक, स्वास्थ्य विभाग में नर्स पांच तथा दो आंशुलिपिक (स्टेनो) हैं।
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लावण्य ऋषि के कारण यहां के बसे ब्राह्माण समाज लावण्यडिहिरा (खंटवार) पुर के हैं, यहां के वाशिंदे उच्च जाति के हैं। उसरी गांव के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्व. बलदेव सिंह द्वारा की गई जातीय गणना के अनुसार गांव में कुल 37 जातियों के लोग निवास करते हैं।
विजय कुमार मिश्र
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इस गांव में विभिन्न जाति और समुदाय के लोग होने के बाद भी आपसी एकता और समाजिक समरसता का मिसाल पेश करता है।
किशोरी सिंह, पूर्व सरपंच
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सदियों से यह गाव उपेक्षित है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद लाव देसीईन पईन के मुहाने पर मोरहर नदी में बियर बाध का निर्माण नहीं हो सका, इस कारण क्षेत्र के दर्जनों गांव के ग्रामीण किसान, मजदूर मुख्यमंत्री के आगमन के बाद अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
डॉॅ. मुंद्रिका प्रसाद, एसोसिएट प्रोफेसर
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गांव की प्राचीनता, ऐतिहासिकता जितनी समृद्ध है, उसके अनुरूप आजादी के बाद से यहां सरकार ने विकास नहीं किया। न तो नवाबशाही सुंदर शाही गढ़ को आजतक सरकार सुरक्षित स्थल घोषित की और न ही घोषणा के बाद गढ़ की पुरातात्विक खुदाई कराई गई। लाव गढ़ से प्राचीन खिलौने, टेराकोटाज, विराद्री कला के चांदी के सुरापात्र आदि कई ऐसे प्राचीन वस्तुएं अब तक मिल चुकी है। बिहार में पहली बार युवक संघ ने 1968 में तिलक दहेज और बाल विवाह मुक्त सामूहिक विवाह का शखनाद इसी गांव से की थी।
डॉ. शत्रुघ्न दांगी, पुरातत्वविद, बौद्ध विद्वान
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नब्बे के दशक के बाद चौकीदार की नियुक्ति नहीं की गई है। स्थायी चौकीदार की नियुक्ति और पुलिस गश्त की व्यवस्था करना जरूरी जान पड़ता है। ग्राम कचहरी भवन का निर्माण भी पंचायत में नहीं हो सका है।
मिथलेश सिंह, सरपंच
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प्रखंड के सबसे बड़े गांव होने के बावजूद यहां एक भी खेल का मैदान नहीं है। गांव में किसी भी बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र नहीं है।
पंकज शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता
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प्रस्तुति - आलोक रंजन
मोबाइल नंबर - 9334326777